15 लाख मिलने के बाद ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया
ये चिट्ठी डाकविभाग की गलती से जिनको भेजी गई थी उनको नहीं मिली और मेरे हाथ लग गई है शायद जिसे डाकिया दे गया उसको समझ नहीं आया चिट्ठी का मकसद क्या है । आदरणीय नाम लिखा हुआ है जो बताना ज़रूरी नहीं समझने की बात है । मैं आपके चाहने वालों में एक होकर भी अनेक होने की तरह होने जैसी बात है क्योंकि सभी जो आपको चाहते हैं सोचते हैं कि आपको अपनी कही बात पर खरे उतरना चाहिए 15 लाख की घोषणा जुमला वोट पाने को था ये सुनकर अच्छा नहीं लगता है । खज़ाना बेशक खाली है जो आपने ही किया है कोई और पिछले पांच साल से अधिक समय से लूटने नहीं आया है लेकिन अभी भी आपको अपनी कही बात पर खरा साबित होना है तो आपको बेहद आसान ढंग बताना है । चार साल पहले 8 नवंबर को आठ बजे रात आपने घोषणा की थी पांच सौ और हज़ार रूपये के नोट आधी रात के बाद बंद करने को लेकर । अब वही पुराने नोट आरबीआई की अलमारी में रद्दी की तरह पड़े हुए हैं जिनका कोई उपयोग नहीं है आपको उन्हीं बंद नोटों को जनता को बांटना है ये घोषणा खुद 8 नवंबर 2020 को ठीक 8 बजे करने की ज़रूरत है । हींग लगे न फिटकरी और रंग भी चौखा आने का ये सबसे लाजवाब उपाय है । चलन से बाहर हैं तो क्या हुआ सरकार बांटेगी तो लोग कतार में खड़े होकर उन बेकार करंसी नोटों को भी ले लेंगे । मैंने सही पता लिख कर स्पीड-पोस्ट से उनको भेज दी है इसलिए मुमकिन है सही समय पर आपको ये घोषणा सुनकर सदमा नहीं लगे या आप विचलित नहीं हों इसलिए आपको सावधान किया जा रहा है ।
कल्पना कीजिए ये सपना सच हो जाये तो क्या होगा । आपको टीवी पर सीधे भाषण में पचास दिन तक जिस जिस ने जितने पुराने नोट जमा करवाए थे उनका हिसाब आधार कार्ड से जोड़ने को कहा जाएगा । आपने भले इक नोट भी जमा नहीं करवाया हो पंजीकरण करवाना ज़रूरी होगा क्योंकि 15 - 15 लाख की खैरात सभी को बड़े छोटे रईस गरीब को इक समान मिलेगी । छोड़ो क्या फायदा कहने की मूर्खता मत करना क्योंकि ये हज़ार और पांच सौ वाले नोट वास्तव में बेकार नहीं हैं । अभी भी कुछ लोग उनको लकी मानते हैं और हमेशा जेब में रखते हैं उनका भरोसा है ऐसा करने से उनकी जेब कभी खाली ही नहीं होती है । वास्तव में उन पुराने नोटों को जब छापा गया था तब बड़े शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखा गया था इसलिए उनको खर्च नहीं करना केवल तिजोरी या घर की अलमारी में रखना ही फलदाई होता है । आपने पैसा पैसे को खींचता है ये सुना होगा बस यही नोट हैं जो चुंबकीय शक्ति वाले हैं आपको दीपावली पर लक्ष्मी पूजन उन्हीं से करना शुभ मंगलकारी साबित हो सकता है । लालच बुरी बला है लोग पढ़ लिखकर लालच में मूर्खता करते हैं ये अभी किसी डॉक्टर ने विदेश से आकर इक ठग से सोने का चिराग़ खरीदा दो करोड़ देकर । जब अपनी काबलियत से इतना धन कमाया था तब लालच में आकर बिना मेहनत धन पाने की चाहत रखना पागल बनना होता है । पागलपन में सही गलत की समझ नहीं रहती है । सावधानी के लिए फिर पुरानी कहानी याद करते हैं ।
किसी लालची को किसी ने वरदान मांगने को कहा और उसने यही वरदान मांग लिया कि जिस चीज़ को हाथ लगाए वही सोने की बन जाये । तथास्तु कह दिया वरदान सच साबित हुआ । जब उसने रोटी खानी चाही तो अनाज की रोटी सोने की धातु की बन गई जो चबाई नहीं जा सकती भूख नहीं मिटाती । उसने अपनी पत्नी बच्चे जिनको भी छुआ वो भी सोने के बन गए निर्जीव धातु की मूर्ति की तरह । कोई ऐसा वरदान पाकर सत्ता पर बैठा हुआ है और उसका नतीजा सामने है धन दौलत मौज मस्ती नाम शोहरत सब पाकर भी वास्तव में भूखा है खाली झोला लिए रहता है उठाकर चलने को मगर अब धरती पर चलने की आदत भूल गया है हवा में उड़ने की लत लगी है । अफ़सोस आसमान पर अभी कोई घर बनाकर नहीं रह सकता जिसने धरती पेड़ पौधों से नाता तोड़ लिया उसकी दशा वही जानता है । 15 लाख लेने से पहले ज़रा समझ लेना अंजाम यही हो सकता है ।
1 टिप्पणी:
बहुत पैना व्यंग्य है।
एक टिप्पणी भेजें