जनवरी 10, 2014

भ्रषटाचार के अंत के बाद क्या होगा ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया

  भ्र्ष्टाचार के अंत के बाद क्या होगा ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया

             आखिर देश से भ्रष्टाचार का नामोनिशान मिट ही गया। अब सब जगह हर काम बाकायदा नियम कायदा और जन हित को महत्व देकर पूरी ईमानदारी से होता है। अब आप जब चाहें अपनी मर्ज़ी से प्लाट खरीद कर मकान नहीं बना सकते हैं। आपको सबसे पहले आवास मंत्रालय से अनुमति लेनी होगी , बताना होगा किस सरकारी विभाग से प्लाट आबंटन चाहते हैं अथवा किस बिल्डर से खरीदना चाहते हैं। इसके लिये आपको जानकारी देनी होगी मंत्रालय को कि आपके पास पहले कोई मकान या प्लाट या कोई फ्लैट है अथवा नहीं। अगर है तो कहां कहां कैसे कैसे कितनी जायदाद बना रखी है , कब और किस तरह का पूरा विवरण साथ देना होगा। मंत्रालय विभाग से जांच करवायेगा कि क्या वास्तव में आपको मकान या ज़मीन की आवश्यकता है। कहीं ऐसा तो नहीं कि इससे उन बेघर लोगों का घर बनाना कठिन हो जायेगा , आप जैसे लोगों को कई कई जगह मकान बनाने देने से घर बनाना महंगा हो जाने से , जो देश में सब को मूलभूत सुविधा देने का वादा संविधान करता है। अफ्सरों , सांसदों , विधायकों , मंत्रियों को भी सरकारी आवास तभी उपलब्ध करवाया जायेगा जब वो अपना निजि मकान अगर किसी अन्य जगह है तो उसको सरकार के हवाले कर देंगे ताकि उसको किसी दूसरे सरकारी आदमी को दिया जा सके। वे जब तक मुफ्त के सरकारी आवास में रहेंगे तब तक उनका निजि मकान बिना किसी किराये के सरकार के पास रहेगा। ये सब देश की आवास समस्या को हल करने के लिये लागू की गई निति के अनूरूप ही होगा। अब जब से भ्रष्टाचार मिटा है और सरकार व प्रशासन ईमानदारी से काम करने लगा है ताकि जनता की समस्याओं का शीघ्र अंत हो , तब से जिनके पास ज़रूरत से अधिक धन है उनके लिये नई समस्या खड़ी हो गई है कि इन पैसों का करें क्या।

         अस्प्ताल सरकारी हो चाहे निजि , केवल पैसे वालों का ही ईलाज नहीं किया जा रहा है , जिनकी जेब खाली है उनको भी कायदे से उचित स्वास्थ्य सेवा मिलती है। दूसरी तरफ कुछ धनवान मरीज़ों को बताया जा रहा है कि क्योंकि आपका रोग अधिक गंभीर नहीं है इसलिये आपको अभी दाखिल नहीं किया जा रहा है। बिना दाखिल किये भी आपका ईलाज किया जा सकता है , दाखिल होने के लिये अभी आपको इंतज़ार करना होगा। अब किसी को भी सिर्फ पैसा देने से अच्छा इलाज नहीं मिलता है , जिसको ज़रूरत हो केवल उसी को मिलता है। अब नेता अफ्सर या पत्रकार होने से आप को वी आई पी नहीं माना जायेगा , किसी को भी किसी प्रकार का विशेषाधिकार नहीं मिलेगा। हर नागरिक को समान समझा जाता है अब। पहले जैसे बाकी लोगों को अनदेखा कर आपको प्राथमिकता दी जाती थी अब नहीं मिल रही है।अब चाहे राशनकार्ड बनवाना हो या फिर अपने ड्राइविंग लाइसेंस का नवीनीकरण करवाना हो इनको भी खुद जाना होगा सरकारी कार्यालय और इंतज़ार करना होगा अपनी बारी का। अब कोई नहीं सुनेगा कि आपका समय कितना कीमती है और न ही ये कि आम जनता की तरह इंतज़ार करना आपको अपना अपमान लगता है। आप कोई वाहन चला रहे हों अथवा कोई उद्योग चलाते हों , कोठी - कारखाना जो भी बनाना चाहते हों , सभी नियमों का पूरी तरह पालन करना ही होगा। मनमर्ज़ी करके जुर्माना भरने से अब छूट नहीं सकते हैं। किसी को भी अपनी सुविधा से ऐसा कुछ भी नहीं करने दिया जाता है जिससे बाकी लोगों को परेशानी हो सकती हो। जब चाहे गली या सड़क को रोक नहीं सकते हैं न धार्मिक आयोजन करने के लिये न ही सभा आयोजित करने के लिये और विरोध करने के लिये भी कोई किसी तरह आम जनता को ढाल नहीं बना सकता है। कानून ऐसा होते देख चुपचाप नहीं रहता अब। अब किसी को शोर मचाने और गंदगी फैलाने का भी कोई अधिकार नहीं रह गया , ऐसे हर कदम पर सज़ा मिलती है। अब कभी किसी को कुछ भी विरासत में नहीं मिलेगा न ही सिफारिश से ही। स्कूल कॉलेज में दाखिले से नौकरी तक सब काबलियत से ही मिलेगा , बाप दादा का नाम और पैसा सब आसानी से नहीं दिलवा सकता है।
          
    कहना कठिन है कि राजनैतिक दलों को आसानी होगी या उनकी मुश्किलें अधिक बढ़ जायेंगी। अब उनके लिये सीमा से एक रुपया अधिक भी चुनाव पर खर्च करना मुसीबत बन जायेगा। दोषी पाये जाने पर उनका चुनाव ही रद्द नहीं होगा , उनको सज़ा भी मिलेगी और भविष्य में चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध भी। सब से बड़ी मुश्किल होगी सांसदों विधायकों को मिलने वाली हर वर्ष की कल्याण राशि को खर्च करने की। बिना भ्रष्टाचार किये ये कर पाना जब कठिन लगेगा तब वो खुद ही इस संविधान विरोधी अधिकार को छोड़ना चाहेंगे। जिस दिन से भ्रष्टाचार का अंत हुआ है , मीडिया वालों के दिन खराब आ गये हैं , न उनको ख़बरें मिल रही हैं न काम करने में कोई लुत्फ़ ही आ रहा है। अब कोई नेता कोई अफ्सर उनसे डरता नहीं है , कोई भी सर पर नहीं बिठाता है। वो पहले सी धाक नहीं रही कि प्रैस शब्द लिखवा लिया वाहन पर तो कोई रोक टोक नहीं हो , न ही पत्रकार हैं का परिचय देने से ही सब हाथ जोड़ काम कर देते हैं। अब जब कोई बताता है कि मैं पत्रकार हूं तो जवाब मिलता है तो हम क्या करें , यहां सभी एक समान हैं। आम और खास का रत्ती भर भी अंतर नहीं रह गया है जब से भ्रष्टाचार समाप्त हुआ है। सब लोग जो आसमान पर उड़ते रहते थे आजकल ज़मीन को तलाश करते नज़र आते हैं। ये सब जिस दवा से हुआ है वो है लोकपाल नाम की भ्रष्टाचार के कीटाणु को जड़ से मिटाने वाली रामबाण दवा , शायद कई देश चाहेंगे इसे हमसे खरीदना अपने देश से भ्रष्टाचार मिटाने के लिये।

कोई टिप्पणी नहीं: