कह रहे कुछ लोग उनको भले सरकार हैं ( ग़ज़ल )
डॉ लोक सेतिया "तनहा"
कह रहे कुछ लोग उनको भले सरकार हैंतुम परखना मत कभी खोखले किरदार हैं ।
छोड़कर ईमान को लोग नेता बन गये
दो टके के लोग तक बन गये सरदार हैं ।
देखकर तूफ़ान को, छोड़ दी पतवार तक
डूबने के बन गये अब सभी आसार हैं ।
फेर ली उसने नज़र, देखकर आता हमें
इस कदर रूठे हुए आजकल दिलदार हैं ।
पास पहली बार आये हमारे मेहरबां
और फिर कहने लगे फासले दरकार हैं ।
हम समझते हैं अदाएं हसीनों की सभी
आपके इनकार में भी छुपे इकरार हैं ।
गैर जब अपने बने, तब यही "तनहा" कहा
ज़िंदगी तुझसे हुए आज हम दो चार हैं ।
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