जनवरी 18, 2024

लक्ष्मणरेखा अग्निपरीक्षा सभी की ( सीता जी की शर्त ) डॉ लोक सेतिया

 लक्ष्मणरेखा अग्निपरीक्षा सभी की ( सीता जी की शर्त ) डॉ लोक सेतिया 

दोनों भाई जल्झन में पड़े थे सोशल मीडिया की बातों का क्या भरोसा लोग मुंह में राम बगल में छुरी की कहावत को दर्शाते हैं । कौन सच्चा है कौन झूठा है खुद भगवान भी समझने में नाकाम हो जाते हैं । सीता जी ने सोच विचार कर सही जांच का वही पुराना उपाय सुझाया है । सीता जी ने कहा ये सोने की हिरण की माया की तरह सोने से बने हीरे मोती से जड़े मानव निर्मित भवन की चमक-दमक से प्रभावित होने से असली नकली का अंतर समझना कठिन होगा । लक्ष्मण जी फिर इक रेखा खींच सकते हैं ताकि उस को लांघ कर कोई भी पापी रावण साधु बनकर छल बल से किसी का अपहरण नहीं कर सके । जो भी खुद को भगवान का सच्चा भक़्त कहता है उसे भी किसी बड़े धार्मिक अनुष्ठान में सहभागी बनाने से पहले इक अग्निपरीक्षा से गुज़रने की शर्त उसकी पावनता की परख की होनी चाहिए । ये त्रेता युग भी नहीं कलयुग है लोग वास्तविक थोड़े बनावटी ज़्यादा धर्म कर्म करते हैं । रामायण और महाभारत ही नहीं गीता बाईबल कुरआन जैसे ग्रंथों की बातों को सोशल मीडिया ने मनमाने ढंग से प्रस्तुत कर इक ऐसा झूठ का मायाजाल बुना है जिस में करोड़ों लोग ऐसे फंसे हैं कि उलझन से निकलने को कोई तरीका नहीं सूझता किसी को । तभी इक ऋषि ने आकर धरती की वास्तविकता समझाई थी कि आपको वहां जा कर कुछ भी उपाय करने की अनुमति नहीं है अगर आप कोई लक्ष्मणरेखा या अग्निपरीक्षा का प्रबंध करने लगे तो मुमकिन है आपको हिरासत में लेकर अपनी पहचान प्रमाणित करने को कहा जाए या आप पर कोई गंभीर आरोप ही लगा दिया जाए । आपको यकीन नहीं होगा कि उन सभी को पवित्र और सच्चे होने का प्रमाणपत्र देशभक्त और ईमानदार होने का प्रमाणपत्र सरकारी विभाग से सर्वोच्च न्यायललय तक से आसानी से मिल जाएगा । इतना ही नहीं उनके सभी गुनाहों के गवाह झूठे साबित हो जाएंगे और सभी सबूत मिटा दिए जाएंगे , पुलिस सीबीआई से लेकर संसदीय समिति तक सभी सत्ता की पसंद से रिपोर्ट देने को तैयार हैं । लेकिन आप को कोई नहीं पहचानेगा कोई नहीं विश्वास करेगा कि खुद ईश्वर हैं और वास्तव में दुनिया की बदहाली से परेशान हैं क्योंकि तमाम लोगों ने धर्म और ईश्वर को अपना कारोबार बनाकर अपने स्वार्थ साधने का ढंग बना लिया है । 
 
सीता जी ने कहा आप उनको संशय का शिकार कर रहे हैं भला भगवान को अपनी पहचान साबित करने में कोई भी रुकावट कैसे आ सकती है । धरती की कोई भी अदालत चाहे तो ये वहां सब कर दिखला सकते हैं कुछ भी असंभव नहीं खुद भगवान क्या नहीं कर सकते । ऋषि ने कहा माता आपकी बात सही है लेकिन क्या आपको स्वीकार होगा कि खुद भगवान को किसी अदालत के कटघरे में खड़े होकर सच बोलने की शपथ उठानी पड़े वो भी ऐसी अदालत में जिस में न्यायधीश से वकील तक क़ातिल और गंभीर आरोप के मुजरिम को बेगुनाह और निर्दोष घोषित करने को किसी सीमा तक जाने को तैयार बैठे हों । भगवान को घोर कलयुग की निम्न स्तर की ओछी राजनीति से दूर रहना चाहिए बचना चाहिए ऐसे हालात से जहां कोई इंसान भगवान को बनाने की हास्यस्प्द घोषणा करता हो । सीता जी भी इक दोराहे पर खड़ी हैं और सोच रही हैं अपने पति या परिवार अथवा किसी भी अन्य व्यक्ति देवी देवता के भरोसे रहने से अच्छा होगा जो तब नहीं किया अब खुद अपने दम पर अपनी शक्ति से खुद कर दिखाने का अवसर खोना नहीं है । सदियां बीत गई हैं मगर सीता का मन अभी भी पश्चाताप से मुक्त नहीं हुआ है अपने अपहरण की घटना से नारी को अपनी शक्ति और प्रयास को छोड़ किसी प्रियजन को पुकारने की भूल करते रहना जो अभी भी ख़त्म नहीं हुआ है । दर्शन करने वाले सभी भक्तों को पहले अपनी धर्मपत्नी से माता पिता से अपने गांव गली के पास पड़ोस रहने वालों से इक सच्चा प्रमाणपत्र हासिल करना होगा कि वो इंसान वास्तव में भगवान की बताई शिक्षा और मर्यादा का पालन अपने जीवन में करता है । ऐसा नहीं कर पाने वाले को भगवान अपना भकत स्वीकार नहीं करेंगे । मंदिर प्रवेश से पहले इक दस्तावेज़ साथ लाना ज़रूरी है ।
 

सीता का पश्चाताप ( कविता ) डॉ लोक सेतिया 

मुझे स्वयं बनना था
एक आदर्श
नारी जाति के लिये ।

प्राप्त कर सकती थी
मैं स्वयं अपनी स्वाधीनता
अधिकार अपने ।

कर नहीं पाता
कभी भी रावण
मेरा हरण ।

मैं स्वयं कर देती
सर्वनाश उस पापी का
मानती हूँ आज मैं
हो गई थी मुझसे भयानक भूल ।

पहचाननी थी
मुझे अपनी शक्ति
मुझे नहीं करनी थी चाहत
सोने का हिरण पाने की ।

मेरे अन्याय सहने से
नारी जगत को मिला
एक गलत सन्देश ।

काश तुलसीदास
लिखे फिर एक नई रामायण
और एक आदर्श बना परस्तुत करे
मेरे चरित्र को
उस युग की भूल का
प्राश्चित हो इस कलयुग में । 
 
प्रमाणपत्र बनाम अनुभव के बारे में सच्चाई - किकस्टार्ट एलायंस - ग्राहक सफलता  परामर्श

कोई टिप्पणी नहीं: