शहंशाह का डरावना ख़्वाब ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया
आज पहली बार शहंशाह ने पिछले शासक की नकल छोड़ इक नया लिबास पहना था। इतना भारी परिधान पहनकर सोया नहीं जाता मगर उसको अपने बदन से अलग करना शासक को कठिन लगा जाने क्यों उसको लगा कहीं आधी रात पिछले शासक की आत्मा आकर उस को धारण नहीं कर ले। जो किसी की नकल करते करते अपनी असलियत को भूल जाता है परछाई बन जाता है उसको अक्सर खुद अपने साये अपनी परछाई से भी डर लगने लगता है। ख़्वाब ऐसे समय आने स्वाभाविक हैं जब जागते भी नहीं और गहरी नींद भी नहीं आती है। जागा जागा सा सोया सोया सा। सपने में उनको देखा जिनको लेकर सोचते रहते हैं और जब से सत्ता मिली है खुद को उन्हीं जैसा दिखने को उनकी फ़ोटोज़ की तरह अपनी फोटो करवाते रहते हैं। उनकी बुराई करने की कोई सीमा लांघने को छोड़ी नहीं बाक़ी उन्होंने , कहा जाता है आपके सबसे बड़े आलोचक वही लोग होते हैं जो वास्तव में आप जैसा बनना चाहते हैं मगर बन सकते नहीं हैं। पूछने लगे क्या आप वही हैं जवाब मिला आपने ठीक पहचाना मैं उनकी आत्मा हूं। शहंशाह बोले ये आत्मा कैसी होती है क्या राजनेताओं में आत्मा होती है उतर मिला आत्मा हर इंसान में होती है मगर बहुत लोग आपकी तरह सत्ता की चाह में अथवा अन्य स्वार्थ की खातिर अपनी आत्मा को जीते जी दफ़्न कर देते हैं।
आत्मा ने कहा अब क्या मुझे भी कोई बात सच सच बता सकते हैं , शहंशाह बोले आप पूछ सकते हैं मगर पहले समझ लेना कि मेरी कही हर बात सच समझी जाती है मेरे झूठ इस युग के सबसे बड़े सच होते हैं। आत्मा ने कहा आपका ये पहनावा भी शायद उसी तरह का है अर्थात आपने देश की राजनीति को सत्ता के बड़े पद को भी अभिनय का मंच समझ लिया है। अभिनय करने वाले महान आदर्शवादी किरदार का जीवंत अभिनय करते हुए लगते हैं कि वो सच में उसी तरह के हैं। रामायण में भगवान राम और देवी सीता का किरदार निभाने वाले लोगों को उन्हीं की छवि लगते रहे हैं। क्या आपने सोचा है कि टीवी सीरियल फिल्म की तरह देश की राजनीति में मसीहा होने का अभिनय करना उचित नहीं हो सकता है आपको वास्तव में जो कहते हैं उसी ढंग से करना भी चाहिए। अन्यथा देश की जनता संविधान की भावना और पद की शपथ सभी के साथ अनुचित आचरण करना होगा। आपको फोटोसेशन करवाने का इतना शौक है तो राजनीति नहीं मॉडलिंग करना ठीक होता उस में आपको पैसे भी मिलते यहां आपकी इस चाहत की कीमत गरीब जनता के साथ पक्षी जानवर जाने किस किस को भरनी पड़ती है। झूठ का इश्तिहार नहीं सच की तस्वीर बनते तो अच्छा होता।
शहंशाह खुलकर हंस दिए बोले किस युग की बात करते हो ये इक्कीसवीं सदी है मैंने झूठ को सच से बड़ा ही नहीं बना दिया है आप जैसे आज़ादी के दीवाने नायक को ख़लनायक घोषित करवा दिया है। आत्मा ने कहा मतलब तुम समझते हो किसी की रेखा को मिटाकर अपनी रेखा बड़ी दिखला सकते हो अर्थात खुद उनसे अच्छा और बड़ा बनने को कुछ कर नहीं सकते अपनी रेखा लंबी नहीं कर सकते तभी औरों की घटाने का व्यर्थ कार्य करते करते थक चुके हो। खुद अपने आप को आश्वस्त नहीं कर पाए कि वास्तव में तुमने जो सोचा वही हुआ है। कभी कभी लगता है जैसे किसी फ़िल्मी कहानी में नायिका नायक से नफरत करते करते प्यार करने लगती है तुम भी मुझसे इतनी नफरत करते करते वहां उस हालत में पहुंच गए हो कि जागते सोते मेरे ख्यालों में खोये रहते हो। तुम्हारी मुश्किल यही है कि मुझसे मुहब्बत का इज़हार भी नहीं कर सकते जबकि इनकार करना भी चाहते नहीं क्योंकि प्यार की खातिर तख़्त ओ ताज ठुकराना हर किसी के बस की बात नहीं होती है।
तभी देखा खुद बापू खड़े हैं नमस्कार किया आत्मा ने और शहंशाह ने भी औपचारिकता निभाई। कुछ सोच कर शहंशाह ने कहा बापू सच सच बताना आपने इनको अपना वारिस बनाकर ठीक किया या उनको बनाते जिनको मैंने घोषित किया है और सबसे ऊंची मूर्ति बनवाई है। बापू बोले बात तुम दो की है किसी और को बीच में लाकर बिना कारण विषय से भटक रहे हो। जहां तक तुम दोनों का सवाल है ये आत्मा जीवन भर यही मानती रही कि उसका जो भी है देश का है और जीवन देश को समर्पित किया था जबकि तुमने समझा है कि देश तुम्हारी मलकीयत है और देश का सभी कुछ तुम्हारे उपयोग करने की खातिर ही है। तुमने आडंबर करने खुद को सज धज कर दिखाने को महत्व दिया है जबकि जिनकी तुम बुराई करते हो उसको खुद को दिखाने की कोई ज़रूरत कभी नहीं थी। किसी का शिक्षित और अमीर परिवार में जन्म लेना या किसी का गरीब माता पिता की संतान होना उनकी काबलियत को नहीं साबित करता है बड़े होकर अपनी सोच से देश समाज को ऊंचा उठाने या सामाजिक मूल्यों को नीचे लाने से उनका बड़प्पन या छोटी संकुचित मानसिकता का पता चलता है। शोहरत पाने की ख़्वाहिश करना उसके लिए समय और साधन बर्बाद करना अपराध है लोग उनको चाहते हैं जो औरों की खातिर देश समाज के भविष्य की खातिर निष्ठा रखकर कार्य करते हैं। तुमने अपना ध्यान वास्तविक कार्यों को छोड़कर खुद अपने नाम कारनामे दर्ज करने पर रखा है हमेशा ही।
लोग मुझे मेरे पुराने ढंग वाले चश्मे से ही पहचानते हैं और जिनसे अपनी तुलना करते हो उनको उनके सभी से मधुर संबंध रखने की सकारात्मक विचारधारा विपक्ष को आदर देने के स्वभाव के सौम्य आचरण के लिए। भारतीय सभ्यता ताकत से जीतने वाले को नहीं प्यार मुहब्बत से दिल जीतने वाले को अपना आदर्श मानती है। तुम्हारे परिधान समय बदलने के साथ साथ देखने वालों को कभी बेहद अच्छे लगने के बाद नौटंकी वालों जैसे लगने लगते हैं जो पहनने वाले की असलियत से अधिक नाटकीयता को दर्शाते हैं। सादगी हमेशा भली लगती है शृंगार कुछ समय तक लुभाते हैं। नर्तकी की अदाएं और बनाव शृंगार यौवन ढलते ही बेहूदा लगते हैं। बापू ने कहा ख़ास तुम्हारे लिए इक आईना खोजा गया है देखोगे तो अपने आप को कीमती शानदार लिबास में भी अपनी असली शक़्ल देख डर जाओगे। राजा नंगा है कहानी का आधुनिक संस्करण राजा बाबू आज किस फ़िल्मी अदाकार की नकल की पोशाक बनवाओगे शीर्षक कथा लिखवाओगे।
1 टिप्पणी:
बहुत पैना व्यंग्य है।
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