जून 03, 2013

POST : 342 अब सभी को खबर हो गई ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

अब सभी को खबर हो गई ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

अब सभी को खबर हो गई
बेहयाई हुनर हो गई ।

ख़त्म रिश्ते सभी कर लिये
बेरुखी इस कदर हो गई ।

साथ कोई नहीं जब चला
शायरी हमसफ़र हो गई ।

आपने ज़ुल्म इतने किये
हर ख़ुशी दर बदर हो गई ।

कल अचानक मुलाकात इक
फिर उसी मोड़ पर हो गई ।

आज नीची किसी की नज़र
क्यों हमें देखकर हो गई ।

और "तनहा" नहीं कुछ हुआ
जुस्तजू बेअसर हो गई । 
 

 

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