मई 14, 2018

POST : 775 ख़ुदकुशी नहीं की मैंने , मुझे कत्ल किया गया - डॉ लोक सेतिया

  ख़ुदकुशी नहीं की मैंने , मुझे कत्ल किया गया - डॉ लोक सेतिया 

       आपने सही पढ़ा है जनाब , आप ही हैं मेरे कातिल। नाम भी लिखा हुआ है इक खत में पूरी कहानी लिखी है आज ही। मगर आपको चिंता की कोई बात नहीं है। सच लिखा था उस आईएएस अफ़्सर सत्येंदर दुबे ने 15 साल हो जाएंगे 27 नवंबर को। आप जैसे लोग ही थे पी एम ओ ऑफिस भी और भरष्टचारी लोग भी। ईमानदारी गुनाह है। इक कहानी याद आई है। इक राजा का राजकुमार गुरु के पास शिक्षा पाने गया हुआ था , शिक्षा पूरी होने के समय खुद राजा गया गुरु के आश्रम में राजकुमार को ले जाने को। पूछा गुरु जी शिक्षा पूरी हो गई है तो राजकुमार को ले जा सकते हैं। गुरु जी ने कहा आप गुरुकुल के बाहर इंतज़ार करें अभी शिक्षा पूरी कर भेजता हूं।

        राजकुमार को गुरु जी ने बुलाया और कहा आपके पिता आपको राजमहल ले जाने आये हैं और अब आप जा सकते हैं। राजकुमार झुका गुरु जी को प्रणाम किया और तभी गुरु जी ने अपने पास रखी छड़ी लेकर राजकुमार की पीठ पर मार दी। राजकुमार दर्द से भीतर तक कंपकपा गया। मगर गुरु जी को कुछ कह नहीं सकता था यही सीखा था नियम था। राजकुमार को सज़ा मिली कोई नहीं जनता था , उसने पिता राजा को भी नहीं बताया। किस बात की सज़ा मिली सोचता रहा।

            सालों बाद जब राजकुमार राजा बन गया तब उसने गुरु जी को सादर आमंत्रित किया दरबार में असीस देने को। जब गुरु जी आये तो परनाम करने के बाद कहा गुरु जी इक सवाल आपसे पूछना है अगर अनुमति दें तो। गुरु जी बोले ज़रूर पूछो। राजा बन चुका राजकुमार बोला आपने आखिरी दिन मुझे पीठ पर छड़ी से मारा था , मैं नहीं जनता मेरा क्या कसूर रहा होगा। गुरु जी बोले राजन वो कोई सज़ा नहीं थी न ही तुमने कोई अपराध ही किया था। वो आखिरी सबक था , मुझे पता था आपने आगे चलकर इक दिन पिता की जगह राजा बनना है। आपने सभी को अपराधों की सज़ा भी देनी होगी , मगर निर्णय करते समय आपको याद रहेगा कि किसी बेगुनाह को सज़ा मिल जाए तो वो कभी नहीं भूलता है। इसलिए आपको कभी किसी को भी गलती से ऐसे दंड नहीं देना है। न्याय करने वाले को इसका आभास होना ज़रूरी है कि किसी को अकारण दंडित नहीं किया जाये।  

               मुझे कुछ भी नहीं कहना आपसे , इतना ही चाहता हूं आप गुनहगारों को छोड़ आम नागरिक को सज़ाएं देने का काम नहीं करें। कानून के अनुसार जुर्म करने से किसी को अपने अधिकारों से दंडित करना अधिक बड़ा पाप है। पाप की सज़ा ऊपर वाला देता है मगर उसकी लाठी बेआवाज़ होती है। देश की सरकार राज्य की सरकार को समझना होगा अन्याय करने वालों की कहानियां भूलती नहीं। 

 

2 टिप्‍पणियां:

HARSHVARDHAN ने कहा…

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जन्म दिवस - मृणाल सेन और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

पते की बात कही है .