जुलाई 31, 2019

किसी की नज़र न लगे ( खरी खरी ) डॉ लोक सेतिया

    किसी की नज़र न लगे ( खरी खरी ) डॉ लोक सेतिया 

पहले कुछ खूबसूरत तस्वीरों को देखते हैं। फिर समझने की कोशिश करते हैं इतनी अलग अलग अदाओं में फोटो सेशन करवाने में कितनी मेहनत कितना समय कितना पैसा लगा होगा। उस के बाद बही खाता बना कर हिसाब लगाने की नामुमकिन को मुमकिन करने की कोशिश की जाएगी। 







  शायद किसी और देश के सत्ताधारी राजनेता की पांच साल में इतनी तस्वीरें दिखाई दी होंगीं किसी को। हां हमने इक कलयुगी बाबा की ज़रूर देखीं हैं क्योंकि उसने अपनी खुद की फ़िल्में बनाई जिन में खुद ही अभिनय भी किया जाने क्या क्या नहीं किया। मगर इन जनाब का कहना है चौबीस घंटे देश की जनता की सेवा और भलाई करने का सब छोड़ छाड़कर। महिलाओं को सजने संवरने का शौक बहुत होता है और धनवान पति की आमदनी का काफी हिस्सा उनकी बनावट शृंगार मेकअप करवाने पार्लर के खर्च पर लगता है। रईस लोग ख़ुशी से पत्नी को सुंदर बनाये रखने दिखाई देने की कीमत चुकाते हैं। लेकिन भारत जैसा गरीब देश ऐसे महंगे खर्चीले शौक नहीं वहन कर सकता है। बात इतनी ही नहीं है फ़िल्मी अभिनेता नायिका को ये सब करना पड़ता है घंटों लगते हैं फिल्म की सफलता का सवाल होता है। देश की कितनी समस्याओं के बीच कैसे कोई सत्ताधारी नेता ये सब करने को समय निकाल सकता है। वास्तव में कोई कंप्यूटर हिसाब लगा सकता है ऐसे सैंकड़ों फोटो सेशन करवाने पर पांच साल में कितने महीने या शायद साल ही लगे हों। तब क्या गरीबों को लेकर केवल भाषण देने और मन की बात के नाम पर बहलाने का काम करते रहे। आधा समय तो आपका देश विदेश घूमने में ही लगता रहा। किसी भी एक व्यक्ति पर सरकारी खज़ाने से इतना बेतहाशा खर्च देश की गरीब जनता के साथ भद्दा मज़ाक नहीं तो क्या है। आपकी इतनी शानो शौकत की कीमत देश की जनता ने चुकाई है और बदले में मिला क्या है कोई नहीं जनता बस इक शोर जो हुआं हुआं जैसा लगता है।

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