मुझे नाहक बदनाम किया - कोरोना ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया
मेरे फोन की घंटी कभी बहुत बजा करती थी आजकल दिन भर खामोश रहती है। खुद मैं भी कम ही करता हूं कॉल किसी को जब से समझ आया है लोग परेशान होते हैं उनको जो बात पसंद हैं मुझे वो करना नहीं आता है। ऐसे में कोई कहता है दोस्त बाद में मैं आपको वापस कॉल बैक करता हूं कोई कहता है अभी कहीं बैठक में है कोई दफ़्तर कोई किसी न किसी जगह व्यस्त होने की बात कहता है। कभी किसी को आवाज़ नहीं साफ सुनाई देती तो कभी नेटवर्क खराब। सही कम अधिकतर बहाने होते हैं मुझे पता है मेरा नाम बदनाम बहुत किया है लोगों ने क्योंकि लोगों की आदत है बात का बतंगड़ बनाने की। जिनसे बात ही नहीं हुई साल से उनको भी किसी को बताते सुना है मेरे बारे में कि हां मुझसे भी जाने क्या क्या बातें कहता है। उनको क्या मालूम जिसने कॉल किया उसी से तभी मेरी बात हुई थी उनसे बात हुए ज़माना हो गया। और उसने उनको यही समझ कर कॉल किया कि शायद उधर भी बात करने की चाहत होगी चलो इसी बहाने कोई आपसी चर्चा करते हैं मिलते हैं कोई महफ़िल जमाते हैं। ऐसे में उनको इशारा करना पड़ता है रहने दो उसे मत बताना उसका झूठ पकड़ा गया है। चलो बदनाम हैं तो भी नाम तो है , नीरज जी कहते थे " इतने बदनाम हुए हम तो इस ज़माने में , तुमको सदियां लग जाएंगी हमें भुलाने में।
फोन उठाया अनजान नंबर था कहा नमस्कार , कौन हैं आप। कोरोना बोल रहा हूं उधर से जवाब मिला। चौंकना ही था कोरोना किसी को दिखाई नहीं देता किसी को समझ नहीं आया और मुझे उसकी आवाज़ भी साफ सुनाई दे रही है। भाई मुझे समझ नहीं आया फिर से बताना आपका पूरा नाम , जवाब वही उधर से सुनाई दिया जी आपने जो सुना जो समझा मैं वही कोरोना कोविड -19 खुद आपसे मुख़ातिब हूं। मैंने कहा तो आप हैं बताओ मुझे क्यों याद किया भाई मुलाकात करने का इरादा है तो घर मत आना आप जहां कहीं हो मुझे बताओ खुद चला आऊंगा मिलने कोई घबराता नहीं डर नहीं लगता मैंने आपसे भी खराब लोगों से मेलजोल रखना सीखा हुआ है। जी नहीं , कोरोना की आवाज़ आई , मुझे पता है आपको मुझसे कोई उलझन नहीं है तभी पिछले दो महीने मुझे लेकर कितना कुछ आपने लिखा है समझा है सबको बताया भी है। मुझे तो आपका आभार जताना चाहिए लेकिन आज मुझे आपसे कुछ बातें करनी हैं आप लिख देना मेरी बात को। मैंने कहा ठीक है आपकी बात जस की तस लिखूंगा मेरा वादा रहा मगर पहले इतना ही बता दो , बिना बुलाये मेहमान आप वापस कब जाओगे। इक ख़ामोशी रही मगर लगा कोरोना का गला भर आया है रोने की सी आवाज़ लग रही थी। आवाज़ आई आपने भी भावुक कर दिया रुला दिया चलो पहले आपकी बात का जवाब दे देता हूं , आपको खबर है मुझे लाया गया था विदेश से अपने साथ साथ। मुझे तो यहां रहना ही नहीं था चले जाता वापस मगर आपकी सरकार ने आने से नहीं रोका जाने नहीं दिया सब रास्ते ही बंद करवा दिए ऐसे में मुझे विवश होकर रहना पड़ा है अन्यथा किसी के देश में कितना समय कोई रहना चाहता है। अब खबर है लॉक डाउन खुलने की बस पहली उड़ान से जाने को उत्सुक हूं मगर जाने से पहले अपनी सच्चाई सामने रखना चाहता हूं मुझे अकारण बदनाम किया गया है दुनिया भर में।
लेखक जी आपकी बात का जवाब मिल गया आपको अब आप इक शब्द भी मत बोलना आपकी सभी बातों का सच सच जवाब खुद ही मैं देना चाहता हूं। मेरे साथ बहुत नाइंसाफ़ी हुई है पहले भी मौत आती थी लोग मरते थे कभी दिल कभी जिगर कभी गुर्दे कभी कैंसर तो कभी किसी की लापरवाही कभी किसी को ज़हर देने कभी किसी को कत्ल करने कभी दिल टूटने कितने को कारण बताया जाता था। और फिर जैसे ऊपर वाले की मर्ज़ी समझ लेते थे ऐसा पहली बार हुआ कि सरे इल्ज़ाम मुझी को दिए जाने लगे। जैसे मेरे आने से पहले लोग अमर थे और मेरे जाने के बाद कोई नहीं मरेगा। चलो जैसे भी भटकते हुए राह भूल कर चला आया या कोई मुझे जाने क्या समझ ले आया इस देश उस देश दुनिया भर की सैर करवाने को। मगर किसी ने भी लाने वाले को कुछ नहीं कहा मुझे भी अपनी राह नहीं जाने दिया मुझे खुद ही रोका और बढ़ाया भी। नातजुर्बाकारी से वायज़ की ये बातें हैं , इस रंग को क्या जाने पूछो तो कभी पी है। अकबर इलाहाबादी की लिखी ग़ज़ल ग़ुलाम अली की गाई सुनाने लगा तो अच्छा लगा। हंगामा है क्यों बरपा। दिल ही में जो खिंचती है , सूरज में लगे धब्बा फ़ितरत के करिश्में हैं , हम हैं तो खुदा भी है , हर ज़र्रा चमकता है। जाने क्यों खो गया जैसे किसी और खूबसूरत दुनिया में पहुंच गया। ग़ज़ल को ग़ज़ल के सलीके से सुनते हैं तो यही होता है।
कोरोना आगे बताने लगा सब ने माना भी मेरे आने से कितनी अच्छी अच्छी बातें भी हुईं हैं। मगर ये दुनिया वाले भलाई की बात नहीं याद रखते भूल जाते हैं बुराई करने में मज़ा लेते हैं। मुझे जिस कदर खराब बताया ही नहीं गया साबित भी किया गया उस से पहले जितने भी बड़े बड़े मुजरिम समझे जाते थे सभी जैसे बेगुनाह करार दे दिए गए। आपके देश की न्याय व्यवस्था भी कमाल है सारे गुनहगार नेता बरी हो जाते हैं और कितने निर्दोष अपराध साबित हुए बिना सज़ा पाते रहते हैं। मुझे जाना है मगर अभी भी लगता नहीं मुझे जाने देंगे आसानी से जिनको मेरा आना बड़ा रास आया है। अर्थव्यवस्था से लेकर देश की बर्बादी और बदहाली की वजह खुद हैं और सभी इल्ज़ाम मेरे माथे मढ़ दिए हैं। कभी कभी मुझे लगता है इनका बस चले तो मेरे साथ भी किसी पुराने नेता का नाम जोड़ देते मगर याद रखना जिनको ये गलतफ़हमी है उनका कार्यकाल स्वर्णिम है इतिहास में जब मेरा नाम आएगा तो उन्हीं के साथ आएगा मिटाना चाहें भी तो नहीं मिटा सकेंगे। उनको उनके सभी विदेशी शासक दोस्तों को मेरी नमस्ते जाते जाते उनकी कितनी बातों को दूर से दो गज़ नहीं बहुत बहुत मीलों दूर से नमस्कार , क्या करें उनका रुतबा ही ऐसा है। मगर अपना भी कुछ कम भी नहीं है आज कोरोना से अधिक शोहरत भी किसी और की नहीं है। बदनाम हैं तब भी नाम तो है।
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