जून 01, 2021

ज़िंदगी का अफ़साना ( जीने का फ़लसफ़ा ) डॉ लोक सेतिया

   ज़िंदगी का अफ़साना ( जीने का फ़लसफ़ा ) डॉ लोक सेतिया 

ज़िंदगी इसी को कहते हैं कभी ख़ुशी कभी दर्द कभी जीत कभी हार कभी बहार कभी पतझड़ कभी भीड़ अपनों की दुनिया भर का साथ कभी एकाकीपन सूनापन वीरानगी का मज़र। धूप भी छांव भी आंधी तूफ़ान बारिश और इक डर बिजली गिरने का सब ख़ाक हो जाने का। ज़िंदगी सालों की बड़ी छोटी संख्या नहीं होती है ज़िंदगी नाम है अंधेरी तूफानी रात में मझधार में डगमगाती नैया को किसी खिवैया के बगैर हौंसलों से उस किनारे लगाने अपनी मंज़िल को तलाश करने का। मंज़िल कभी किसी को नहीं मिलती है आखिरी मंज़िल वही है बस जीने का मतलब है चलना चलते जाना रुकना नहीं थक कर ठहरना नहीं। ज़िंदगी खेल है जंग भी इम्तिहान भी कभी मुश्किल है कभी आसान भी। जब कभी आप घिर गये घने अंधेरों में और जिन पर आपको भरोसा था साथ देंगे हाथ पकड़ सहारा देंगें वही आपको निराश कर छोड़ गये मज़बूरी के बहाने बनाकर तब अकेले अपने दम पर कैसे आपने खुद को टूटने बिखरने नहीं दिया उसी को जीना कहते हैं। यही इम्तिहान है सभी मेले छूट जाने हर कारवां उजड़ जाने के बावजूद निराशा में आशाओं को मन में जगाये रखने और चलते रहने का। दोस्त अपने पराये रिश्ते सभी आपको मीठे कड़वे अनुभव देते हैं आपको सुःख दुःख दोनों को गले लगाना सीखना पड़ता है ज़िंदगी के सफर में धूप ज़्यादा छांव कम मिलती है पल पल बदलती है , एक समान रहना जीवन नहीं कहलाता है बहते पानी का दरिया है और बहाव के साथ नहीं लहरों से टकराकर धारा के विपरीत तैर कर अपनी मर्ज़ी की दिशा में बढ़ते जाना वास्तविक ढंग है अपनी शर्तों पर जीकर दिखाने का। 
 
मुश्किलों से घबराना हार मानकर बैठना ज़िंदगी नहीं होती है मुश्किलों उलझनों से लड़ते हुए आगे बढ़ते जाना जीना कहलाता है। कब आपका साथ किसी ने नहीं निभाया ये चिंता की बात नहीं है ऐसे में आपने कठिनाइयों का सामना किस साहस से किया ये महत्वपूर्ण है। ज़िंदगी लंगड़ी किसी और के सहारे बैसाखी से चलना नहीं है गिरकर भी खुद संभलना ज़िंदगी को सही अंजाम तक पहुंचाना है। दुनिया आपको क्या मानती है किस रूप में देखती है उसकी परवाह छोड़ खुद आपको कैसे रहना है अपना अस्तित्व बचाकर ये ज़रूरी है खुद अपनी पहचान हैं हम किसी और की बताई पहचान बनकर रह जाना खो जाना है। कभी कभी कोई आपका साथ निभाता है खराब हालात में बस वही अपना है बाकी सब दुनिया बेगानी है और अजनबी लोगों में खुद को बचाये रख कोई हमराही कोई हमदर्द कोई हमख़्याल मिलना नसीब की बात है। सबका नसीब शानदार नहीं होता है अपनी बदनसीबी बदहाली में भी संयम से काम लेकर कोशिश करते रहना पतझड़ में फूल खिलाना इसी को वास्तविक जीना कहते हैं। 
 
जब तक आप इसी बात को लेकर परेशान निराश होते रहेंगे कि सबने आपको क्या दिया क्या आपको उम्मीद थी तब तक आप जी रहे हैं लेकिन ज़िंदगी से भागकर उसका साक्षात्कार नहीं किया है। दुनिया से क्या मिला सोचना व्यर्थ की बात है आपने दुनिया को क्या दिया है ये सोचने की बात है खाली हाथ आना खाली हाथ जाना कोई मतलब नहीं हम रहे आकर चले गए। सार्थकता जीवन की इसी में हैं हम देश दुनिया को क्या योगदान देकर जाएंगे। हमने अपनी दुनिया को पहले से सुंदर खूबसूरत और बेहतर बनाया है या उसको और भी बर्बाद किया है ये तय करता है हमारा दुनिया में आना क्या था। हंसना रोना मौज मस्ती और अपने लिए सुख सुविधा आनंद और ऐशो-आराम से बसर करना ज़िंदगी नहीं सिर्फ जीने का अभिनय करना है ज़िंदगी है आस पास अंधेरे मिटाकर उजाले करने का काम। प्यार बांटना जीवन है मुहब्बत भाईचारा वास्तविक कल्याण की राह मानवता का धर्म है। झूठ अहंकार और हर किसी से टकराव की आदत ज़िंदगी को नर्क बनाना है  खुद जीते जी घुट घुट कर जीना खुदगर्ज़ी की सोच किसी को कुछ नहीं मिलता इन से। ज़िंदगी से नेमतें मिलीं हमने उनको समझा नहीं खुद शिकायत और जो नहीं हासिल उसकी चाहत करने में जितना भी पास उसको संवारा संजोया नहीं खो दिया सब कुछ। किस तरह जीते हैं ये लोग बता दो यारो , हमको भी जीने का अंदाज़ सिखा दो यारो। 
 

 

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