झूठे तुम झूठे हम सच्ची मुहब्बत हमारी ( हास-परिहास )
डॉ लोक सेतिया
बहुत शोध विचार विमर्श चिंतन के बाद ये सच्चाई आखिर समझ आ गई है। हम जैसे होते हैं हमारी सोच पसंद जैसी होती है हमें उसी तरह के लोग अच्छे लगते हैं। मुहब्बत कभी दो सच बोलने वालों में नहीं होती है एक झूठा एक सच्चा हो तब मुहब्बत तभी तक ज़िंदा रहती है जब तक सच को झूठ की पहचान नहीं होती है। मगर जब दोनों तरफ झूठे लोग हों जो जानते समझते हों झूठ बोलते हैं और चाहते हों उनके झूठ का ऐतबार किया जाना शर्त है मधुर संबंध कायम रखने की तब ही स्थाई गठबंधन होता है। जीवन भर प्यार मुहब्बत बना रहे रिश्ता कभी टूटे नहीं इसके लिए दोनों को झूठ का सहारा लेना और दूसरे के झूठ पर सच से बढ़कर भरोसा करना बेहद ज़रूरी है। आशिक़ी में बहुत ज़रूरी है बेवफ़ाई कभी कभी कर ली शायर कहता है। निभाने को झूठ बोलना बड़े काम आता है हर कोई अपनी अपनी बीवी को सबसे खूबसूरत बताता है आपको खाना बनाना नहीं आता है स्वाद अच्छा है बताकर निभाना सीखा लिया सबसे दिलकश यही नाता है। फरेब खाना नसीब होता है दिल दिल के करीब होता है। मानो चाहे नहीं मानो यही आधुनिक काल की सच्ची कहानी है झूठ की मरती नहीं नानी है सुनोगे ये उसी की ज़ुबानी है।
शराबी को मयखाना जुआरी को जुए का ठिकाना दुनिया का सबसे दिलकश लगता है। झूठों का दुनिया में बहुमत है फिर भी झूठ को कभी शासन की बागडोर संभालने का मौका नहीं मिला था। झूठ पीछे से सरकार चलाता सच को सामने रखकर काम चलाता जितना मिलता उतना खाता सच से हमेशा था घबराता। पहली बार झूठ पूर्ण बहुमत से अपने दम पर सत्ता में आया पहले दिन झूठ ने जब लोकतंत्र के मंदिर में सर झुकाया सबने समझा राम राज्य है आया बस झूठ ने सच और ईमानदारी का सुंदर मुखौटा लगाया दुनिया भर को उल्लू बनाकर झूठ का सिक्का खूब चलाया। सभी झूठों को अपना भगवान उसी में नज़र आया झूठ के भगवान के झूठे भक्तों ने कौमी तराना अपना बनाया झूठ को सबसे अनमोल बनाकर सच को गहराई में दफ़नाया सच का जनाज़ा उठाया। जिस किसी ने झूठ को भगवान स्वीकार किया मनचाहा फल पाया। झूठ झूठ मधुर स्वर में जब गाकर सुनाया झूठों का भगवान खुश हुआ हाथ से हाथ मिलाया। अकेले में ख़ामोशी से इक झूठे ने शायद मदहोशी में सच ये बताया।
हम झूठ के भक्त कहलाते हैं झूठ की महिमा गाते हैं क्योंकि भगवान में हम सभी को खुद नज़र आते हैं। सब यही चाहते हैं सत्ता मिल जाए तो उसका जमकर फायदा उठाएंगे यार दोस्तों संग रंगरलियां मनाएंगे कुछ भी करेंगे सही बतलाएंगे अपने ऐशो आराम को देश समाज की भलाई और खुद को सबसे महान शासक कहलाएंगे। जो हम जैसे नहीं उनकी खिल्ली उड़ाएंगे हम अपने विरोधी को देश का दुश्मन बताकर समाज को बांटते चले जाएंगे देशभक्ति के नाम पर आग ऐसी लगाएंगे लोग हमसे मिलने को घबराएंगे। लेकिन कब तक खैर मनाएंगे सभी बकरे किसी दिन हलाल हो जाएंगे जो भी सरकार को भाएंगे। हम जितने उनके चाहने वाले हैं उनकी सभी अहंकारी मनमानी और सत्ता का फायदा उठाने की अनुचित बातों का समर्थन करते हैं क्योंकि यही हमारी सोच है यही हम सभी का सपना है। देश का सबसे बड़ा पद आसानी से नहीं मिलता है कितने हथकंडे अपना कर हासिल होता है। उसको पाकर भी दिखावे की शराफत की बात सोचना कितनी बड़ी नासमझी होगी। जब नाचन लागी तो घूंघट काहे , मुखौटा उतार दिया है जो हैं सामने हैं खुलकर कहते हैं। झूठ के भगवान के भक्त हैं झूठ हमारे दिल में रहते हैं सच को हम लोग बकवास कहते हैं।
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