सितंबर 12, 2024

अजनबी बन जाएं हम दोनों ( व्यंग्य- कथा ) डॉ लोक सेतिया

   अजनबी बन जाएं हम दोनों ( व्यंग्य- कथा ) डॉ लोक सेतिया  

सदियां पुराने दो पेड़ हैं इस वन में , इक परंपरा है नाकाम आशिक़ अपने प्यार को पाने में असफल होकर यहां आते हैं अपनी व्यथा सुनाते हैं । मान्यता है कि ऐसा करने से अगर दोनों का प्यार सच्चा है तो उनका मिलन अवश्य हो जाता है । जिस पेड़ पर लाल रंग के फूल खिले हैं प्रेमिकाओं की बात सुनता है और पीले फूल जिस पर खिले हैं वो प्रेमियों की बात सुनता समझता है । दोनों पेड़ अपने पास आये प्रेमी प्रेमिका की बात को सुनते हैं और अपना आशीर्वाद देने को उन पर इक फूल गिराते हैं जिसे प्यार की सच्चाई स्वीकार करने का प्रमाण समझा जाता है । अकेले में दोनों पेड़ अपनी शाखाओं से आपस में लिपटते हैं और लगता है कुछ वार्तालाप करते हैं शायद जो दिन भर कोई आकर उनको बता गया है उस की बात करते हैं । दूर दूर तक इन पेड़ों को लेकर कहानियां प्रचलित हैं उन सभी ने इक बात समान बताई जाती है कि ये कभी दो प्रेमी थे जिनका मिलन नहीं हुआ किसी पिछले जन्म में और पुनर्जन्म लेकर ये पेड़ बनकर इस वन में साथ साथ रहने लगे कुछ फ़ासला रख कर । कहते हैं ये भी इक सबक है कि प्यार हमेशा बना रहे इस के लिए इन की तरह थोड़ा फ़ासला रखना चाहिए , आपस में बात कर सकें देख सकें मगर इक दायरा रहे जकड़ना नहीं चाहिए इक दूजे को कभी भी । प्यार ऐसा एहसास है जिसे महसूस किया जाता है परखने की ज़रूरत नहीं होती है । प्यार को कभी किसी भी तराज़ू पर तोला नहीं जा सकता कि कौन किसी से कितना प्यार करता है । 
 
आज इक लड़की आई है पेड़ से लिपट कर अपना दर्द बताने लगी है , तुझसे लिपट कर लगता है अपनी सब से प्यारी सखी से मिल रही हूं , जैसे वो मुझे उदास देख कितने सवाल पूछ रही हो । तुम्हारी आवाज़ नहीं सुनाई देती मगर मेरे मन में अपने आप सवाल आने लगे हैं शायद उसकी तरह तुम भी मेरा दुःख दर्द समझ रहे हो मैं कुछ भी छिपाना नहीं चाहती सब बताउंगी । मेरा नाम अंजलि है कॉलेज में पढ़ती हूं हम लड़कियां महिलाएं सजती संवरती हैं बनाव श्रृंगार करती हैं सुंदर वस्त्र पहनती हैं और इक सपना देखती हैं  कि कोई दिल की गहराई से चाहने वाला कभी मिले और अपना बना कर सब उसी पर न्यौछावर कर दें । माना नारी को सभी को खूबसूरत बनाया है मगर शारीरिक नहीं भीतरी सुंदरता किसी किसी में होती है , हर लड़की शायद लड़का भी ढूंढता है उसको जो उसके सुंदर मन को देख सके और प्यार करे । इसलिए जब कोई हमको वह बात कहता है जिसे सुनने को हम व्याकुल हैं तब हमारा दिल उड़ने लगता है ऊंचाइयों को छूने को क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है वही दुनिया में इक है जो हमारे लिए और हम उसी के लिए हैं । प्यार करने वालों के पास वही कुछ तौर तरीके होते हैं चांद तारे तोड़ लाना बिना आपके नहीं जीना जैसी बातें कहना जो काल्पनिक हैं जानते हुए भी अंतर्मन को छू जाती हैं । 
 
मुझे भी साहिल ने कहा था और मुझे उस पर विश्वास हो गया था , मैंने जैसे अपनी ज़िंदगी अपनी दुनिया सिर्फ साहिल तक सिमित कर ली थी , उसे पाकर कुछ भी और पाना बाकी नहीं रह गया था । हम सुनहरे सपनों की अपनी दुनिया में सातवें आसमान पर खुश थे । आपस में एक दूसरे को इक साधारण चांदी का छल्ला देते तो लगता ज़माने की सबसे कीमती चीज़ है । अचानक दो साल बाद साहिल बदला बदला लगने लगा है , वो विवाहित जीवन की ज़रूरतों परेशानियों पर संवाद करता है और घर बजट की चिंता पर विचार करने लगा है ।मेरा मन शादी करने से घबराने लगा है । खुले गगन में आज़ाद पंछी सी चिड़िया को पिंजरे का मंज़र सताने लगा है । साहिल कहता है विवाह ठीक से सोच समझकर करना चाहिए केवल प्यार से ज़िंदगी नहीं चलती है ।लगता है उस के प्यार में वो  पहले जैसी कशिश नहीं रही , इक ख़्वाब टूटता महसूस होने लगा है । उसकी प्रेमिका होना चाहती हूं जैसी पत्नी उसकी ज़रूरत है मेरे लिए बन पाना कठिन क्या नामुमकिन लगता है । मैंने सोचा है तो लगता है हमारा रिश्ता यहीं तक शानदार है विवाहित संबंध बनाने से प्यार बचेगा नहीं उसे जैसी संगिनी चाहिए कोई और हो सकती है । तभी इक फूल अंजलि की झोली में गिरा था और उसका अर्थ यही समझ आया था कि अंजलि का विचार सही है । अंजलि मन में कितनी उलझनें लिए आई थी मगर लौट रही थी शांत हो कर उचित निर्णय या निष्कर्ष पर पहुंच कर । 

लड़की के चले जाने के बाद दोनों पेड़ उसी की चर्चा करने लगे थे , लाल फूल वाला पेड़ कह रहा था कि आजकल की युवती युवक को सालों लगते हैं समझने में प्रेमी प्रेमिका में जो अच्छा लगता है पति पत्नी में नहीं स्वीकार कर पाते हैं । उनको पति चाहिए जिस के पास ऐशो आराम सुख सुविधा और खूबसूरत आमदनी का साधन उपलब्ध हो कोई आर्थिक भौतिक कमी नहीं होनी चाहिए , बेशक प्यार की करने की फुर्सत तक नहीं मिले । शायद इस लड़की के माता पिता ने कोई ऐसा लड़का ढूंढ लिया है जिस से शादी करने को ये हामी भर देगी और प्रेमी से किसी अगले जन्म में मिलने की बात कह भूलने भुलाने का वादा करेगी , उस लड़के की सोच क्या है कौन जाने । 

अगले दिन सुबह ही उस लड़की अंजलि का प्रेमी साहिल पीले फूलों  वाले पेड़ के पास आया था । बेहद उदास था असमंजस में लग रहा था दिल कुछ चाहता था दिमाग़ कुछ अलग समझाना चाहता था । दुविधा में कोई निर्णय लेना कठिन होता है पेड़ से मुखतिब हो बोला था दोस्त तुम ही बताओ मुझसे कहां भूल चूक हुई जो मेरी प्रेमिका ने कल मुझे प्रेम संबंध को तोड़ने की बात कही है । उसको खुश रखने को क्या क्या नहीं किया अभी तक लेकिन पढ़ाई खत्म कर नौकरी मिली तो अलग शहर में रहने पर तजुर्बा हुआ कि वेतन में गुज़ारा करना है तो खर्चों में कटौती करना ज़रूरी होगा । माता पिता दोस्त कब तक सहयोग कर सकते हैं प्रेमिका को जिस शानदार आरामदायक ज़िंदगी की चाहत है उसे पूरा करने में खुद को भुलाना होगा जीना दुश्वार हो सकता है । ज़रूरतें बढ़ती जाती हैं महीने के आखिर में क्रेडिट कार्ड की सीमा समाप्त हो जाती है , प्रेमिका को समझाना कठिन है और शादी के बाद पत्नी से नहीं कहा जा सकता कि कोई चिराग़ नहीं होता जो मांगने पर असंभव को भी संभव करे । अंजलि प्यार भरे सपनों की बात सुनना चाहती है समझना नहीं चाहती कि जीवन सपना नहीं कठोर वास्तविकता है । 

          आप से दोस्त की तरह सच बता रहा हूं कि मुझे नहीं मालूम ज़िंदगी में प्यार महत्वपूर्ण है या फिर व्यावहारिकता से निर्णय लेना चाहिए । मुझे बड़ा भाई समझाता है कि अपने साथ दफ़्तर में नौकरी करने लड़की से संबंध बना लेना चाहिए उसे लगता है वो भी ऐसा चाहती है तभी मुझ से अपनी ज़िंदगी की बातें करती है । दोस्ती प्यार की  शुरुआत हो सकती है शायद वो दफ़्तर की साथी यही चाहती है मैंने महसूस किया है लेकिन अंजलि को लेकर जैसा होता है वो भावना नहीं लगती मुझे । लेकिन मेरा यकीन है कि वो जीवन की वास्तविकता को समझती है और अच्छी पत्नी साबित होगी । क्या मैं अंजलि से संबंध तोड़ कर उस कार्यालय सहयोगी से गंभीरतापूर्वक विवाह करने को संबंध बनाने की पहल कर सही करूंगा जब खुद अंजलि भी यही सोचती है । शायद हम दोनों का प्यार अपनी परिणीति तक नहीं पहुंच सकता है । अपने चाहने वाले की इच्छा पूरी करना , ये भी प्यार ही तो है ।  अब लगता है तुम दोनों लाल फूल और पीले फूल अलग अलग क्यों हुए होंगे । मुझे भी हालात को समझ यही निर्णय स्वीकार कर दूर से ही प्यार को देखना  उसकी महक को ज़िंदा रखना होगा । जैसे ही साहिल ने ये बात कही पेड़ से इक फूल उसकी झोली में आ गिरा था । उसकी चिंता दूर हो गई थी ज़िंदगी को इक मोड़ देना था खूबसूरत छोड़ने से नई शुरुआत करने के लिए ।
 
 Sahir Ludhianvi Nazm Chalo Ek Baar Phir Se Ajnabi Ban Jayein - Amar Ujala  Kavya - टूटे हुए दिलों को ख़ूबसूरत मोड़ देती है साहिर की यह नज़्म
 
     

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