मई 29, 2022

तस्वीर देखी है मुलाक़ात नहीं हुई ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया

   तस्वीर देखी है मुलाक़ात नहीं हुई ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया 

   आपको जैसा लग रहा है वैसा हर्गिज़ नहीं है। किसी फ़िल्म की बात नहीं जिस में कोई किसी की तस्वीर लिए उस से मिलने को नायिका के गांव जा रहा है मधुर गीत गुनगुनाता हुआ। न ही उस फ़िल्म की बात है जिस में कोई कलाकार अपनी कल्पना से अपनी महबूबा की तस्वीर बना रहा होता है और नायिका अपनी तस्वीर देख इक अनजाने अजनबी से इश्क़ कर बैठती है। आधुनिक युग में असली तस्वीर से अधिक खूबसूरत तस्वीर किसी ऐप से बन सकती है कैमरे से सुंदर छवि कैद करने का ज़माना खो गया है। माजरा जिस का है वास्तव में लोग उस की तलाश उसकी चाहत अब नहीं करते हैं सब समझदार हो गए हैं कि भगवान को ढूंढना उसको पाना ज़िंदगी भर भटकना है कौन इतनी अनथक कोशिश करे । इक खेल खेलते हैं जगह जगह इमारतों में उसकी निशानियां खोजने लगे हैं और जाने किस किस चीज़ को देख दावा करते हैं कि ये उसी के पांव या कोई अन्य अंग के बाक़ी निशां हैं। सोचता हूं कभी किसी दिन किसी को वास्तविक भगवान मिल जाए तो होगा क्या कुछ ऐसा हो सकता है। 
 
उस खण्डर में घायल फ़टे हुए कपड़े आंखों से बहती अश्रुधारा वाला शख़्स देख सोचने लगे कोई आदमी नहीं कोई भिखारी है जिसको चोरी करते पकड़ किसी ने अच्छी तरह मरम्मत की हो। ऊंची आवाज़ में पूछा उस से कौन हो यहां छिपकर क्या कर रहे हो। उसने जवाब दिया आपको क्या चाहिए क्या खोजने इधर आये हो। हम सब भगवान के भक्त हैं ढूंढ रहे हैं इस इमारत में उसकी कोई निशानी कहीं ये उसका निवास तो नहीं क्या तुम जानते हो इस बारे में कुछ। वो बोला नहीं पहचाना मैं साक्षात भगवान ही तो हूं , सुनकर सभी हंसने लगे। कोई पागल लगता है सोचने लगे ये जानकार सब कुछ जानने वाला भगवान बोला जैसा आप सब समझ रहे मैं कोई भिखारी नहीं न ही पागल ही हैरानी है मुझे जानते पहचानते नहीं बस मेरी निशानियां तलाश कर रहे हो। जाति न पूछो साधु की , पूछ लीजिए ज्ञान , मोल करो तलवार का , पड़ा  रहने दो म्यान । कबीर जैसे संत आपको समझा गये मगर आप नहीं समझे कि बाहरी आवरण को छोड़ कर वास्तविक अनमोल वस्तु की कीमत जानो और भीतर की वास्तविक चीज़ को फैंक कर निशानियां देख रहे हो सोचते हो भगवान के निशान हैं । 
 
   कितने धर्मों को बनाकर अनगिनत आलीशान भवन निर्माण कर क्या क्या नाम देकर कितना कुछ करते हो आरती पूजा ईबादत अर्चना उपासना के नाम पर कितनी जगहों पर। भगवान हैं भी उन स्थानों पर या नहीं विचार नहीं किया जिस ने जो चाहा लिख दिया लिखवा लिया ईश्वर अल्लाह जीसस के नाम पर उपदेश देने को खुद उन बातों को अपनाया नहीं बल्कि उनका कारोबार बना डाला। भगवान को बेचोगे खरीदोगे कभी सोचा है ये क्या है। मेरी खराब हालत किसी और ने नहीं की है आप जैसे तथाकथित आस्तिक लोगों ने आस्था को भी सामान बना दिया है और कौन धार्मिक कौन अधर्मी है इस का निर्णय कर प्रमाणपत्र बांटते फिरते हो। खुद ईश्वर भगवान विधाता के साथ छल कपट करने वाले खुद को भगवान समझने लगे हैं। 
 
एक बार सभी अपनी आंखें बंद करो आपको खुद दिखाई देगा किस की पूजा आराधना ईबादत करते हैं आप। कोई शिक्षित है डॉक्टर इंजीनियर कोई अधिकारी कोई उद्योगपति कोई राजनेता कोई धर्मगुरु कोई शिक्षक कोई समाजसेवक सभी का आवरण है बाहर अंदर लोभी लालची अहंकारी कर्तव्य नहीं निभाने वाला आदमी बैठा है। भीतर झांकोगे तो समझोगे आपका भगवान सिर्फ पैसा है और पागलपन ही है कि भले जितना मिलता रहे आपकी भूख बढ़ती रहती है। जिस के पास सब हो मगर अधिक पाने की हवस रहती हो वो दुनिया का सबसे दरिद्र व्यक्ति होता है ये सभी धर्मों की किताबों में समझाया हुआ है। ईमानदारी सत्य और सामाजिक कर्तव्यों नैतिकता को त्याग कर कोई ईश्वर भक्त नहीं बन सकता है। भगवान की भक्ति का अर्थ है सभी दीन दुखियों की बेबस असहाय लोगों की सहायता करना जबकि आप तो विपरीत आचरण करते हैं। पैसे को ही अपना भगवान नहीं समझते बल्कि पैसे की खातिर आप शैतान की भी वंदना करते हैं कितने शैतानों को सोशल मीडिया अखबार टीवी वालों ने भगवान मसीहा घोषित कर दिया है। शैतान हमेशा खुद को विधाता से ताक़तवर समझते रहे हैं लेकिन हर बार शैतान का अंत होता है सच्चाई की लड़ाई में सत्य कभी पराजित नहीं होता है। जिस दिन झूठ और सत्य की जंग होगी आपके महल आपकी शोहरत दौलत धन वैभव सभी राख में मिल जाएंगे और आप विधाता की अदालत में गुनहगार बनकर खड़े सज़ाओं के हकदार बन जाएंगे। 
 

 

1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

वर्तमान में जो देश मे हालात चल रहे हैं उन पर चोट करता आलेख...