ज़िंदगी से मिलो मर जाने से पहले ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया
दोस्त मुझे अपना बनाने से पहले
मुझे जान लेना भूल जाने से पहले
ये जीने का अंदाज़ सीखो मुझसे
मर जाना नहीं मौत आने से पहले ।
कभी आ भी आओ साथ मिलकर
कदम दो कदम चलें हम दोनों भी
गले से लगा लो बताओ सुनो भी
हाल ए दिल छोड़ जाने से पहले ।
दुनिया अजब है हैं दस्तूर निराले
हैं लिबास सफेद और दिल काले
चलों अश्कों की बारिश में भीगें
मिल के दोनों मुस्कुराने से पहले ।
शिकवे गिले यारो मुझ से कर लो
जितने भी अरमान बाकी कहो तुम
छुपाके दिल में शिकायत न रखना
मेरी अर्थी को फिर उठाने से पहले ।
कुछ मीठी कुछ कड़वी कुछ बातें
हंसती रुलाती कई यादें करना याद
मेरे मजार पर शमां जलाकर मुझपे
फूलों की इक चादर चढ़ाने से पहले ।
यही वक़्त है दो चार घड़ी हमारा
सुनाओ कहानी तुम अपनी ज़ुबानी
कोई और किस्सा नई बात कोई
कहो उनके भूल जाने से पहले ।
मुहब्बत ईबादत प्यार दोस्ती है
इसी को कहते हैं जी रहे हैं हम
मिलके जियो जीने के लिए अब तो
मिलो ज़िंदगी से मर जाने से पहले ।
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