जून 20, 2013

सितम रोज़ दुनिया के सहते रहेंगे ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

 सितम रोज़ दुनिया के सहते रहेंगे ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

सितम रोज़ दुनिया के सहते रहेंगे
नहीं पर शिकायत कभी कर सकेंगे ।

तेरा शहर गलियां तेरी छोड़ देंगे
नहीं अब कभी आपसे हम मिलेंगे ।

कहें और क्या हम यही बस है कहना
तुम्हें खुश रखे हम खुदा से कहेंगे ।

मिली ज़िंदगी मांगते मौत रहते
हैं ज़िन्दा नहीं हम , न हम मर सकेंगे ।

न कोई भी मंज़िल न कोई ठिकाना
चले रास्ते जिस तरफ चल पड़ेंगे ।

मेरे दिल के टुकड़े हज़ारों ही होंगे
किसी दिन तेरा तीर खाकर मरेंगे ।

बुझानी हमें प्यास "तनहा" सभी की
सभी जाम खाली हुए हम भरेंगे । 
 

 

कोई टिप्पणी नहीं: