मई 05, 2022

सपनों की दुनिया की तलाश ( दोस्ती - प्यार ) डॉ लोक सेतिया

  सपनों की दुनिया की तलाश ( दोस्ती - प्यार ) डॉ लोक सेतिया 

शायद कोई कहानी कोई उपन्यास कोई नाटक कोई फिल्म बचपन में असर कर गई और मैंने ज़िंदगी उसी दोस्ती - प्यार की तलाश के नाम कर दी। सोचा नहीं समझा नहीं कहीं से पता ठिकाना नहीं पूछा कोई डगर नहीं मिली जिस पर कोई नाम लिखा हुआ होता कि यही वो रास्ता है जो मुहब्बत की बस्ती नगर गांव को जाता है। भरोसा था कोई तो होगा जिसको मेरी चाह होगी मुझे ढूंढता होगा। ज़माना ठोकरें लगाकर सबक सिखाता रहा कोई पागलपन बताकर हंसता रहा मगर दिल को भरोसा था कोई कुछ भी कहे मुझे रुकना नहीं है जीवन भर अपनी तलाश जारी रखनी है। इधर उधर भीड़ में सुनसान राहों में खिले हुए गुलशन में उजड़े हुए चमन में धूप में छांव में रेगिस्तान में समंदर में सब जगह तलाश किया यहां तलक कि फेसबुक इंटरनेट पर वास्तविक दोस्ती की उम्मीद कर मृगतृष्णा का शिकार हो प्यास से निढाल हुआ। दोस्त बनाए मिले बिछुड़े और हक़ीक़त और ख़्वाब की बात समझ आती गई। सोशल मीडिया से आधुनिक साधन से इंटरनेट से गूगल से सर्च की खबर पता चली तो अचानक विचार आया ये ख्याल पहले क्यों नहीं आया। बस और समय बर्बाद नहीं करना जहां खुली आंख वही सवेरा समझते हैं सोचकर इस को आज़माया है। 
 
गूगल से पूछने पर सब मिलता है इश्तिहार देखा कितनी बार , ढूंढा कोई गली कोई सड़क कोई बस्ती कोई गांव कोई नगर कोई जगह जहां वो दुनिया हो जिस में दोस्ती प्यार हो कोई और दुनियादारी का झगड़ा कोई पराया बेगाना कोई छोटा बड़ा अमीर गरीब का भेदभाव नहीं होता हो। इतने विकल्प बताए गूगल ने बस वही नहीं दिखलाया जिसकी बात की थी। अचानक ध्यान आया कोई मंदिर कोई पीर पैयम्बर की जगह कोई नदी तालाब जहां जाकर मांगने से मुराद पूरी होती हो उसकी खोज करते हैं। धन दौलत नाम शोहरत दुनिया भर की भौतिक वस्तुओं की मनोकामना पूरी होती हैं जहां ऐसे कितने अनगिनत विकल्प सामने थे लेकिन दोस्ती-प्यार जहां मांगने से मिलता हो कोई ऐसा स्थल कहीं नहीं था। जाने कैसे इक अजनबी से वार्तालाप हो गई जिस ने अंतरिक्ष में खोज करने में ज़िंदगी भर काम किया हुआ था। बहुत सोच समझ कर मेरी तलाश की बात पर गंभीर विमर्श कर उन्होंने कहा कि ज़रूर ऐसी कोई दुनिया हो सकती है लेकिन हमारी इस धरती पर संभव नहीं है। दार्शनिक बनकर समझाने लगे इस दुनिया में हर कोई हर नाते रिश्ते संबंध से जुड़ता है संपर्क में रहता है अपनी इच्छा की पूर्ति की खातिर जिस नाते रिश्ते से कोई लाभ कोई ज़रूरत कोई चाहत नहीं पूरी होती हो उसको छोड़ने में क्षण भर भी देरी नहीं करते हैं। सबको औरों से पाने की हसरत होती है और नहीं मिलने पर शिकायत रहती है। निस्वार्थ दोस्ती-प्यार इस दुनिया में समझदार लोग करते नहीं हैं यहां कोई मूर्खता करने की बात नहीं करता है मूर्खताएं करते हैं मगर मूर्ख कहलाना बनना नहीं चाहते लोग। 
 
 यहां कथाओं कहानियों में प्यार मुहब्बत दोस्ती की बातें मिलती हैं लोग राधा श्याम मीरा घनश्याम से लेकर हीर रांझा सलीम अनारकली की पुराने और कुछ आधुनिक काल की सिनेमा टीवी सीरियल की काल्पनिक कहानियों की बात शान से करते हैं लेकिन वास्तविक जीवन में ये सब किसी काम के नहीं लगते हैं। हर कोई भौतिकता बाहरी शारीरिक सुंदरता और शानो-शौकत का तलबगार है यहां आधुनिक समय में प्यार का भी सजा हुआ बाज़ार है। दिल नहीं जैसे कोई इश्तिहार है दिल टूटता है फिर जुड़ जाता है कहीं किसी और पर आते देर नहीं लगती बसंत की ज़रूरत नहीं बहार की कोई कीमत नहीं वेलेनटाइन का दिन बड़ा शानदार त्यौहार है। फूल कहते हैं इंग्लिश में बुद्धू बनने को रंगबिरंगे फूलों का कारोबार है। प्यार कोई राज़ की बात नहीं है युगों से सदियों से इस खेल की बाज़ी खेलते रहे हैं सब कुछ खोने को पाना कहते हैं बंदे का ख़ुदा हो जाना कहते हैं। रूह की आत्मा की एहसास की कहानी होती है जिस्म की बात बेमानी होती है जहां जिस्मानी वासना की ख़्वाहिश होती है मुहब्बत भूली बिसरी कहानी होती है। 
 
चाहत इक ईबादत है उसको ज़रूरत और आदत बनाया तो क़यामत होती है। दिल मिलना नसीब की बात होती है इश्क़ की चांदनी रात अश्कों की बरसात होती है बड़ी हसीन वो मुलाक़ात होती है लफ़्ज़ों से नहीं आंखों आंखों में बात होती है। वो मुलाक़ात बड़ी मुद्दत के बाद होती है। सच्चा प्यार सबके मुकद्दर की बात नहीं है झूठी हसरतों ने हर किसी को भटकाया है जिस ने पाने को प्यार समझा है प्यार को नहीं समझ पाया है खुद को खोया है जिसने उसी ने मुहब्बत का ख़ुदा पाया है। प्यार तो दर्द का रिश्ता है इश्क़ से आदमी बनता कोई फ़रिश्ता है। ज़मी पर फ़रिश्ते जब उतरते हैं लोग सब इक दूजे से प्यार करते हैं। चली जब से नफरतों की आंधी है प्यार की अर्थी उठाए फिरते हैं लोग वो कोई और चीज़ है जिसको आशिक़ी समझते हैं लोग। किसी की पलकों से किसी के दामन पर गिरकर मोती बनता है कोई आंसू कीमत उसकी नहीं कोई लगा सकता ये गली है जिस में और कोई दूसरा नहीं समा सकता। 
 

 

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