अप्रैल 13, 2013

नासमझ कौन है ( कविता ) डॉ लोक सेतिया

नासमझ कौन है ( कविता ) डॉ लोक सेतिया

और कितना
और क्या क्या
और कौन कौन
और कब तक
मुझे समझाते रहेंगे
और कितने लोग ।

क्यों आखिर क्यों
आप समझते हैं
समझता नहीं मैं कुछ भी
और सब कुछ समझते हैं
सिर्फ आप
हमेशा आप ।

चलो माना
हां मान लिया मैंने
समझदार होंगे सभी लोग ।

लेकिन क्या
आपको है अधिकार
किसी को
नासमझ कहने का ।

खुद को समझदार कहने वालो
शायद पहले
समझ लो इक बात ।

किसी और को
नासमझ समझना
समझदारी नहीं हो सकता ।  
 



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