काम आया राफ़ेल भी कोरोना भी ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया
लोग डरते हैं घबराते हैं हाय कोरोना चिल्लाते हैं राफ़ेल को देखते हैं झूमते हैं गाते हैं सत्ता वाले मन ही मन मुस्कुराते हैं। उनके लिए दोनों क्या क्या नहीं लाते हैं उनका खेल है उनका तमाशा है वो खेलते हैं सब ताली बजाते हैं। सौदा महंगा है जान सस्ती है आप क्या समझोगे क्या उनकी हस्ती है रोटी की कीमत मत पूछना वो कब रोटी बनाते हैं बड़े लोग जाने क्या क्या खाते हैं रोटी उनके लिए कोई खिलौना है जिस से खेलते हैं कहकहे लगाते हैं। आपको भूखे पेट भजन करवाते हैं उनका पेट नहीं कोई गहरा कुंवां है खाते जाते बस सभी कुछ खाते जाते हैं राम राज्य की बात कहते हैं रावण की कथा गाते हैं राम मंदिर किसे कहते हैं नहीं कभी समझ पाते हैं। उनके शासन में अपहरण फिरौती डाके लूट हत्या अपराध बढ़ते जाते हैं अपराधी दनदनाते हैं। राम नाम की धुन पर जो लोग झूमते हैं गाते हैं उनके किस्से अदालत तक पहुंच जाते हैं। इंसान नहीं बनते भगवान बन जाते हैं बड़ी देर बाद कभी शायद सज़ा पाते हैं अधिकांश पकड़े नहीं जाते हैं। इस धर्म के खेल में क्या क्या नहीं होता है धनवान राजनेता अधिकारी सभी अधर्मी कपटी की शरण जाते हैं पांव दबाते हैं निर्भय होकर वापस आते हैं। सच बताएं उनको कोरोना ने नहीं सताया है डरना क्या है उनके लिए अवसर बनकर आया है कोरोना ने उनको बाल बाल बचाया है उनसे अच्छा रिश्ता निभाया है। सत्ता का कोरोना हमजोली है सगा भाई है ताली थाली तभी बजवाई है कोरोना को पहले अंधेरा दिखलाया था फिर सभी से दिया जलवाया था अब मंदिर की शुरुआत में दीपक जलवाएंगे फिर अंधेरों से दोस्ती हमेशा निभाएंगे। आपका नसीब है खोया है खोना है जो भी बचा है उनको पाना है पाया है सभी कुछ पाएंगे लोग फिर हाथ मलते रह जाएंगे। बनेगा राम मंदिर अयोध्या भी कुछ लोग जाएंगे मगर क्या वहां कोई राम भगवान नज़र आएंगे खुद ही समझना हम नहीं बताएंगे राम नहीं किसी भी मंदिर में समाएंगे जिनको सच्चे मन से राम राम की लागी धुन उनको इंसान में भगवान नज़र आएंगे। और सब झूठी तसल्ली लिए घर लौट आएंगे राम की नहीं मंदिर की पत्थर की बनावट की बात सबको बताएंगे। आये थे हरिभजन को ओटन लगे कपास राम नहीं मिले सब काम रह जाएंगे राम उनकी सत्ता की सीढ़ी है नहीं आप समझ पाएंगें।
गंगा नहाने से क्या पाप धुल जाएंगे इस झूठ से कब तक सबको उल्लू बनाएंगे जो भी किया है वही सामने आएगा भवसागर से नहीं कोई पापी पाप करने वालों को पार लगवाएगा डूबेगा आपको भी डुबोयेगा नहीं कुछ कर पाएगा। मंदिर मस्जिद गिरजाघर गुरूद्वारे ईमानदारी और मेहनत की कमाई से कभी नहीं बनते हैं ये कलयुग के सहारे डूबने के हैं आसार इनके सारे नहीं मिलेंगे उनसे किनारे। राम कोई कारोबार नहीं है उसका कोई छोर आर पार नहीं है ये उसका संसार नहीं है उसकी चाल को समझो जो राम बेचता है किसी का यार नहीं है दिलदार नहीं है उसको राम से प्यार नहीं है। कोई दुश्मन राफ़ेल से घबराता नहीं है ये सब जानते हैं कोई भी ऐसे हथियार आज़माता नहीं है ये कुछ राज़ है झूठ का धंधा गंदा है सच का कोई बही खाता नहीं है। सच कोई किसी को बताता नहीं है सच लोगों को आजकल वैसे भी भाता नहीं है। राफ़ेल की है न कोई कोरोना की लड़ाई ये दोनों हैं इंसानियत के दुश्मन मेरे भाई कुछ हैवान हैं जिनको करनी है इनसे सगाई। ये उनकी है बिन ब्याही लुगाई उन्होंने इनसे अपनी सेज है सजाई मौज मनाई जी भर गया तो पराई। कहां राम हैं कहां उनकी सीता कोई नहीं लक्ष्मण कोई नहीं भाई ये नई रामायण लिखी किसी ने सभी ने सुनी उसी ने सुनाई।
सवाल है सीधा सच्चा साफ बस यही राम मंदिर से पहले क्या राम राज होगा कहीं। ये डर और लूट आतंक का राज है भूखी है जनता देश बर्बाद है नहीं काम मिलता नहीं सुरक्षित कोई। मंदिर मस्जिद बनाते रहोगे इंसानियत को भुलाते रहोगे ये कागज़ की नाव अंधे कुंवे में बहुत चल रही चलाते रहोगे मगर बाहर दुनिया तुमसे सच बुलवाएगी सच से कब तक कतराते रहोगे। मिला कुछ नहीं देश को आम लोगों को मिली है बदहाली बर्बादी सभी बेच कर सभी लूटकर किसी और तरफ भागते भगाते रहोगे। राम को बहुत बदनाम कर दिया है जाने क्या पढ़ा है समझा हुआ है। घड़ा पाप का भर गया है बस और नहीं जाता सहा है समझना थोड़े में सब कुछ कहा है। कहने को कुछ भी नहीं रहा है।
1 टिप्पणी:
बहुत सही👌
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