मार्च 23, 2023

हम सब ईमानदार शरीफ़ लोग हैं ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया

   हम सब ईमानदार शरीफ़ लोग हैं  ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया  

मुझे कोई तीस साल पुरानी खबर याद आई आल इंडिया रेडियो पर सीधा प्रसारण हो रहा था जिस में इक बच्चे ने कविता नुमा बोल दिया था गली गली में शोर है .............. चोर है । तब अख़बार में बहुत कुछ हुआ राजनेताओं ने भाषण में जाने क्या क्या कहा सब हुआ यहां तक की पुरानी कहानी पढ़ने को मिली जो हमने नहीं सुनी थी तब तक , " राजा नंगा है " । लेकिन अब समझ आया है कि उस पर मुकदमा दायर किया जाना चाहिए था और चोरी साबित नहीं होने पर सज़ा मिलनी चाहिए थी । बच्चा होने से कोई बच नहीं सकता है और ढूंढना होगा अब तक वो लड़की या लड़का चालीस से ऊपर का हो गया होगा उस पर अभियोग चला कर न्याय की मिसाल कायम की जा सकती है । ऐसा किसी व्यक्ति की मान सम्मान की खातिर नहीं बल्कि हर  किसी की इज़्ज़त समान होती है इस खातिर किया जाना ज़रूरी है । क्या आपको ये हंसी मज़ाक की बात लगती है जी नहीं विषय बेहद गंभीर है । 
 
हमारे समाज में देश में जब जिस को जो लगता है बिना डरे झिझके बोल देता है , दुकानदार चोर है , पुलिस से लेकर किसी भी सरकारी विभाग यहां तक कि आयकर विभाग से डॉक्टर अस्पताल सभी को लोग बिना कोई प्रमाण चोर हैं घोषित कर देते हैं । आज तक किसी अधिकारी को राजनेता को या व्यौपारी उद्योगपति को ईमानदार कहना किसी ने ज़रूरी नहीं समझा । अन्यथा तमाम लोगों को अपनी अच्छाई सच्चाई ईमानदारी के लिए अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा विज्ञापन पर खर्च नहीं करना पड़ता । कमाल ये है कि जो जितने अधिक विज्ञापन टीवी अखबार पर देता है देखने वाले उसको उतने ही ज़्यादा शक की नज़र से देखते हैं । कहते हैं मुजरिम गुनहगार अपराधी को बढ़ावा देना उसकी सहायता करना भी पाप और अपराध करना ही होता है । अर्थात जो टीवी अखबार जानते समझते हुए झूठे विज्ञापन दिखलाते छापते हैं वो भी संगी साथी हैं अनुचित कार्य करने वालों के मौसेरे भाई हैं । जो सब लोग दावा करते हैं वो यही कि हम पाक साफ़ गंगाजल से धुले हैं । किसी पर पत्थर फैंकने से पहले खुद अपने गिरेबान में कोई नहीं झांकता आजकल क्या पहले भी नहीं होता था और हमेशा यही होगा मेरा कुर्ता सबसे सफेद है । 
 
जब हम सब सच्चे देशभक्त हैं और पूरी तरह से ईमानदार हैं तो न कोई किसी पर कोई आरोप लगा सकता है न किसी  को बदनाम कर सकता है । शायद समय आ गया है कि सरकार आधारकार्ड की तरह हर नागरिक को ईमानदार होने का भी सर्टिफ़िकेट जारी करे ताकि अपने पर आरोप लगाने वाले पर हर कोई रिपोर्ट दर्ज करवा सके । सब भले हैं कोई किसी को बुरा कहता है तो उसको साबित करना होगा अन्यथा दंड मिलने का भय होगा तो चलते फिरते कोई किसी पर आरोप नहीं जड़ सकेगा । आप सोच रहे होंगे ऐसा करने से क्या लूट अपराध चोरी हेराफेरी भ्र्ष्टाचार नहीं रहेगा तो जवाब साफ है बुरा होना बुरा नहीं होता है हर कोई बुराई की तरफ जाना पसंद करता है लेकिन बुरा कहलाना कोई नहीं चाहता । सबसे फायदे की बात विश्व में ईमानदारी के आंकड़ों में हमारा देश मालूम नहीं अभी किस पायदान पर है मगर सबको ईमानदार घोषित करते ही हम सबसे ऊंचाई पर पहले पायदान पर दिखाई दे सकते हैं । होना आवश्यक नहीं समझा जाना आवश्यक है । देश में कितने बड़े बड़े घोटाले हुए कभी कोई साबित नहीं हुआ ये दुनिया काजल की कोठड़ी है दाग़ लग जाता है और सरकारी जांच एजंसी बेदाग़ साबित करती रहती है लोग तब भी शंका करते रहते हैं । गोरे काले का भेदभाव मिटाना है तो सबको एक रंग में रंगना होगा , किसी धोबी ने कहा था कपड़े पर गहरा दाग़ लगा हो तो उसे काले रंग में रंग देना चाहिए । अब आजकल काला रंग फ़ैशन में बहुत चलन में है तो आखों में काजल सुरमे की तरह उस कालिख़ से सुंदरता बढ़ाने जैसा कुछ किया जा सकता है । जब कोई अपराधी नहीं तो अपराध भी नहीं होते हैं आंकड़े अपने आप बनते जाएंगे। 

माजरा क्या था याद नहीं पर कहीं पढ़ा था अंग्रेजी हुकूमत ने किसी भारतीय नंबरदार को लेकर अपने यहां के अफ़्सर से जानकारी मांगी थी और उस अफ़्सर ने कुछ ऐसे शब्दों का उपयोग किया था जो पता चलने पर नंबरदार को अपमानजनक लगा और उस अफ़्सर पर मुकदमा दायर करवा दिया था । उदाहरण के लिए ऐसा बताना कि वो क्या बताएं कैसा ईमानदार है , इतना बहुत है जैसे शब्दों में सवालिया निशान लगाना ताकि सरकार उसे कोई पद या मान सम्मान उपाधि देने से पहले जांच ले कि काबिल है भी या नहीं । 
 
पाँच लिंकों का आनन्द: 1717....हम-क़दम का एक सौ तेरहवाँ अंक.. काजल

6 टिप्‍पणियां:

Sanjaytanha ने कहा…

सही बात है....इतना पैसा तभी विज्ञापन पर खर्च होता है... काम तो वैसे ही बोलता है। उसे बुलवाने के लिए विज्ञापन की जरूरत नहीं

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (26-03-2023) को  "चैत्र नवरात्र"   (चर्चा अंक 4650)   पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Dr. Lok Setia ने कहा…

धन्यवाद जी आभार व्यक्त करता हूं ।।

Onkar ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति

Rupa Singh ने कहा…

विचारणीय लेख

Sanjaytanha ने कहा…

👍👌 पहले भी पढ़ा है बढ़िया लेख है सर