मार्च 28, 2024

गांव की महिलाओं का गीत-संगीत ( खूवसूरत विरासत ) डॉ लोक सेतिया

गांव की महिलाओं का गीत-संगीत ( खूवसूरत विरासत ) डॉ लोक सेतिया  

आपने क्या कभी देखा है कुछ परंपरिक परिधान वेश भूषा में सार्वजनिक जगह पर बैठी कुछ महिलाओं को अपने आप में मग्न गीत गुनगनाते हंसते खिलखिलाते हुए । मैं सैर पर पार्क में जाते हुए कितनी बार उनको देखता और सोचता था कि अपने गांव से शहर की भीड़ में भी कैसे उन्होंने अपनी विरासत को ज़िंदा रखा हुआ है । कुछ समय पहले उन्हीं से इक महिला से वार्तालाप का अवसर मिला इक इत्तेफ़ाक़ से , मैंने उनसे आग्रह किया बताएं ये क्यों इतना महत्वपूर्ण है । जो उन्होंने बताया शायद मेरी तरह अधिकांश लोग उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते होंगे । गांव में उनके बचपन में यही उनकी माएं और मुंहबोली मौसियां किया करती थी जब भी उनको किसी अवसर पर संग संग सुःख दुःख बांटने का संयोग होता था । लेकिन खुद उस महिला को ये सब मालूम नहीं था तब तक जब तक उसका विवाह तय नहीं हुआ था ।
 
शादी से पहले मां उसे साथ ले जाती थी और सभी मौसियां कोई नानी भी जो वास्तव में रिश्ते की नहीं मगर उस से बढ़कर अपनत्व रखने वाली महिलाएं हुआ करती थी । तब बिना किसी के समझाए इक बात उनको समझ आ गई थी कि उन सभी महिलाओं को घर परिवार गांव खेत खलियान में अथक मेहनत करने के बाद भी पीड़ा ही मिलती थी आदर नहीं कोई महत्व नहीं । घर में सार्वजनिक ढंग से विरोध तो क्या रोना तक और भी ताने सुनने का कारण बन जाता था । लेकिन चौपाल में गांव की अपनी उम्र की महिलाओं संग किसी तीज त्यौहार पर गीत संगीत से नाचना अपनी परेशानियों को भुला देता था । बस जाने कब से ये परंपरा बनी हुई है सब चिंताओं में भी कुछ पल संगी सहेलियों साथ आनंद से बिताने की । शादी से पहले हर मौसी उस लड़की को कोई ऐसा गीत गाने को साथ कहती याद करवाती और बतलाती उसे किस ने ये सिखाया था । शायद ये उनकी ऐसी सौगात थी जो हमेशा साथ रहती है उम्र के हर छोड़ तक । 
 
उन्होंने बताया उन सभी गीतों में मायके और ननिहाल की मधुर यादों की बात कही जाती है जबकि ऐसा सभी को वास्तव में मिलता हो ज़रूरी नहीं था । लेकिन बचपन में भी लड़कियों को अन्य कड़वे अनुभव के बीच वही इक सुखद एहसास लगते थे । शादी के बाद जिस भी गांव शहर जाकर रहती हैं ऐसी अपनी उम्र की महिलाएं मिल ही जाती हैं जो इंतज़ार करती हैं उन कुछ दिनों का जब वो साथ मिल बैठ कर सारी परेशानियां चिंताएं भुलाकर कुछ पल हंस लेती हैं । ये कुछ दिन का आनंद उनको जीने की ऊर्जा देता है ।  



1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

लेख से पता चला कि वास्तविक जीवन के कटु अनुभवों को भूलने के लिए ये लोक गीत उन्हें ऊर्जा देते हैं। धन्यवाद सर इस सच्चाई को व्यक्त करने के लिए