अगस्त 23, 2017

हर कोई परेशान क्यों है ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया

        हर कोई परेशान क्यों है ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया 

          लोग परेशान हैं , सब की अपनी अपनी चिंता है। एक महान संत कहलाने वाले पर मुकदमा चल रहा है और फैसला घोषित होना है। उस के अनुयायी कुर्बानी देने को तैयार हैं , अपने गुरु को जेल नहीं जाने देंगे। पुलिस और सरकार भी मुस्तैद है भीड़ से निपटने को सुरक्षा बल मंगवा लिए गए हैं। मैं सोच रहा हूं क्या ये सब जानते हैं अदालत उसको अपराधी बताएगी और सज़ा देगी। अभी तक सब बड़े बड़े लोग यही कहते आये हैं उनको अदालत पर भरोसा है और न्याय की उम्मीद है। और देखता आया सभी को ज़मानत मिल गई , बेगुनाही साबित हो गई और क्लीन चिट लेकर फिर और भी बड़े बन गए। अब अगर अदालत का फैसला वो नहीं हो जो सब मानते हैं और आशा करते हैं , तब क्या होगा। क्या उसको दोषी साबित नहीं होने के फैसले की कोई उम्मीद नहीं जिनको वो इस पर निराश हो जाएंगे। 
 
        कल तीन तलाक पर अदालत का फैसला आया कि ये असंवैधानिक है। जो अपनी विवाहिता पत्नी को छोड़ आया था बस इतना कहकर कि तेरा मेरा रिश्ता खत्म वो महिलाओं के हक की बात करता है। शायद मुस्लिम महिलाओं की चिंता से वोट मिलने की उम्मीद अधिक है। वो बेचारी तो गाय है बिना खूंटे से बंधी हुई। हरियाणा सब से आगे है। हरियाणा के विज़न डॉक्यूमेंट 2030 में महिलाओं की वर्तमान दशा उजागर हुई है। खुद पुलिस विभाग के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में 73 फीसदी आपराधिक घटनाएं महिलाओं के खिलाफ प्रति लाख जनसंख्या पर हो रही हैं। जो देश की औसत से बीस प्रतिशत ज़्यादा हैं। हर तीसरी महिला पति द्वारा ज़ुल्म की शिकार है। बच्चों के खिलाफ भी हरियाणा में प्रति लाख जनसंख्या पर 27. 4 फीसदी अपराध होते हैं जबकि देश में 20. 1 फीसदी। हिंसा की घटनाओं में देश की औसत 26. 6 है और हरियाणा की 37 है। 
 
          सरकार के अरबों खर्च कर टीवी वालों को मालामाल कर दिया , एड्स रोगी से भेदभाव नहीं करने और एड्स से बचाव पर जागरूकता के। चंडीगढ़ के प्रतिष्ठित पी जी आई में इक नवजात शिशु को पीलिया होने पर खून चढ़ाया गया जो एड्स के कीटाणु युक्त था। यमुनानगर में उस नवजात को खुद माता पिता छूना नहीं चाहते बाकी लोग क्या करेंगे क्या बताएं। सामने होते अपराध को नहीं देखने वाली पुलिस सरकार और विभाग गली गली गांव गांव जाकर भाषण दे रहे हैं कि आप घबराना नहीं हम किसी को दंगा नहीं करने देंगे। ये वही सरकार है जो पिछले दंगा करने वालों के खिलाफ दायर मुकदमें वापस लेना चाहती थी मगर अदालत नहीं मानी। सब हाथी के दांत वाले लोग हैं , खाने को अलग दिखाने को अलग। मिडिया वालों को हर दिन इक विषय चाहिए बहस कराने को दिन भर और कुछ गिने चुने लोग हर बात पर चर्चा को तैयार हैं। देश दुनिया की बाकी कोई खबर ही नहीं है। इक दिन बाढ़ इक दिन रेल दुर्घटना इक दिन अदालती फैसला अगले दिन की भी पहले से तयारी की हुई है। अपराधी घोषित होने पर भी हैं बहस वाले और अपराध साबित नहीं होने पर भी। चलो आप भी सोशल मीडिया पर समय बर्बाद करो , बाकी सब ठीक ठाक है। 

 

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