फ़रवरी 12, 2021

अनकही छोड़ जाएंगे हम कहानी अपनी ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

       अनकही छोड़ जाएंगे हम कहानी अपनी ( ग़ज़ल ) 

                               डॉ लोक सेतिया "तनहा" 

अनकही छोड़ जाएंगे हम कहानी अपनी 
ढूंढने पर नहीं मिलेगी निशानी अपनी । 
 
प्यार हमने किया उसे दिल ही दिल में लेकिन 
पर कभी कह सके नहीं हम ज़ुबानी अपनी । 
 
हमको तालाब मत समझना हैं बहते दरिया 
रोकने से नहीं रुकेगी रवानी अपनी । 
 
झूठ कहते नहीं खरा सच हमेशा कहते 
हम बदलते नहीं वो आदत पुरानी अपनी ।
 
एक दिन उनसे जब मुलाक़ात होगी "तनहा" 
पूछना मत कि आएगी याद नानी अपनी ।
 

 



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