अगस्त 26, 2013

POST : 361 परीक्षा प्रेम की ( कविता ) डॉ लोक सेतिया

 परीक्षा प्रेम की  ( कविता  )  डॉ लोक सेतिया 

उसने कहा है
मुझे लाना है
नदी के उस पार से
इक फूल उसकी पसंद का ।

मगर नहीं पार करना
तेज़ धार वाली गहरी नदी को
उस पर बने हुए पुल से
न ही लेना है सहारा
कश्ती वाले का ।

मालूम है उसे भी
नहीं आता है तैरना मुझको
अंजाम जानते हैं दोनों
डूबना ही है आखिर
डर नहीं इसका
कि नहीं बच सकूंगा मैं
दुःख तो इस बात का है
कि मर के भी मैं
पूरी नहीं कर सकूंगा
अपने प्यार की
छोटी सी अभिलाषा ।

परीक्षा में प्यार की
उतीर्ण नहीं हो सकता
मगर दूंगा अवश्य
अपने प्यार की
परीक्षा मैं आज । 
 

 

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