मार्च 02, 2024

किताबें पढ़ने का महत्व ( विमर्श ) डॉ लोक सेतिया

           किताबें पढ़ने का महत्व ( विमर्श ) डॉ लोक सेतिया  

हम भटक गए हैं इधर उधर से सुनकर अथवा सोशल मीडिया से लेकर टीवी सीरियल यहां तक कि हर किसी के भाषण उपदेश से प्रभावित होकर अपनी सोच को किसी सकरी गली में धकेल रहे हैं । अधिकांश लोगों ने किताबें पढ़ना छोड़ दिया है खरीदना तो शायद ही ज़रूरी लगता है । किताबें सबसे विश्वसनीय दोस्त तो होती ही हैं और इनकी विशेषता ये भी है कि आप जब चाहें इनसे जीवन की सभी समस्याओं परेशानियों का हल ढूंढ सकते हैं । क्या आपको लगता है कि किताब पढ़ना सिर्फ परीक्षा में उत्तीर्ण होने अथवा अपने कार्य में उपयोग करने को ही उपयोगी है तो आपकी जानकारी सही नहीं है । अपने मतलब की ज़रूरी किताबों के साथ आपको अपने देश समाज की विविध जानकारी को हासिल करने ही नहीं समझने को भी पढ़ना बेहद आवश्यक है । शिक्षक से पंडित मौलवी पादरी से उपदेशक तक सभी किताबों ग्रंथों का अर्थ अपनी सुविधा से घड़ते हैं और समझाते हैं तभी ये लोग आपको धार्मिक ग्रंथ से अन्य वास्तव में जीवन उपयोगी पुस्तकों को हर किसी को खुद पढ़ने और समझने को नहीं कहते हैं । हमारी समझ धर्म संविधान और नैतिक आदर्श से अपने सामाजिक मूल्यों तक सिमित दायरे में सिमटी हुई है । किताबें हमारी सोच और बुद्धि का भोजन होती हैं और उनको पढ़ना आपको किसी खुले आसमान में विचरण करवाता है । देखते हैं आजकल लोग पढ़ने की आदत को तिलांजलि दे चुके हैं दूसरे शब्दों में अपनी सोचने की क्षमता पर रोक लगा दी है , बोलते अधिक हैं पढ़ते नहीं और सुनते हैं सिर्फ अर्थहीन बहस गप शप इधर उधर की ऐसी बातें जिन से कुछ सार्थक नहीं मिलता है । कहने को हम आज़ाद हैं मगर वास्तविकता में हमारी मानसिकता आज भी गुलामी की है और हम किसी न किसी को अपना भगवान बना कर उसका गुणगान करते हैं । क्या आपको लगता है ईश्वर का गुणगान उसकी स्तुति करने से ईश्वर मिलते हैं तो अपने ईश्वर की परिकल्पना को जाना नहीं समझा नहीं । भगवान को हमने दाता से भिखारी ही नहीं बना दिया बल्कि उसे बेबस समझ लिया है जिसे इंसान से कुछ चाहिए , सोचना सब बनाने वाले को आदमी से क्या चाहिए पैसा भोजन या कोई घर रहने को । आदमी भगवान से बड़ा समझने लगा है या ऐसा तो नहीं कि हमने मान लिया है कि कोई ईश्वर विधाता नहीं सिर्फ आडंबर करते हैं आस्तिकता का । और कुछ लोग खुद को नास्तिक कहते हैं और ज़िद पर अड़े रहते हैं संवाद भी नहीं करते बस अपनी मनवाना चाहते हैं । 
 
अच्छा साहित्य आपको अच्छा इंसान बनाता है अगर आप पढ़ते हैं ध्यान पूर्वक और पढ़ने के बाद उस पर चिंतन भी करते हैं ।  कैफ़ी आज़मी की इक कविता है , आदत ,  मैं इक अंधे कुंवे में कैद था और शोर मचा रहा था मुझे आज़ादी चाहिए मुझे रौशनी चाहिए , जब मुझे बाहर निकाला गया तो मैंने घबरा कर फिर वापस उसी अंधे कुंवे में छलांग लगा दी , और फिर वही आवाज़ लगाने लगा मुझे आज़ादी चाहिए मुझे रौशनी चाहिए । आजकल सभी की हालत ऐसी लगती है । कैसी खेदजनक हालत है हर कोई जिन बातों पर घंटों तक बोलना जानता है खुद उनका अर्थ तक नहीं समझता ये अज्ञानता की पराकाष्ठा है , कोई भी कितना भी जानकर हो दुनिया की जानकारी के अथाह समंदर के इक कतरे जैसा है । कुछ कार्य ऐसे होते हैं जिन में आपका पाठन कभी थमता नहीं है आपको निरंतर अध्यन करना होता है अन्यथा आप पिछड़ जाते हैं । ये जितना भी हमारा पुरातन साहित्य और इतिहास है वही हमारी असली विरासत है जिस को केवल कहीं रखना सुरक्षित बंद अलमारी में उचित नहीं है बल्कि उसे हमेशा वक़्त के साथ जोड़ते रहना उपयोगी बनाता है । किताबों की विशेषता है कि उनमें लिखा बदलता नहीं है और वो आपसे कोई शिकायत भी नहीं करती चाहे कितने अंतराल तक अपने उनको देखा पढ़ा नहीं । जब भी चाहो उठाओ और उनसे सीख सकते हैं , युग चाहे कोई भी हो पुस्तकों का महत्व कभी कम नहीं होता है ।   
 
जीवन साल दिन और आयु से नहीं निर्धारित किया जा सकता , आपने क्या सार्थक जिया ये आपकी सोच और बुद्धिमता पर निर्भर करता है । बहुत लोग हुए हैं जिन्होंने छोटी सी ज़िंदगी में खुद अपने ही लिए नहीं परन्तु समाज की खातिर बहुत कुछ किया है । कुछ लिखने वाले जितना भी लेखन कार्य किया उस से ऐसे शिखर पर पहुंच गए जहां अन्य सैंकड़ों किताबें लिख कर भी नहीं पहुंच पाए । उच्च कोटि का साहित्य वही होता है जो अपने समय की सही तस्वीर पूरी ईमानदारी से दिखलाता है । साहित्य का मकसद मनोरंजन नहीं बल्कि मार्गदर्शन करना और सत्य की राह चलना बताना होता है । आधुनिक सिनेमा टीवी सीरियल से लेकर सोशल मीडिया तक अपने ही मार्ग से भटके हुए हैं और हर कोई उपदेशक बना फिरता है जिस राह पर कभी पांव नहीं रखा उस पर चलने की नसीहत सभी को देता है । ख़ुदपरस्ती का आलम है हर ज़र्रा अपने को आफ़ताब समझता है ।  
 
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1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

अच्छा आलेख...साहित्य का मकसद मनोरंजन नही...और किताबें पढ़ने पास होना ही नही..👌👍👍