मई 30, 2018

POST : 793 तुझे किस बात का डर है ( चिंतन ) डॉ लोक सेतिया

       तुझे किस बात का डर है ( चिंतन ) डॉ लोक सेतिया 

   गीता गीता रटते हो गीता को पढ़ा नहीं और पढ़ा भी तो समझा नहीं। पहली बात अत्याचारी अन्याय करने वाले लोग कभी शूरवीर नहीं होते हैं। कायर होते हैं डरे हुए होते हैं। आज जिस से डर रहे हो सच बोल नहीं सकते वो भी डरा हुआ है। उसे शिखर से गिरने का डर उसी पल से है जब से वो शिखर पर चढ़ गया था। हम नहीं जानते वो तब भी घबराया हुआ था। उसके पीछे इक भूत का डर था और उसी डर से भागता भागता वो शिखर पर जा पहुंचा था। सब को दिखलाता है मैंने कहां से कहां पहुंच गया मगर खुद अभी तक उसी अतीत वाले भूत का खौफ बाकी है। उसे अभी घबराहट है और भीतर से अंदेशा है कि जैसे पहले बहुत लोगों के साथ होता रहा है , ऊंचाई से नीचे गिरने का , आकाश से पाताल का सफर बहुत कठिन होता है। शोहरत से बदनामी का रास्ता अकेला कर देता है। गीता समझाती है मौत कुछ नहीं है , हथियार डालना मौत से भयानक है। अत्याचारी से लड़ना साहस की बात है , हार जीत महत्व नहीं रखते। तुम कवि हो वीर रस की कविता लिखना छोड़ इस दौर में खुशबू की फूलों की ज़ुल्फ़ों की आंखों की कविता लिखने लगे , रणछोड़ बन रहे हो। हर पल ही मर रहे हो। 
                           हर ज़ुल्म करने वाला जब हद से अधिक क्रूर हो जाता है तभी उसका अंत आता है। याद करो तानाशाहों के ज़ुल्म ही आज़ादी की आधारशिला रखा करते हैं। पापी के पाप का घड़ा भरता है तभी फूटता भी है। भूल गये जब तोप मुकाबिल हो कलम उठाओ , तलवार कभी जीती नहीं कलम से। अपने अंदर आग भर कर अपने शब्दों की ज्वाला से रौशन कर दो अंधेरे में डूबी महफिलों को। सौ बरस कायर बनकर जीने से बेहतर है कुछ दिन निडरता से साहसी बनकर जी लेना।

वो पहन कर कफ़न निकलते हैं ,
शख्स जो सच की राह चलते हैं। 

राहे मंज़िल में उनको होश कहाँ ,
खार चुभते हैं , पांव जलते हैं। 

गुज़रे बाज़ार से वो बेचारे ,
जेबें खाली हैं , दिल मचलते हैं।

जानते हैं वो खुद से बढ़ के उन्हें ,
कह के नादाँ उन्हें जो चलते हैं। 

जान रखते हैं वो हथेली पर ,
मौत क़दमों तले कुचलते हैं। 

कीमत उनकी लगाओगे कैसे ,
लाख लालच दो कब फिसलते हैं। 

टालते हैं हसीं में  वो उनको ,
ज़ख्म जो उनके दिल में पलते हैं। 

अपनी ही ग़ज़ल को दोबारा दोहराता हूं , फिर से गुनगुनाता हूं।  

सच की राह का मुसाफिर हूं , झूठ से टकराना है टकराता हूं। 


 

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