सितंबर 11, 2024

तौबा प्यार से तौबा ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया

         तौबा प्यार से तौबा ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया 

कोई झूठ नहीं कल्पना की नहीं सच और असलियत की बात करते हैं लोग हर बात पर मुझे तुझसे है प्यार कहते हैं । किसी के इनकार को भी छुपा हुआ इकरार कहते हैं जाने किस तरह जिया तेरे बिन बेकरार होता है इक उम्र में यही इंतिज़ार होता है । कोशिश करते हैं जो जाने क्या नसीब होता है जो ख़्वाब देखते हैं मिलन होगा कभी किसी से हाल उनका अजीब होता है । हमने कई बार अपने जज़्बात को संभाला है ऐसा कोई रोग जानकर नहीं पाला है दोस्तों को देखा है सिगरेट पीते नशे में हाल ए दिल बताते सुराही खाली टूटा प्याला है । आख़िर सभी ने समझाया है जब भी इश्क़ किया धोखा खाया है ये स्वर्ग नर्क संग संग हैं खोया है खुद को नहीं बदले में कुछ हाथ आया है । प्यार मृगतृष्णा है चमकती हुई रेत लगती प्यासे को पानी है प्यास बुझती कभी नहीं जान इक फरेब को सच समझते जानी है । 
 
क्या बला है ये प्यार हमने तो कभी नहीं देखा किसी से प्यार मिला नहीं किसी से प्यार किया भी तो बर्बाद हुआ खुद अपना जहां जाएं तो जाएं कहां । आपने भी देखा तो नहीं कभी सच बताओ फिर क्यों अपने को ही दिलासा देते हो वो समझेगा दिल की बात इक दिन । क्यों समझते हैं लोग प्यार बिना ज़िंदगी बेकार है क्या प्यार कोई मीठा मिष्ठान है या लज़ीज़ अचार है समझोगे तो ये भी कोई इश्तिहार है जिस में कितनी शर्त हैं बंदिशें हैं घाटा निश्चित है अजब कारोबार है । दुनिया भर में लोग ज़िंदा हैं जिनको कभी किसी से प्यार मिला ही नहीं सबको मिलता तो इस जहां में सिर्फ और सिर्फ प्यार होता , ग़ालिब कहते हैं कि ख़ुशी से मर न जाते अगर एतिबार होता । प्यार मिलता तो ज़रूर है लेकिन किताबों कहानियों किस्सों में अथवा आधुनिक बदले ढंग वाले स्वरूप में टीवी सीरियल फ़िल्मी अंदाज़ में । कमाल है जिस से नफरत तकरार होती है उसी से बाद में जान से भी बढ़कर प्यार हो जाता है । प्यार अंधा ही नहीं पागल भी है जो खलनायक अपशब्द अनुचित आचरण करने वाले पर कुर्बान होने को ख़ुशी से तैयार हो जाते हैं । सुना था प्यार ख़ामोशी का नाम है त्याग का नाम है जिससे प्यार करते हैं उसके लिए हद से गुज़रने की बात है , चुप चाप आंसू बहाने खुद ही इक आग में जलते हैं , लेकिन आजकल डर छल कपट झूठ किसी भी तरीके से किसी को अपना बनाने को प्यार समझते हैं और अगर नहीं मिले तो क़त्ल तक करने को प्यार का पागलपन बताते हैं । सोचना कितना खुदगर्ज़ कितना भयानक नफरत से भरा दिल दिमाग़ ऐसा वहशीपन करता है जिसे प्यार नाम देना अपराध है ।    
 
आप कहते कि रोटी हवा पानी बिना ज़िंदा नहीं रहा जाता तो मैं मान भी लेता हालांकि लोग इनके बगैर भी जीते हैं कोई मानेगा नहीं इतना अवश्य मानोगे कि फ्रिज टीवी और स्मार्ट फोन बिना भी लोग ज़िंदा रहते थे और अधिक ख़ुशी से चैन से जीते थे मगर अब इन से ऐसा रिश्ता बन गया है कि दुनिया घर बार छूट जाए बस ये साधन सुविधाएं मिलती रहें तो मौज ही मौज है । बिजली और इंटरनेट नहीं थे तब भी दुनिया थी सभी कुछ शानदार था अब पल भर इनके बिना रहना आफत लगती है । अब सभी की सबसे अधिक चाहत यही हैं जिनका भावनाओं से कोई सरोकार नहीं भौतिकता महत्वपूर्ण है । प्यार नहीं बेबसी है मज़बूरी है कोई ऐसा प्यार किसी से महसूस नहीं करता कि उस के बगैर क्षण भर भी चैन नहीं आता हो । मशीनों से लगाव उनकी ज़रूरत को मुहब्बत नहीं विवशता कहते हैं , रिश्तों में आजकल ऐसा नहीं दिखाई देता कोई करीब नहीं रहता तो कितना कुछ और होता है । किसी की याद में ज़िंदगी बिताना कौन करता है सफर चलता रहता है हमराही हमसफ़र हमदर्द बदल जाते हैं बिछुड़ने का एहसास थोड़ी देर बाद खो जाता है । 
 
कहते हैं इश्क़ प्यार आदमी को दीवाना बना देता है मजनू बना देता है , दर्द के सिवा कुछ नहीं हासिल होता है लेकिन इक गीत है कि किसी ने बर्बाद किया फिर भी कहते हैं इल्ज़ाम किसी और पर जाए तो अच्छा होगा । हमको तो प्यार का अंजाम कभी खूबसूरत दिखाई नहीं दिया ज़माने में इसलिए उस डगर पर कभी नहीं जाना तय कर लिया है । तौबा मेरी प्यार से तौबा सौ बार तौबा । जिस प्यार में ये हाल हो उस प्यार से तौबा । 

Tauba Tauba Tauba |तौबा तौबा तौबा |Geeta Dutt |Passport 1961 |Bollywood  Famous Old Song| Nupur Audio
 

1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

सही कहा सर...tv फ्रिज ओर फोन बिना भी जिंदा रहते थे👍👍