सितम रोज़ दुनिया के सहते रहेंगे ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"
सितम रोज़ दुनिया के सहते रहेंगेनहीं पर शिकायत कभी कर सकेंगे।
तेरा शहर गलियां तेरी छोड़ देंगे
नहीं अब कभी आपसे हम मिलेंगे।
कहें और क्या हम यही बस है कहना
तुम्हें खुश रखे हम खुदा से कहेंगे।
मिली ज़िंदगी मांगते मौत रहते
हैं ज़िन्दा नहीं हम , न हम मर सकेंगे।
न कोई भी मंज़िल न कोई ठिकाना
चले रास्ते जिस तरफ चल पड़ेंगे।
मेरे दिल के टुकड़े हज़ारों ही होंगे
किसी दिन तेरा तीर खाकर मरेंगे।
बुझानी हमें प्यास "तनहा" सभी की
सभी जाम खाली हुए हम भरेंगे।
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