आपने सौ इल्ज़ाम लगाए ( जाने वाले की बात ) डॉ लोक सेतिया
मेरा नाम इतना बदनाम हुआ मगर क्यों हुआ मेरा कसूर क्या है। पता नहीं मेरे बाद आने वाले को खबर भी है कि नहीं कि उसके आने पर स्वागत होगा या आशंका या आखिर तक उसको भी चिंता रहेगी। अच्छा है कुछ ले जाने से देकर ही कुछ जाना चल उड़ जा रे पंछी। जाते जाते बड़े भारी मन से गुज़रा हुआ साल समझना चाहता है आखिर साल भर उसको कितना खराब बताया जाता रहा तो समय ने करवट ली और जो भी हुआ उस का दोष केवल वर्ष पर धरना क्या वास्तव में उचित है। ये कैसा चलन है निराधार ही किसी को इतने बड़े गुनाह का दोषी ठहराया जाये। क्या कोई नववर्ष या दिन महीना अपने साथ कुछ अच्छा बुरा लेकर आता है। आपने शायद इस बात को नहीं समझा होगा कि जिस किसी को हर दिन पल पल कोई हिक़ारत से देखता है अपशब्द उपयोग करता उसके लिए निरंतर वो जीते हुए मर जाता है। किसी देश में लोग पेड़ों को कभी नहीं काटते हैं मगर कभी कोई पेड़ रास्ते में रुकावट लगता है और उसको हटाना चाहते हैं तब नियमित हर दिन उस गांव या नगर वाले उसके करीब जाकर घेर कर खड़े हो उसको गलियां देते हैं और कहते हैं कुछ दिन में वह पेड़ अपने आप सूख कर मर जाता है। उस पेड़ को भी शायद मेरी तरह समझ नहीं आता होगा क्यों उस से इतनी नफरत लोग करते हैं। दुनिया को बेशक जाने वाले वर्ष में कितना खराब अनुभव रहा हो मगर दुनिया भर के लोगों की नफरत ने जाने से पहले उसे ज्याला में जला दिया है।
खैर जो हुआ सो हुआ फिर भी आपको साल की संख्या गिनती को दोषी समझ सज़ा देनी है तो अभी दो दिन हैं सोच लो आपको कौन सी संख्या वाला साल अच्छा लगता है उसी को बुलवा लो शायद भविष्य को नहीं जानते तो कोई गुज़रा साल आपकी ज़िंदगी का सुनहरा काल रहा हो वापस वहीं से शुरआत कर सकते हैं। आपसे तय नहीं हो सके तो जिनसे भविष्यवाणी पूछते हैं उन्हीं से पूछ लो कौन सा वर्ष अच्छा होगा। आप की सरकारें बहुत दावे किया करती हैं अमुक संख्या वाले वर्ष तक देश दुनिया को बदलकर स्वर्ग जैसा बना देंगे अभी क्यों नहीं उसी संख्या के वर्ष को शुरू किया जाये। कठिनाई कोई नहीं है उनके बारे में सब मुमकिन है भरोसा है अब उनको इक नया अध्यादेश जारी करना है कि जाने वाले वर्ष के बाद किस को बुलावा देना है।
हंसी मज़ाक की बात नहीं है कौन है जिसने ये कल्पना नहीं की होगी कि काश हम अपनी ज़िंदगी की शुरुआत फिर से किसी बचपन या जवानी के साल से कर सकते तो जो किया है पिछले जीवन में सब अलग ढंग से किया होता। कोई अमीरी कोई हाथ से निकली सत्ता या किसी प्यार को फिर हासिल करना चाहता और कोई पढ़ लिख कर ज़िंदगी बर्बाद होने की भूल सुधार अपराध गुंडागर्दी करना चाहता ताकि भविष्य में राजनीति में सफल हो सके। ज़िंदगी भर ईमानदारी करने वाला झूठ और धोखाधड़ी के रंग ढंग समझने की बात करता। ये तो पक्की बात है ऐसे बहुत लोग होते जो अपनी पत्नी को छोड़कर चले जाते या पत्नियां भी पति को ठोकर लगाकर सुख चैन से अकेली रहना पसंद करती। समस्या शादी की भी बाद में पता चलता है आगे कुछ भी हो सकता है और ठीक ऐसे आने वाले वर्ष का भी जश्न मनाते हैं जैसे दुल्हन मिलनी है या सपनों का राजकुमार आएगा घोड़े पर सवार हो मगर नसीब में मिलता वही है जो सोचा नहीं होता है। नववर्ष कहेगा आने से पहले बताओ क्या हसरत है बुलाने से पहले क्योंकि खोना भी पड़ता है पाने से पहले।
1 टिप्पणी:
सार्थक प्रस्तुति।
आने वाले नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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