नवंबर 22, 2016

POST : 566 कैसे होते हैं अच्छे दिन सरकार जी ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया

    कैसे होते हैं अच्छे दिन सरकार जी ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया

  तीस महीने से इंतज़ार था जिनका क्या वही अच्छे दिन हैं आजकल , जनता सोच रही है कतार में खड़ी । नेता लोग टीवी पर बहस में उलझे हैं ताकि जनता को अपनी अपनी परिभाषा समझा सकें कि अच्छे दिन होने का मतलब क्या है । ऐसे में लोग हर बात को बेबस हैं और समझ रहे हैं जीवन का सार क्या है , कुछ भी हो सकता है अनुपम खेर जी बताया करते हैं । मौत की बात करना बुज़दिली है , मौत आनी है आयेगी इक दिन , कब कहां कैसे क्या फर्क पड़ता है । जनता का जीना मरना यूं भी इक आंकड़े से अधिक कुछ नहीं होता । रोज़ बिना वजह मरना ही जनता की नियति है । ये टीवी वाले भी जले पर नमक छिड़कते हैं , जब सरकार जनता को दो हज़ार रुपये का महत्व समझा रही है तब खबर वाले बताते हैं एक एक सांसद एक एक विधायक एक एक मंत्री पर कितना खर्च हर दिन हर महीने हर साल होता है । आह भर सकते हैं आप , काश ऐसी देश सेवा का अवसर आपको भी मिल जाये । अच्छे दिन की सही परिभाषा अब समझ आई है , हम ने पहले ही बता दिया था , जिनको सत्ता मिली उनके अच्छे दिन हैं । थोड़ा कमी रह गई जो ये नहीं समझे कि सत्ता नहीं भी रही जिनकी उनके भी दिन बुरे नहीं हैं । ये बारी बारी का खेल है , पहले उनकी टीम बॉलिंग कर रही थी इनकी फीलडिंग , अब उल्टा है । खेल खेल भावना से खेलते हैं दोनों , जनता दर्शक बन भले किसी की जीत किसी की हार से खुश हो या दुखी हो । खेल में भी सब से अधिक महत्व पैसे का होता है , और पैसा दोनों टीमों को मिलता है चाहे जीतें या हारें । नेताओं का ठाठ बाठ बराबर है इधर भी उधर भी । जनता ज़िंदा रहे या मरे राजनेता सलामत रहने चाहिएं । मुझे तो लगता है मौत भगवान की मर्ज़ी नहीं सरकार की अनुकंपा से मिला वरदान भी हो तो बुरा क्या है । मेरा इक शेर अर्ज़ है :-

                                        " मौत तो दर असल एक सौगात है ,

                                         पर सभी ने उसे हादिसा कह दिया। "

                                       
            अच्छे दिन की बात स्वर्ग की बात होती है , स्वर्ग मौत के बाद ही मिलता है । स्वर्ग की कामना भी करते हो और मरना भी नहीं चाहते ये भला कैसे मुमकिन है । ज़िंदा रहते स्वर्ग का सुख केवल राजनेताओं को मिलता है , जनता के लिये ये धरती नर्क है तो नेताओं के लिये स्वर्ग । जो उपदेश देते हैं धर्म का वो साधु संत महात्मा और गुरु भी खुद मोह माया काम क्रोध लोभ अहंकार का त्याग नहीं करते , आपने देखा नहीं क्या । वास्तव में जिनको नर्क का भय नहीं है वही जो मर्ज़ी करते और स्वर्ग का सुख पाते हैं । पाप पुण्य में उलझे लोग स्वर्ग की राह देखते रहते हैं तब भी मानते हैं कि उनके बाद कोई उनकी खातिर दान आदि पूजा पाठ या अन्य कर्म करेगा तभी स्वर्ग मिलेगा । खुद पर भरोसा नहीं हो तो कुछ भी नहीं मिलता है , न स्वर्ग न ही अच्छे दिन  ।  ये बातें लोग आजकल भूल गये हैं , पहले याद रखते थे । मुझे दादा जी बताया करते थे अपने बाग होते थे आमों के और क्या बात होती थी उन दिनों । पिता जी को इक पैसा जेब खर्च मिलता था और वो झोला भर मिठाई खरीद लिया करते थे । पांच रुपये वेतन वाला क्या शान से रहता था , क्या ज़माना था , ये कहानियां सुना करते थे हम हैरान होकर । आज सब सामने है ज़रा दूसरे ढंग से , पिछले महीने जो लाख रुपये की कद्र नहीं करते थे आज हज़ार की कीमत समझने लगे हैं । यार क्या दिन थे और कैसे दिन आ गये हैं ।

       चलो कुछ अच्छी बातें करते हैं , सोचो अच्छे दिन कैसे होंगे अगर कभी आये तो । मेरा इक सपना है अच्छे दिनों का , वो बताता हूं आपको । जब कोई बड़ा कोई छोटा नहीं होगा , कोई शासक कोई जनता नहीं होगा , कोई धनवान कोई गरीब नहीं होगा , न कोई भूखा होगा न किसी के पास ज़रूरत से अधिक खाने को , कोई ताकतवर नहीं होगा न ही कोई कमज़ोर , सभी को सब बराबर हासिल होगा , कोई आम नहीं होगा न ही कोई ख़ास , कोई किसी से अधिकार की न्याय की भीख नहीं मांगेगा जिस दिन वही होंगे अच्छे दिन । 
 
                      चलो इक पुराना गीत गुनगुनाते हैं :-

               वो सुबह कभी तो आएगी , वो सुबह कभी तो आएगी ,

               जब अंबर झूम के नाचेगा जब धरती नग्में गाएगी ,

               वो सुबह कभी तो आएगी ।

               माना कि अभी तेरे मेरे अरमानों की कीमत कुछ भी नहीं ,

               मिट्टी का भी है कुछ मोल मगर इंसानों की कीमत कुछ भी नहीं ,

               इंसानों की इज़्जत जब खोटे सिक्कों में न तोली जाएगी

              वो सुबह कभी तो आएगी , वो सुबह कभी तो आएगी । 

 Sahir Ludhianvi Nazm Wo Subah Kabhi Toh Ayegi - Amar Ujala Kavya - बेहतर  समाज की उम्मीद जगाती है साहिर की नज़्म 'वो सुब्ह कभी तो आएगी'

1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

👍👌बढ़िया आलेख