सबक ( कविता ) - डॉ लोक सेतिया
जीवन का तुम्हारेकुछ बुरा वक़्त हूं
आया हूं मगर
नहीं रहूंगा हमेशा
चला जाऊंगा मैं जब
लौट आयेगा अच्छा वक़्त।
मुझे देख कर तुम
घबराना मत कभी
सीखना सबक मुझसे
आ जायेगा तुमको
पहचानना अपने पराये को।
भूल मत जाना मुझे
मेरे जाने के बाद भी
याद रखना हमेशा
निभाया साथ किसने
छोड़ गया कौन इस हाल में।
खोना मत कभी उनको
हैं जो आज तुम्हारे साथ
गये चले जो छोड़कर
मत करना उनका इंतज़ार
कभी आयें जो वापस
फिर नहीं करना ऐतबार।
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