फ़रवरी 06, 2021

मयक़दा बन गया है बाम अपना ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

 मयक़दा बन गया है बाम अपना ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा" 

 
मयक़दा बन गया है बाम अपना 
फिर भी खाली रहा है जाम अपना । 
 
अब नहीं आएंगे कभी भी वापस 
दोस्तो आखिरी सलाम अपना । 
 
लोग अच्छे हमें बुरा हैं कहते
चुप रहे हम यही था काम अपना । 
 
क़त्ल कर के उन्हें मिला सुकूं क्या 
मौत मुझको लगी इनाम अपना । 
 
आप चाहें मुझे खरीद लेना 
प्यार करना यही तो दाम अपना । 
 
ज़िंदगी का सफ़ा अभी है ख़ाली 
लिख दे कोई तो उस पे नाम अपना । 
 
एक इंसानियत ही धर्म "तनहा" 
हम हैं अल्हा के और राम अपना ।
 

 
 
 
 
 
 

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