वो ज़माने आएंगे ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया
यूं ही हम दिल बहलाएंगे
फिर से वो ज़माने आएंगे ।
जब हाल कोई पूछेगा तो
ख़ुद ज़ख़्म सभी भर जाएंगे ।
वो बिछुड़े तो दिल पर क्या गुज़री
मिलने पर उनको बताएंगे ।
इन टूटी-सी उम्मीदों से
खुद को ही हम समझाएंगे ।
अब तो जीना है यूं ही हमें
बस घुट-घुट कर मर जाएंगे ।
( 6 अक्टूबर 2001 )
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