tag:blogger.com,1999:blog-71646410484071266512024-03-19T14:17:58.622+05:30Expressions by Dr Lok Setiaमेरे ब्लॉग पर मेरी ग़ज़ल कविताएं नज़्म पंजीकरण आधीन कॉपी राइट मेरे नाम सुरक्षित हैं बिना अनुमति उपयोग करना अनुचित व अपराध होगा।
मैं डॉ लोक सेतिया लिखना मेरे लिए ईबादत की तरह है। ग़ज़ल मेरी चाहत है कविता नज़्म मेरे एहसास हैं। कहानियां ज़िंदगी का फ़लसफ़ा हैं। व्यंग्य रचनाएं सामाजिक सरोकार की ज़रूरत है। मेरे आलेख मेरे विचार मेरी पहचान हैं। साहित्य की सभी विधाएं मुझे पूर्ण करती हैं किसी भी एक विधा से मेरा परिचय पूरा नहीं हो सकता है। व्यंग्य और ग़ज़ल दोनों मेरा हिस्सा हैं। Dr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.comBlogger1786125tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-80908986413453037042024-03-14T16:15:00.000+05:302024-03-14T16:15:14.857+05:30 सब शरीक़े जुर्म हैं ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया { चुनावी बॉन्ड की चुप्पी की आवाज़ की गूंज } सब शरीक़े जुर्म हैं ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया पाक़ीज़ा खुले आम इल्ज़ाम लगाती है , किसी को नहीं बख़्शती सिपहिया से रंगरजवा तक सभी दुपट्टा बेचने वाले से बजजवा तक । असली विषय पर आएं उस से पहले इस को जान लेना आवश्यक है कि इक मान्यता है कि राजनीति और वैश्यावृति दुनिया के सब से प्राचीन धंधे हैं और इन दोनों में काफी समानताएं हैं । अमर प्रेम का नायक Dr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-77874098928055302632024-03-06T23:53:00.000+05:302024-03-06T23:53:10.012+05:30 आदमी से जानवर बनते जा रहे हैं ( चिंतन ) डॉ लोक सेतिया फेसबुक व्हाट्सएप्प का तराज़ू ( बद अच्छा बदनाम बुरा ) डॉ लोक सेतिया पहले रग रग से मेरी खून निचोड़ा उसने , अब ये कहता है कि रंगत ही मेरी पीलीDr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-86186264012744218652024-03-04T21:37:00.008+05:302024-03-05T10:05:26.543+05:30 इश्तिहाऱ बन गए हैं जनाब ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया इश्तिहाऱ बन गए हैं जनाब ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया क्या से क्या हो गया , बेवफ़ा तेरे प्यार में । सत्ता की कुर्सी भी गाइड फ़िल्म की नर्तकी जैसी है जनाब उसकी ख़ातिर कुछ भी बन सकते हैं । रोज़ लिबास की तरह किरदार बदलते हैं दिल की बात छोड़ो सरकार हैं जब चाहे दिलदार बदलते हैं । घर बार परिवार की बात क्या उनकी अलग बात है खूबसूरत सपने दिखला कर सोचते हैं दुनिया बदलना छोड़ Dr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-48206771870983713662024-03-02T10:00:00.003+05:302024-03-02T10:00:29.756+05:30 किताबें पढ़ने का महत्व ( विमर्श ) डॉ लोक सेतिया किताबें पढ़ने का महत्व ( विमर्श ) डॉ लोक सेतिया हम भटक गए हैं इधर उधर से सुनकर अथवा सोशल मीडिया से लेकर टीवी सीरियल यहां तक कि हर किसी के भाषण उपदेश से प्रभावित होकर अपनी सोच को किसी सकरी गली में धकेल रहे हैं । अधिकांश लोगों ने किताबें पढ़ना छोड़ दिया है खरीदना तो शायद ही ज़रूरी लगता है । किताबें सबसे विश्वसनीय दोस्त तो होती ही Dr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-47427908297234490162024-02-05T14:56:00.001+05:302024-02-05T16:33:04.024+05:30 जनता के नेता कहां हैं ( कड़वी बात ) डॉ लोक सेतिया जनता के नेता कहां हैं ( कड़वी बात ) डॉ लोक सेतिया आपको हैरानी हुई होगी शीर्षक पढ़ कर जबकि सच्चाई यही है , राजनेताओं के पास जनता है , जब भी उनको ज़रूरत होती है ढूंढना नहीं पड़ता , जब जैसे जहां चाहते हैं , जनता की भीड़ खड़ी तालियां बजाती है । लेकिन कभी जनता को आवश्यकता पड़ जाए तो समस्या खड़ी हो जाती है , समझ नहीं आता कौन जनता की बात सुनेगा उसकी सहायता करना तो Dr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-16775176246553330082024-01-28T12:54:00.000+05:302024-01-28T12:54:14.446+05:30 राजनीति के दलदल अध्याय नौवां ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया राजनीति के दलदल अध्याय नौवां ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया हरियाणा से जो हवा चली थी आया राम गया राम की उस से देश की दलबदल की राजनीति को कितनी बार नया आयाम प्रदान किया जाता रहा है । बात 1967 की है जब पलवल से निर्वाचित विधायक जिनका नाम गया लाल था उन्होंने पहली बार कुछ ही घंटों में तीन बार दलबदलने का इतिहास रचा था और आखिर में जिस दल से निकले उसी में वापस आने पर उस राजनैतिक दल के नेता ने घोषणा Dr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-81169529813200313362024-01-27T11:18:00.005+05:302024-01-27T16:17:25.866+05:30 संविधान लोकतंत्र का भगवान ( वास्तविक ज्ञान ) डॉ लोक सेतिया संविधान लोकतंत्र का भगवान ( वास्तविक ज्ञान ) डॉ लोक सेतिया पढ़ते थे ,सुनते थे , ईश्वर मिलता है मुश्किल से तलाश करने से जबकि वो सामने रहता है बस हम ही समझ नहीं पाते हैं । जिन खोजा तिन पाइया गहरे पानी पैठ , मैं बपुरा डूबन डरा रहा किनारे बैठ । कुछ ऐसे ही मुझे गहराई से चिंतन मनन करने पर असली भगवान की पहचान मालूम हो गई है । अभी तक हम इधर उधर भटकते फिरते थे कोई ईश्वर मिले जो हमको सही और गलत Dr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-64878271556972636802024-01-26T13:56:00.000+05:302024-01-26T13:56:02.702+05:30 अंधों की नगरी का सूरज ( व्यंग्य-कथा ) डॉ लोक सेतिया अंधों की नगरी का सूरज ( व्यंग्य-कथा ) डॉ लोक सेतिया उस नगरी में लोग हमेशा से दृष्टिहीन नहीं थे सब को कुछ नहीं बहुत कुछ दिखाई देता था । जाने कौन था जिस ने उनको करीब से निरंतर सूरज को देखने का उपदेश दिया था जीवन का अंधकार मिटाने की चाह पूर्ण करने का उपाय समझाया था , बस उसी अंधविश्वास ने उनका जीना दुश्वार कर दिया । अंधेरों की दुनिया में कोई भेदभाव नहीं होता कोई Dr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-13856581804937080992024-01-25T11:58:00.005+05:302024-01-25T11:58:52.383+05:30 मत का है , मतदाता का मोल कुछ नहीं ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया मत का है , मतदाता का मोल कुछ नहीं ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया आज 25 जनवरी 2024 है 14 वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस है , देश में 25 जनवरी 1950 को चुनाव आयोग का गठन किया गया था 26 जनवरी से गणतंत्र दिवस मनाया गया जो तभी से हर वर्ष धूम-धाम से मनाते चले आ रहे हैं । 2011 में देश की सरकार या चुनाव आयोग को प्रतीत हुआ की वोट अथवा मतदान का रुतबा और कीमत आसमान छूने लगा है लेकिन जो नागरिक मतदान Dr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-24774426786006563292024-01-24T13:43:00.001+05:302024-01-24T15:57:28.432+05:30 गरीबों का भगवान कहां है ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया गरीबों का भगवान कहां है ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया वो ऊपर बैठा क्या जाने सब कुछ कितना बदल चुका है , ईश्वर भी सब खुद देखना भूल गया होगा । धरती पर भगवान भगवान का इतना प्रचार इतना शोर देख सुनकर यकीन करने लगा होगा सब बढ़िया है । बल्कि समझता होगा कि जो उसको जानते समझते हैं पहले धरती पर दीन हीन दुःखी लोगों की सहायता कर उनकी दशा सुधार कर बाद में इतना कुछ भगवान की पूजा Dr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-1208995032322018992024-01-21T15:42:00.007+05:302024-01-21T15:42:38.673+05:30 जो खोएगा सो पाएगा ( हास्य-कविता ) डॉ लोक सेतिया जो खोएगा सो पाएगा ( हास्य-कविता ) डॉ लोक सेतिया उनको भी अनुमति लेनी होती है घर परिवार सभी और संसार की हर व्यवस्था का प्रबंध करते हैं जो कहना पड़ा मुझ से पहले पूछा नहीं घोषित कर दिया मैंने आना है तब समझाया बस वही समझा सकती हैं बड़े महत्वपूर्ण प्रभावशाली लोग तो बिना कारण बतलाए या बहाना बना सूचित कर देते हैं कि उपस्थित नहीं हो सकते पहलेDr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-33444815279724438982024-01-20T17:42:00.000+05:302024-01-20T17:42:08.682+05:30 सबकी अपनी रामकहानी ( लघुकथा ) डॉ लोक सेतिया सबकी अपनी रामकहानी ( लघुकथा ) डॉ लोक सेतिया पत्रिका आजकल कागज़ के पन्नों पर नहीं सॉफ्टवेयर द्वारा पीडीऍफ़ फ़ाइल पर प्रकाशित होने लगी है ऐसी ही इक पत्रिका जो स्वयं को विश्व प्रसिद्ध बताती है ने सभी लिखने वालों को अपनी अपनी रामकहानी आगामी अंक के लिए घोषित तिथि तक भेजने का अनुरोध किया । कुछ पल बाद नियम घोषित किया गया पंजीकरण का शुल्क सौ रूपये भेजना अनिवार्य है । Dr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-78873229143813606852024-01-18T12:01:00.004+05:302024-01-18T12:01:51.202+05:30 लक्ष्मणरेखा अग्निपरीक्षा सभी की ( सीता जी की शर्त ) डॉ लोक सेतिया लक्ष्मणरेखा अग्निपरीक्षा सभी की ( सीता जी की शर्त ) डॉ लोक सेतिया दोनों भाई जल्झन में पड़े थे सोशल मीडिया की बातों का क्या भरोसा लोग मुंह में राम बगल में छुरी की कहावत को दर्शाते हैं । कौन सच्चा है कौन झूठा है खुद भगवान भी समझने में नाकाम हो जाते हैं । सीता जी ने सोच विचार कर सही जांच का वही पुराना उपाय सुझाया है । सीता जी ने कहा ये सोने की हिरण की माया की तरह सोने से बने हीरे मोती से Dr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-44995340651622162062024-01-14T14:10:00.002+05:302024-01-14T20:06:04.495+05:30 नानक नीच करे विचार ( मनचाहा दर्पण ) डॉ लोक सेतिया नानक नीच करे विचार ( मनचाहा दर्पण ) डॉ लोक सेतिया आज लिखने लगा था जिस विषय पर इक दोस्त ने मिलती जुलती कहानी का इक वीडियो मुझे व्हाट्सएप्प पर भेजा और मैंने अपनी बात लिखने से पहले उस को सुना और शुरुआत उसी से करना उचित समझा । जंगल में इक हाथी नदिया में नहाकर जा रहा था तो उस ने इक सूअर को सामने रास्ते पर आते देखा । कीचड़ से भरे सूअर से बचाव को हाथी ने रास्ता छोड़ Dr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-70848375543737537512024-01-10T11:32:00.002+05:302024-01-10T14:43:34.571+05:30 धरती पर घर बनाया है ( कविता ) डॉ लोक सेतिया धरती पर घर बनाया है ( कविता ) डॉ लोक सेतिया ख़ुद भगवान का सुन कर सर चकराया है इंसान ने धरती पर घर उसका बनवाया है सोने के किवाड़ हैं स्वर्गवासी हुए हैरान हैं धूप भी छाया लगती अजब ग़ज़ब रंग रूप हैजाने किस की माया है खोया जो पाया है । चिंता भगवान की बड़ी कौन समझ पाएगा इतनी कीमती चीज़ों को कोई जो चुराएगासुःख चैन पुजारियों का उड़ Dr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-1150950178294079852024-01-09T05:54:00.000+05:302024-01-09T05:54:40.784+05:30 शीशा हो या दिल हो , आख़िर टूट जाता है ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया शीशा हो या दिल हो , आख़िर टूट जाता है ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया बनाने वाले ने हज़ारों तूफ़ान इक छोटी सी जगह भर कर नाम रख दिया दिल । इस दिल के टुकड़े हज़ार हुए कोई इधर गिरा कोई उधर गिरा । फिल्म वालों ने दिल का कारोबार खूब जमकर किया और ग़ज़ब ढाया दिल को बेचा दिल से दिल टकराया पैसा बनाया अश्क़ों का इक दरिया हर तरफ बहाया । दिल का क्या कसूर कब क्यों किस पर आया । सच्ची खरी बात तो ये है सभी Dr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-77617821159053521862024-01-02T11:09:00.001+05:302024-01-02T11:09:42.160+05:30 हैं हैरान हमारे भगवान ( मानो चाहे न मानो ) डॉ लोक सेतिया हैं हैरान हमारे भगवान ( मानो चाहे न मानो ) डॉ लोक सेतिया आज क्या हुआ जानने से पहले इक पुरानी घटना की जानकारी बतानी ज़रूरी है , वर्षों पहले कुछ शिक्षित विख्यात इंसानों की आत्माओं ने भगवान को आधुनिक ढंग से रहने को मना लिया था । उन समझदार लोगों को लगा था कि आधुनिक काल में भगवान का नया स्वरूप तौर तरीका शैली अपनाकर समयानुकूल बनना ज़रूरी है । लेकिन ये बदलाव धरती पर रहने वालों को मालूम Dr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-80993495439007327112023-12-31T11:18:00.000+05:302023-12-31T11:18:28.020+05:30 किस की सुरक्षा का सवाल है ( कटाक्ष ) डॉ लोक सेतिया किस की सुरक्षा का सवाल है ( कटाक्ष ) डॉ लोक सेतिया सोच सभी संबंधी मित्रगण रहे थे पर खुद ईश्वर से कौन पूछता कि उन्हीं के आवास का उदघाटन होना है क्या कार्यक्रम है कैसे जाने का प्रबंध किया जाएगा और किस किस को सौभाग्य प्राप्त होगा अवसर पर उपस्थित होने का । सभी ने इस समस्या का समाधान करने को ईश्वर जी की पत्नी से अनुरोध किया क्योंकि सिर्फ वही कभी भी कुछ भी ईश्वर से पूछ Dr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-28821458361588860372023-12-29T22:14:00.000+05:302023-12-29T22:14:35.905+05:30 ईश्वर आज़ाद होना चाहते हैं ( अजब-ग़ज़ब ) डॉ लोक सेतिया ईश्वर आज़ाद होना चाहते हैं ( अजब-ग़ज़ब ) डॉ लोक सेतिया बदहवास हुए मेरे करीब चले आए तो कहना ही पड़ा कौन हैं आपको क्या परेशानी है । बोले तुम तो मेरी बात का भरोसा करोगे आपके वो दोस्त तो मेरा पता नंबर ईमेल सब सबूत मांगते हैं । मैंने कहा आप चिंता नहीं करें मेरी आदत ऐसी नहीं है मैंने तो हमेशा हर किसी पर भरोसा किया है लोग यहां अकारण ही सभी को शंका की नज़र से देखते हैं आप सबूत देते तब भी Dr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-64947204294060417272023-12-26T17:07:00.000+05:302023-12-26T17:07:51.048+05:30 साक्षात अवतार से साक्षात्कार ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया साक्षात अवतार से साक्षात्कार ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया हे आजकल के कलयुगी अवतार , करती हूं आपको नमस्कार बार बार , मैं डूबती नैया आप मेरे खेवनहार आप हैं सभी कुछ और मैं आपका मनमोहक सुंदर लुभावना इश्तिहार । टीवी पर भरी सभा में मंच पर माइक से ये शब्द सुन सभी ताली बजा रहे थे और जानेजां मुस्कुरा रहे थे । दोनों समय से अनजान अवसर की गरिमा से बेपरवाह सब कुछ भुला कर मन ही मन युगल Dr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-51624128823676594252023-12-23T15:31:00.007+05:302023-12-25T15:04:54.005+05:30 हरि अनंत हरि कथा अनंता ( निबंध ) डॉ लोक सेतिया हरि अनंत हरि कथा अनंता ( निबंध ) डॉ लोक सेतिया हुआ नहीं होना है , आधुनिक अवतार की बात है जब भी कोई अवतार धरती पर अवतरित होता है पहले से उसकी एक नहीं अनेक कथाएं प्रचलित होने लगती हैं । कुछ ऐसे ही धरती पर भगवान का अवतार बनाने की बात होने लगी है इंसान के हाथों से । जिनका ज़िक्र है उनकी पत्नी विशेष अवसर पर उनकी सजावट उनकी वेशभूषा को Dr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-86574787581050975532023-12-22T21:44:00.002+05:302023-12-23T07:41:53.443+05:30 बग़ावत की आहट ( पत्नी व्यथा कथा ) डॉ लोक सेतिया { अध्याय - 3 } बग़ावत की आहट ( पत्नी व्यथा कथा ) डॉ लोक सेतिया अध्याय - 3 अनहोनी कहते हैं जिसे दुनिया वालों के साथ घटती है कोई घटना लेकिन जिस की मर्ज़ी बिना कहते हैं इक पत्ता भी नहीं हिलता उसकी आलोचना कभीDr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-45548282534863272552023-12-22T12:19:00.000+05:302023-12-22T12:19:06.056+05:30 ना वो समझे हैं ना समझेंगे ( पत्नी व्यथा कथा ) डॉ लोक सेतिया { अध्याय - 2 } ना वो समझे हैं ना समझेंगे ( पत्नी व्यथा कथा ) डॉ लोक सेतिया अध्याय - 2 आप ने पहला अध्याय पढ़ लिया लेकिन आपको पूरी तरह से ईश्वर की पत्नी की उलझन समझ नहीं आई होगी अत : आपको विवाद की शुरुआत से बतलाना उचित होगाDr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-6108945481063100292023-12-21T15:49:00.002+05:302023-12-23T07:49:10.609+05:30 जा तन लागे सो तन जाने ( पत्नी व्यथा कथा ) डॉ लोक सेतिया { अध्याय - 1 } जा तन लागे सो तन जाने ( पत्नी व्यथा कथा ) डॉ लोक सेतिया अध्याय - 1उस लोक की बात है कि किस लोक की बात है सच कहूं तो हर लोक परलोक की बात है । अवसर विशेष था सभी का सुहागिन नारी का सुंदर भेस था । खुद ईश्वर की Dr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7164641048407126651.post-49825619751582732752023-12-14T11:39:00.001+05:302023-12-14T13:54:50.926+05:30 मैं इक राजा मेरी अपनी कहानी ( व्यंग्य-कथा ) डॉ लोक सेतिया मैं इक राजा मेरी अपनी कहानी ( व्यंग्य-कथा ) डॉ लोक सेतिया शिखर पर खड़े होने का मज़ा लूटने के बाद इक अनजाना डर हमेशा बेचैन किए रखता है जहां से चढ़ कर ऊंचाई पर पहुंचे वापस लुढ़क कर नीचे गिरने का । ऐसा अनुभव हुआ जब राजधानी से आमंत्रण प्राप्त हुआ । कथाकर शायद उनकी कही बात को भूल ही गया था कि अचानक शासक शाहंशाह का संदेश मिला शीघ्र चले आओ मेरी जीवनी लिखने का उचित समय आ गया है Dr. Lok Setiahttp://www.blogger.com/profile/14493779976316862713noreply@blogger.com0