मई 26, 2019

कुछ सुझाव हैं सरकार अगर सोचे ( आलेख ) डॉ लोक सेतिया

  कुछ सुझाव हैं सरकार अगर सोचे ( आलेख ) डॉ लोक सेतिया 

                                ये अलग बात है बाहर से बना है जोगी ,

                         आज के दौर में हर शख़्स है रावण की तरह। 

        ये शेर है अपने हरियाणा के ही निवासी डॉ एस पी शर्मा "तफ्ता" जी का कहा हुआ। पिछली पोस्ट से बात निकली थी सियासत मुहब्बत और इबादत की तो गुरु जी की ताज़मीनों का ज़िक्र किया था। इस शेर पर भी उनकी तज़मीनों की बात है उनकी किताब में ज़रा समझते हैं आर पी महरिष जी क्या बतलाते हैं। 

जिसको देखो वही हिर्सो - हवा का रोगी
है सदाचार के बहरूप में कोई भोगी 
उसकी साज़िश का शिकार आज भी सीता होगी।

ये अलग बात है बाहर से बना है जोगी ,  

आज के दौर में हर शख़्स है रावण की तरह।

        यूं ही ये बात अच्छी लगी तो सांझी की है जबकि विषय बेहद संजीदा बात है जो इक अदने से नाचीज़ लिखने वाले अनाम से लेखक का सब जानने समझने वाली सरकार को सलाह देने की इक कोशिश है। वादे भूल जाते हैं कोशिशें कामयाब हो जाती हैं अमिताभ बच्चन इक नायिका से बुलाते हुए डायलॉग बोलते हैं बात शराबी की है मगर सच साबित होती है देर से सही नायिका चली आती है। सरकार भी क्या खबर बहरी होते भी सुन ले और मान जाये उम्मीद पर दुनिया चलती है। कोई बहुत बड़ी और कठिन मांगे नहीं हैं बस सुझाव है वो भी पढ़ाई पढ़ाने का। चलो सीधे सीधे सुझाव रखते हैं। 

          आप अच्छे हैं सब कहते हैं हम भी मान ही लेते हैं अब स्वीकार करने के सिवा कोई विकल्प बचा कहां है जनाब। आप अच्छे हैं ज़माना खराब। आपको बहुत कुछ करना भी होगा और बहुत नहीं करना मगर किया है बताकर यकीन दिलवाना भी होगा , बहुत कठिन है डगर पनघट की। मगर ये इक काम करने में आपको कोई कठिनाई नहीं होने वाली। तमाम तरह की पढ़ाई पढ़ाने को पाठशाला  हैं बस नहीं हैं तो इश्क़ मुहब्बत प्यार की पढ़ाई सच्ची इबादत की शिक्षा और सबसे ज़रूरी सियासत की पढ़ाई की पाठशाला कॉलेज और स्कूल कहीं नहीं मिलती है। यकीनन राजनीति से बढ़कर अच्छा कारोबार कोई नहीं है भले कोई जीते या फिर हारे किसी की रोज़ी रोटी की समस्या नहीं होती है। खूब मुनाफे की कमाई का धंधा है जो दुनिया में कभी भी नहीं हुआ आज तक मंदा है। रोज़गार के अवसर की क्या बात है ये ऐसा शहर है जिसकी सुबह भी हसीन है और रंगीन हर  रात है। कोई शिक्षा किताब की नहीं ज़रूरी है नेताजी बन जाओ फिर जीहज़ूरी ही जीहज़ूरी है। कोई और क्या चाहता है सत्ता जैसी दिलरुबा चाहता है। 

       मुहब्बत की बात सुनकर तलवार मत निकालना ये कोई लैला मजनू की बात नहीं है। आदमी आदमी से प्यार करना सीख ले तो झगड़ा खत्म ही हो जाएगा। नफरत से हासिल हुआ कुछ भी नहीं ऐसे झगड़ने से मिला कुछ भी नहीं। धर्म वालों ने उल्टी शिक्षा पढ़ी भी पढ़ाई भी भाईचारा बनाने को होती है लड़ाई भी। लोग सब देशवासियों से मुहब्बत प्यार ऐतबार करने लग जाएं तो उलझनें हों ही नहीं कहीं मंज़िल की तरफ हों सारी राहें।  कभी पहले नहीं देखा सुना आजकल परेशान हो जाते हैं देश की समस्या सरकार की आलोचना या फिर झूठ को झूठ कहने पर लोग सोशल मीडिया फेसबुक पर बुरा भला गाली गलौच करने के साथ किसी को देश विरोधी कहने तक आ गए हैं। ये कैसा निज़ाम है जिसकी कोई खामी नहीं बता सकता अपनी सोच नहीं रख सकता असहमति ज़ाहिर नहीं कर सकता। कोई गांधी के कातिल की महिमा गाता उसको देशभक्त बताता है कोई अपने धर्म को बदनाम करता है किसी दूसरे धर्म के लोगों से नफरत फैलाने का काम करता है। किसी ने लिखा अमुक जाति के लोग कभी हम को अपने से नीचे कहते थे अब हम उनको सबक सिखा सकते हैं। जिसने गांधी को कत्ल किया उसकी देशभक्ति विदेशी अंग्रेज़ों को छोड़ देती है और ऐसे व्यक्ति को मारने को विवश करती है जो अहिंसा का पुजारी है। ऐसे कातिल का मंदिर बनाने वाले कैसे देशभक्त कहला सकते हैं जो देश के ही लोगों को हिंसा का शिकार करना उचित मानते हैं। जिनको अपने देश के लोगों के सालों पहले किसी और पीढ़ी के लोगों द्वारा कहे अनुचित शब्द ध्यान हैं उनको विदेशी अंग्रेज़ों के हमारे पूर्वजों पर किये अन्याय अत्याचार की बात क्यों नहीं याद आती , उनके लिए तो पलक पावड़े बिछाने लगते हैं। अपने देश के लोगों से नफरत और विदेशी लोगों के दिखावे के आदर को गर्व समझना दोहरे मापदंड हैं। देश की एकता अखंडता के विरुद्ध आचरण देश को विभाजित करने जैसा गुनाह ही है। ऐसी सोच को बदलने की ज़रूरत है और उनको जो नकारात्मक शिक्षा पढ़ाई जाती रही है उसे बदलना ही नहीं रोकना होगा।

        ये बेहद ज़रूरी है हर कोई दिल से हर देशवासी को प्यार और आदर दे। नफरत दिल में लेकर आप इक बिमार समाज की रचना करते हैं। हमने विदेशी शासकों के गुलाम बनाने को माफ़ कर दिया मगर अपने देश के लोगों को लेकर सदियों पुरानी नफरत दिमाग में भरी हुई रखते हैं। किस की गलती है कब किसने ये फिर से शुरू किया इस को छोड़ भविष्य में सदभावना प्यार मुहब्बत से मिलकर देश को बेहतर बनाने की कोशिश की जाये तो कितना अच्छा होगा। कीचड़ से खेलना बंद होना चाहिए जो हो चुका हो चुका उसे दोहराना उचित नहीं है। दीवारें खड़ी करना आसान है बीच की दीवार हटाने का जतन किया जाये इसकी ज़रूरत है। 
 

 

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