जून 09, 2019

बेमतलब की बात ( पढ़ना मना है ) डॉ लोक सेतिया

       बेमतलब की बात ( पढ़ना मना है ) डॉ लोक सेतिया 

   पहले ही सचेत कर दिया था फिर भी नहीं माने आप तो कोई बात नहीं मगर ये बात किसी से कहना नहीं। बीवी भी सरकार की तरह होती है उसकी मर्ज़ी आपकी मर्ज़ी है। खुद खिलाए तो चुपचाप खाना ज़रूरी है आपको मांगना नहीं चाहिए बिना इजाज़त कुछ भी खाओगे तो कब क्या नतीजा होगा कोई नहीं जानता है। इनका साथ भी ज़रूरी है इनसे थोड़ा बचकर भी रहना अच्छा है। इनका मिजाज़ बदलते बरसते बादल बिजली गरजने की तरह डराते चौंकाते हैं। शीतल पवन कब गर्म तपती लू बन जाए कोई नहीं जान पाता है। घर भी आपका है देश भी अपना ही है मगर नियम कानून आपके नहीं उनके लागू हैं और जब उनकी ज़रूरत बदल भी सकते हैं। 

      सरकार भी आप ने ही बनाई है बीवी को भी खुद आप लाए थे गुनहगार खुद आप ही हैं। अच्छी सरकार और अच्छी बीवी हक़ीक़त में किसी ने देखी है सवाल का जवाब जानते सभी हैं। हर कोई समझता है किसी बाहरी देश की सरकार अच्छी है। ऐसा उन्होंने जाकर नहीं देखा , सुनी सुनाई बात है अफ़वाह की तरह से उस देश के लोग अपनी उसी  सरकार से परेशान हैं शायद आपसे अधिक भी । कुछ कुछ ऐसा बीवी को लेकर लगता है अपनी बीवी से अच्छी है पड़ोसन जो पति का कितना ख्याल रखती है और यही पड़ोसन का पति भी समझता है। घर की नहीं पड़ोसन की बनी कढ़ी खाकर तारीफ करते हैं स्वाद बदलना इतना भी बुरा नहीं होता है। समस्या तब बढ़ जाती है जब उसी पड़ोसन की नई साड़ी देख कर बीवी आपसे फरमाईश करती है उस से महंगी दिलवाने को साथ ये भी बताती है कि पड़ोसी भाई साहब अपनी पत्नी को कितने उपहार देते हैं। आपको समझ आता है हम सस्ते में छूट जाते हैं अर्थात जिसको समझते थे अच्छी है वो आपकी आर्थिक क्षमता से बाहर की बात है।

   पिछली बार पहली सरकार से तंग आकर नई सरकार बनाई थी ये सपना देखा था उस से बेहतर साबित होगी मगर हुआ उल्टा और भी खराब अनुभव मिला। इस बार लगा अब जैसी भी है यही ठीक है नहीं बदलते कहीं इस से भी बदतर मिली तो जीना हराम है मरना भी दुश्वार हो सकता है। बीवी को लेकर भी जैसी भी है यही अच्छी है अधिकांश लोग मानने को मज़बूर हो ही जाते हैं। कहते हैं मुसीबत कभी बताकर नहीं आती है मुसीबत से घबराना नहीं चाहिए उनका सामना करना सीखना चाहिए। इसको आजकल अक्लमंदी कहा जाता है गंगा जाओ गंगा राम जमुना जाकर जमुनादास होने की कला सीख लो फिर आपको देश समाज कुछ नहीं बना सकता है। काबिल होना नहीं काबिल समझा जाना बड़ी बात है , आपको पता है अच्छा बनने का मतलब क्या है कैसे बनते हैं मगर आपको समझना है विचार करना है अच्छा सच्चा बनकर रहना कितना कठिन है और ऐसा होने का दिखावा करना कितना सहज है। भरोसा शब्द अपनी ज़िंदगी से बाहर कर दो हमेशा को ही बस फिर कोई दर्द कोई दुःख परेशानी नहीं होगी। भरोसे का ज़माना ही नहीं रहा भरोसा करोगे तो धोखा खाओगे। भरोसा कोई आप पर नहीं करता है बस आपको समझने नहीं देते लोग कि आपको बताते हैं अच्छा मानते नहीं हैं सोचते हैं ये इतना भी भला मानुष नहीं हो सकता। बिना मतलब हमारी भलाई करता है तो ज़रूर कोई मकसद छुपा हुआ होगा। शक करने की आदत आपको हादसों से बचाकर रखती है यहां सब लोग हादसा होने की छाया में रहते हैं।

     धर्म की राह पे चलने का चलन नहीं अब दुनिया में , वचन निभाने को कोई जान नहीं देता कसम खाते हैं तोड़ने को ही निभाने को नहीं। झूठ से नफरत कोई नहीं करता है जब मालूम है सब झूठ है तो झूठ से बचकर जाओगे कहां और कोई दुनिया जाने है कि नहीं मगर ये सही है ये दुनिया झूठ है इक सपना है जाने कब नींद खुली और दिखाई कुछ भी नहीं देगा। जो भी अच्छा नहीं उसको लेकर चिंता मत करो और अच्छा बनकर नहीं रहो खराब बनकर जो चाहे करो बस अच्छे होने का मुखौटा लगाए रखो ताकि सबको आप अच्छे समझदार और शरीफ लगते रहो। ये दोगलापन नहीं है अभिनय है ज़िंदगी की वास्तविकता को झेलने से मिलता क्या है अभिनय करने वाले करोड़पति बन करोड़पति का खेल रचाते हैं। अब लोग खलनायकी के दीवाने हैं ऐसी ऐसी बातों को देखकर तालियां बजाते हैं क़त्ल करने वाले को मसीहा घोषित कर कत्ल का सामान खरीद लाते हैं। नायक होना कोई नहीं चाहता खलनायक बनने को हौसला बढ़ाते हैं। सब जानते है ये बात कितनी सच है कितनी दिखावा फिर भी सारे जहां से अच्छा गीत गाते हैं और देश की ऐसी तैसी करने के बाद भी देशभक्त कहलाते हैं। देश को हर दिन रसातल में धकेलते जाते हैं। खाते हैं पीते हैं मौज मनाते हैं आपको जाने कितनी कहानियां सुनाते हैं हक़ीक़त से सभी नज़रें चुराते हैं। सरकार हो समाज हो कारोबार हो राजनीति हो शिक्षा स्वास्थ्य या कोई भी अन्य वर्ग हो जो होता नहीं वही आपको दिखलाते हैं उल्लू बनते हैं उल्लू बनाते हैं। बेमतलब की बात से सबको उलझाते हैं , आप इस पर चिंतन करो भाई हम तो अपनी गली जाते हैं। नहीं नहीं जाना है अभी बस कुछ देर को फिर लौट कर वापस आते हैं।

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