सितंबर 01, 2018

नसीब बांचने लगा मैं ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया

      नसीब बांचने लगा मैं ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया 

     किसी ने लिखा था मैं ऐसा बदनसीब हूं कि अगर मैं कफ़न बेचने लगूं तो लोग मरना ही छोड़ देंगे। कुछ ऐसा ही अपने साथ होता रहा है जिस धंधे में हाथ आज़माया उसी में मंदी छा जाती है। और अधिक मत पूछो हाल मेरा बहुत सीधा है सवाल मेरा। पंडित जी को समझ नहीं आया कि आज क्या राय दें फिर भी बहलाने को बोल दिया तुम विश्वास ही नहीं करते ज्योतिष विज्ञान पर इसी कारण सही भविष्यफल मिलता ही नहीं तुम्हारा। ये मारा , मामला समझ गया और चुप चाप चला आया। अपनी दुकान पर नसीब बांचने वाले का बोर्ड तुरंत लगवाया , सही वक़्त पर याद आया। आजकल क्या इस धंधे का मौसम हमेशा सदाबहार रहता है। अभी तक मुझे भी ख्याल नहीं आया था कि मैंने जब जब जिस भी दल की जीत की बात कही वही सच साबित हुई है हमेशा। पंडित जी भी एक दिन बता रहे थे जो सबका नसीब बांचते हैं उनको भी खुद अपना नसीब पता नहीं चलता है ये अटल सत्य है। डॉक्टर अपना उपचार खुद नहीं करते , वकील को भी बचाव को कोई दूसरा वकील ढूंढना पड़ता है , शिक्षक भी किसी और से शिक्षा हासिल करते हैं। यहां तक कि मिठाई बनाने वाले अपनी मिठाई छोड़ किसी और की मंगवा कर खाते हैं। 
 
          इश्तिहार छपवा कर बांट दिये और अपनी घोषित पिछली भविष्यवाणियों का सबूत भी दिया कि फलां फलां से तसदीक़ कर लो , पहले आज़माओ फिर मेरे पास आओ। झूठी निकले भविष्यवाणी तो दुगना वापस ले जाओ। पता नहीं कैसे बात दिल्ली तक जा पहुंची और मुझे दरबार से बुलावा आ गया , सुरक्षा कारणों से खुद नहीं आ सकते थे मज़बूरी ज़ाहिर की। बोहनी की बात थी जाना था चला गया। आप किस तरह भविष्यफल बताते हैं जन्मपत्री देख कर या हाथ और माथे की रेखाओं को देखकर मुझसे पूछा गया। मैंने बताया मैं बिना जन्म समय पत्री देखे ही बता देता हूं और मेरा बताया उपाय भी सौ फीसदी सफल रहता है। आप समझ लो खुदा की दी हुई शफ़ा है। मुझे अपने भविष्यफल का भरोसा है। उन्होंने सवाल किया अगले चुनाव में जीतने का बताओ कोई नुस्खा है। तकदीर रूठी हुई लगती है जनता लगती खफा खफा है। मैंने कहा करोगे तो बहुत आसान सा उपाय लिखा है और उनको वादे के अनुसार लिखित दे दिया क्या मुमकिन है और कैसे मुमकिन होगा। 
 
                 सब को बाहर भेज दिया फिर पूछा क्या आपको भरोसा है जसोदा जी को मनाना कारगर नुस्खा है। मैंने कहा यकीनन मगर आपको इतना आसान लग रहा है जबकि है बेहद कठिन काम। हंसे जनाब कहने लगे रूठे हैं सनम तो फिर क्या है हमको भी मनाना आता है। मैंने कहा मेरा अनुभव थोड़ा अलग है मुझसे बस यही काम नहीं होता है , रूठे रब को मनाना आसान है रूठे यार को मनाना मुश्किल है। वो कहने लगे आपको पता ही नहीं कैसे मनाते हैं पत्नी को , ये बात वो कह रहा है जो कभी पत्नी के साथ रहा ही नहीं। नातजुर्बेकारी के वायस की ये बातें हैं , इस रंग को क्या जाने पूछो तो कभी पी है , मेरा गुनगुनाना सुन कहने लगे आप किधर की बात किधर ले जा रहे हो। शायद मेरे हौसले को आज़मा रहे हो। मैंने कहा ठीक है हाथ कंगन को आरसी क्या चलकर देखते हैं और विशेष विमान से हम पहुंच गए ठिकाने पर। 
 
          जसोदा जी बोलीं आखिर तो वापस लौट ही आये हो , जानती थी इक दिन राजनीति की बेवफ़ाई ही आपको लाएगी इधर। कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे , तब तुम मेरे पास आना महोदय , मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा तुम्हारे लिए। नहीं मैं आपके पास आया नहीं हूं लाया गया हूं , जैसे पिछले चुनाव में गंगा मैया ने बुलाया था इस बार आपकी तपस्या का फल देने का वक़्त आया है। मैं आपको लिवाने आया हूं आप रूठी हुई हो मैं मनाने आया हूं। सोच कर बताओ दिल से भी दिमाग़ से भी काम लोगी तो निर्णय सही होगा। ठीक है आप जलपान करें मैं आपकी बात पर विचार करती हूं। खुश हो गये जनाब इनकार का सवाल ही नहीं है , दिल्ली की गलियां गलियां गलियां मेरी गलियां दिल झूम उठा था। 
 
             घंटा भर बाद फैसले की घड़ी आई जसोदा जी मुस्कराई। मुझे बोली आप कौन हो भाई। मैंने उनको अपनी भविष्यवाणी बताई , डोलती नैया है आप किनारा हैं इसलिए खुद आई है। अपने पति से मुखातिब होकर बोलीं आपको जब पिछले चुनाव में जीतने का विश्वास था तब ये बात क्यों नहीं याद आई। मेरे आंगन में बजती उस दिन भी फिर से शहनाई। आज आये हैं जब हारने की घबराहट मन में है छाई , मन की बात नहीं आपको समझ आई। मगर मैं भारतीय नारी हूं लाख मतभेद हो तब भी छोड़ती नहीं हाथ , निभा सकती हूं आज भी आपका साथ। मानोगे मेरी इक छोटी सी बात। रिश्तों में मत लाओ गंदी राजनीति को , दिन भी बना देती है राजनीति अंधेरी रात। अभी मतलब से आये हो लौट जाओ , आना फिर मन की बात कहने चाहत से। नहीं जाने नहीं दूंगी आपको तब वापस , अभी नहीं रोकती क्योंकि अभी पति नहीं आया है , नेता आया है।  चुनाव हो जाने दो तब सोचना किसे किधर आना है जाना है। ये कोई शर्त नहीं है न ही कोई बहाना है , देखो कितना सुंदर ये छोटा सा आशियाना है। आपको क्या करना है सरकार बनानी है या घर बसाना है। मैं उठकर चला आया दोनों की आपस की बात में रहना उचित नहीं लगा मुझे। मगर मेरा बताया भविष्यफल सच साबित हुआ तो आप भी लाईन में लगे खड़े होंगे मुझसे नसीब पूछने। और मैं सबको उनका नसीब बताऊंगा भले खुद अपना नहीं समझ पाया आज तलक। माफ़ करना टीवी पर आज का भविष्यफल आने वाला है जो कभी सही नहीं होता फिर भी देखना मेरी आदत है। मेरी धर्मपत्नी की सख्त हिदायत है इस बात पर शक कभी नहीं करते हैं। मिलते हैं बाद में।

कोई टिप्पणी नहीं: