जून 22, 2023

POST : 1683 अंधेरों में शमां रौशन करेंगे हम ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा '

  अंधेरों में शमां रौशन करेंगे हम ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा ' 

अंधेरों में शमां रौशन करेंगे हम 
चढ़ा दो आप सूली पर चढ़ेंगे हम । 
 
बड़ा ही बेरहम बेदर्द ज़ालिम है 
जो है क़ातिल मसीहा क्यों कहेंगे हम ।  

नहीं पीना दवा के नाम पर विष को 
नहीं बेमौत ऐसे तो मरेंगे हम । 

किसी आकाश से मांगे इजाज़त क्या 
परों को खोलकर अपने उड़ेंगे हम । 
 
समझने लग गया जैसे ख़ुदा तू है 
तुम्हारे इस सलीके पर हंसेंगे हम ।
 
है बढ़ते कारवां को रोकना मुश्क़िल 
जंज़ीरें तोड़ कर अपनी चलेंगे हम । 
 
नहीं तूफ़ान से डरता कभी ' तनहा '
बदलते मौसमों से क्या रुकेंगे हम ।   




 

6 टिप्‍पणियां:

Sanjaytanha ने कहा…

Bahut bdhiya sher hue hn 👌👍

Sanjaytanha ने कहा…

👍

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (24-06-2023) को   "गगन में छा गये बादल"  (चर्चा अंक 4669)   पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Onkar ने कहा…


बहुत अच्‍छी प्रस्‍तुति

Rupa Singh ने कहा…

वाह! बहुत खूब।

Sudha Devrani ने कहा…

वाह!!!
लाजवाब सृजन ।