नवंबर 22, 2023

POST : 1749 ख़ामोश हो , उदास हो ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया

        ख़ामोश हो , उदास हो ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया 

 
कुछ दूर हो कुछ पास हो 
कैसा हसीं अहसास हो ।  
 
 
हम को ख़िज़ा का डर नहीं 
जब प्यार का मधुमास हो । 
 
 
हम अब अकेले हैं तो क्या 
इक दिन है मिलना आस हो । 
 
 
तुमको बताएं किस तरह 
तुम कौन हो क्यों ख़ास हो । 
 
 
पहला था जो अंतिम भी है 
हर पल वही आभास हो । 
 
 

 
 
 

1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

Wah बहुत खूब