मई 25, 2023

बुद्धूराजा की समझदारी ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया

     बुद्धूराजा की समझदारी ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया  

 पहले ठीक से पहचान को जान लेते हैं सभी बंदे एक समान होते हैं कुछ अनजान कुछ नादान होते हैं । दिमाग़ सभी का बराबर होता है अंतर होता है किस का दिमाग़ कैसे चलता है , जैसे किसी को ऊंचाई से डर लगता है कोई पहाड़ों की सैर को तरसता है । दिमाग़ की बात किसी मशीन जैसी है कोई कैसे घूमती चलती है कोई और तरह से काम करती है । चढ़ाई और फ़िसलन या ढलान पर हर शख़्स कदम संभल संभल कर रखता है कोई पहले बात को समझता परखता है कोई बिना चिंता जो चाहे करता है । बुद्धिमानों की परेशानी है उनको याद हमेशा रहती नानी की कहानी है इक दूजे से बहस करते हैं एकमत नहीं होते खुद को सही समझते हैं । मूर्खों की बात खूब होती है कोई दूजे को बड़ा छोटा नहीं समझता है अपनी अपनी मूर्खताओं पे सभी गर्व करते हैं बस बुद्धिमानों से ज़रा डरते हैं क्योंकि वही झगड़ा बढ़ाते हैं मूर्ख एकता बनाए रखते हैं अपनी मर्ज़ी से आगे चलते जाते हैं ।

  नासमझ और मूर्ख अलग अलग होते हैं मूर्ख अपनी मूर्खता पर गर्व का अनुभव करते हैं नासमझ को समझाना मुमकिन है मूर्खों को मनाना दुश्वार है । मूर्खों की अपनी दुनिया है उनका अपना कारोबार है बड़ी मुद्दत बाद बन सकी उनकी सरकार है । ये चर्चा बेकार है कौन कितना बड़ा मूर्ख है कौन कितना बड़ा समझदार है । बुद्धूराजा कोई और नहीं मूर्खों का सरदार है । दुनिया में समझदार और बुद्धिमान हमेशा संख्या में कम होते हैं मगर शासन हमेशा उन्हीं का रहता था । बुद्धिमान मूर्खों को बड़ी आसानी से खुद पर उनका शासन करने को राज़ी कर लेते थे । लेकिन भाग्य रेखा में राजयोग अंकित था इसलिए अधिकांश मूर्खों ने बुद्धिमान लोगों को पछाड़ अपने बीच से सबसे मंदबुद्धि को अपना राजा चुन लिया था । बुद्धूराजा ने पहला काम यही किया कि सब मूर्खों को आदेश दे दिया कि आपको कुछ भी नहीं करना है सिर्फ दो बातें करते रहना है पहली जितने बुद्धिमान शासक हुए हैं उन सब को बुरा साबित करना बदनाम करना और दूसरा मुझे सबसे अच्छा और काबिल घोषित कर मेरा गुणगान करना । सबने धार्मिक कथाओं में ऐसा पढ़ा था कि देवी देवता भी यही समझाते थे जो मेरा शिष्य बन मुझ पर आस्था रखेगा और मेरे नाम का जाप कर माला फेरेगा दिन रात उन लोगों का कल्याण होगा सब मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होंगी । बुद्धिमान लोगों की मज़बूत बुनियाद पर निर्मित ऊंची इमारतों को और ऊपर करने को उनकी बुनियाद को ही हटाने की आवश्यकता है ये बात बुद्धूराजा ने अपने सभी चाहने वालों को समझाई । सभी महलों भवनों के नीचे से कोई सुरंग खुदवाना शुरू कर दिया बुनियाद खोखली होती गई इमारतें ध्वस्त होती रहीं और बुद्धूराजा के प्रशंसक विकास हो रहा है बताकर अपने शासक की बढ़ाई करते रहे । सोशल मीडिया पर चूहादौड़ का खेल जारी है कोई नहीं जानता खुद कितना बीमार है यही समस्या है चाटुकारिता गुलामी इक लाईलाज मानसिक बिमारी है । मसीहा कहलाता है वही अत्याचारी है चोर पुलिस कानून अदालत सभी की इक दूजे से यारी है सबका धर्म एक है सबकी आदत करना मक्कारी है । अपनी जान सब को प्यारी है । 

  बुद्धूराजा ने ऐलान किया है मूर्खों का कद बढ़ाना है सिर्फ एक शहर एक राज्य एक देश नहीं सब दुनिया पर अपना झंडा फहराना है । समझदारों से पिंड छुड़ाना है अपना सिक्का चलाना है समझदारी का खोटा सिक्का निपटाना है जब अपने हाथ खज़ाना है फिर किस बात को शर्माना है । रोज़ कुछ अनचाहा घटता और हर बार बुद्धूराजा इक जश्न मनाता और कहता कि जो भी होता है अच्छे के लिए होता है विनाश करने से अनुभव मिलता है विकास का अर्थ मालूम पड़ता है । बुद्धूराजा के समर्थक कुछ भी तर्कसंगत ढंग से विचार नहीं करते जो उनका शासक कहता उसे ही सच मानते । बुद्धूराजा झूठ पर झूठ बोलने का कीर्तिमान बनाता रहा और बर्बादी का भी जश्न मनाते रहा । ये बात खुद उसी ने बताई है बुद्धूराजा ने अपनी आत्मकथा लिखवाई है बात बिल्कुल पक्की है खीर अभी कच्ची है दोनों हाथ घी में सर है कढ़ाई में कौन तीन में है कौन ढाई में फर्क होता है कागज़ की नाव में और काली कलम की स्याही में । दुनिया मूर्खों का सबसे बड़ा बाज़ार है शासक भले मूर्ख है पर बड़ा होशियार है उसका अपना संविधान है कोई उस के बराबर नहीं वो सबसे महान है सभी कमज़ोर हैं इक वही बलवान है । दुनिया शोर को सच मानती है शोर की यही पहचान है चोर संग दोस्ती साहूकार संग भाईचारा भी नादान हर इंसान है । मूखों ने बुद्धिमानों की राह से विपरीत जाना है देश को मूर्खों का स्वर्ग बनाना है समझदारी बुद्धिमानी सोच समझ सभी से पीछा छुड़ाना है । नया ज़माना लाना है टके सेर भाजी टके सेर खाजा का इतहास दोहराना है हर मुसीबत को घर बुलाना है हर पेड़ की डाल डाल शाख शाख पर मूर्खों को बिठाना है उल्लू राज का युग वापस लाना है । समझदारी है आजकल यही सबको बुद्धू बनाना है हमने मौज मनाना है अपना सच्चा याराना है मिल बांट कर खाना है बस इक यही वादा निभाना है ।

 

 

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