मुझको भी सिखला दो अंदाज़ जीने का मोदी जी ( हास-परिहास )
डॉ लोक सेतिया
किस तरह जीते हैं ये लोग बता दो यारो। ज़िंदगी यही इल्तिजा करते बीती जीने का हुनर नहीं आया। दोस्ती की चाहत रही और दुश्मन बनते रहे। कोई भी नज़र नहीं आया जिस को गुरु बना कर आर्ट ऑफ़ लिविंग सीख सकते। पहले मेरी पसंद का गीत पेश है।
लोग सच का सबूत मांगते थे औरों से उनके झूठ पर भी ऐतबार करते हैं आंख बंद कर के। इशारों इशारों में दिल लेने वाले बता ये हुनर तुमने सीखा कहां से। कोई जांच करेगा तो पता चलेगा जनाब के सीने की चर्चा बहुत हुई मगर उस सीने में कोई दिल ही नहीं है। दिल दिया नहीं खोया नहीं दिल सत्ता से लगा तो अपना भी नहीं रहा अब सत्ता ईमान है अरमान है। शोर बहुत है देश को बना दिया महान है सब वही है भगवान है रखवाला है सुलतान है। कहीं कुछ भी अच्छा हुआ नहीं फिर भी कोई सवाल पूछता नहीं , किया क्या है आखिर इस देश की खता क्या है। या इलाही ये माजरा क्या है बेवफ़ा खुद बता वफ़ा क्या है। देश की सेवा कितनी अच्छी है शहंशाह की तरह की हस्ती है। राजसी लिबास शाही अंदाज़ हैं कोई नहीं दूसरा आप ही आप हैं। उसको जो पसंद वही बात करेंगे दिन को रात कहे रात कहेंगे , सूखा है मगर हम सब बरसात कहेंगे। मुर्ख लोग सादगी की बात करते थे बड़े बनकर भी आम आदमी की रहते थे क्या नया फ़लसफ़ा ए शराफत है देखनी है क्या नज़ाकत है। नायक महानायक विश्व सुंदरी खिलाड़ी उद्योगपति कारोबारी सभी उनके सामने भरते हैं पानी , याद दिलवा दी सबको अपनी नानी। कभी सुनी है ऐसी कहानी किसी राजा की थी गरीब रानी , उनकी धुन लगती सबको मस्तानी। कुछ नहीं किया उपकार किया है अपने सब पर सरकार किया है। सब को बुरा बनाया है और खुद अच्छा कहलाया है मगर किसको क्या मिला कोई नहीं जानता है सबको उल्लू क्या बनाया है।
पांच साल से जितना मोदी जी को लेकर लिखा है कभी किसी नेता पर नहीं लिखा। जेपी जी मेरे आदर्श हैं उन पर भी नहीं ,दुष्यंत कुमार पसंद हैं उनको भी लेखन में इतना स्थान नहीं दिया , सत्येंद्र दुबे जैसे सच की खातिर जान देने वालों से सबक सीखा है उनकी बात भी इतनी नहीं कही होगी। मुझे लोग मोदीजी का विरोधी समझने लगे हैं मगर ऐसा है नहीं , समझने लगा युवक था तभी से कड़वा सच लिखने कहने की खराब आदत पड़ गई और कोई अपना पराया नहीं देखा जिसकी बात अनुचित लगी कहने में हिचकिचाहट हुई नहीं। लोग आलोचक उनको मानते हैं जो किसी जैसा बनना चाहते हैं मगर बन नहीं सकते तो अपनी भड़ास निकालते हैं। लेकिन विश्वास करो मुझे राजनीति पसंद नहीं है राजनेता बनना नहीं किसी से कोई होड़ नहीं है बल्कि साफ कहूं तो मोदी जी जैसा तो कदापि नहीं बनना चाहूंगा। बन सकना आसान नहीं की बात नहीं बनना चाहता भी नहीं या और साफ़ इस तरह का तो हर्गिज़ नहीं बनना है। भगवान नहीं करे कभी उनकी जैसी पढ़ाई पढ़ने की नौबत आये।
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