नवंबर 21, 2023

आई लव माय इंडिया ( हास्य-कविता ) डॉ लोक सेतिया

    आई लव माय इंडिया ( हास्य-कविता ) डॉ लोक सेतिया 

साड़ी - सूट चप्पल - जूते  
सब जिस रंग उसी रंग की 
माथे पर है सजती बिंदिया 
लो बन गया भारत इंडिया । 
 
बदले नेता गए बदल दल 
हुई समस्या कभी न हल 
रिश्वत लाल-फ़ीताशाही वही 
काठ की चढ़ती रहती हंडिया । 
 
लोकतंत्र का नाच है नंगा 
मैली और हो गई है गंगा 
अपराधी सब झूम रहे हैं 
नाचती सत्ता की रंडिया । 
 
लगती है नेताओं की भी मंडी 
इस बाज़ार में नहीं आती मंदी  
भिंडी बाज़ार लगते हैं सदन 
सबको ललचाती है भिंडिया । 
 
देखा देशभक्ति का हुआ तमाशा 
तोला माशा जनता की हताशा  
चाहे कुछ होता होने दो यारो 
झूमो गाओ आई लव माय इंडिया ।  
 
 

( 11 सितंबर 2003 की डायरी पर लिखी पुरानी रचना संशोधित किया है। ) 


 

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