कोई मुझे उसका पता बता दे ( हास्य कविता ) डॉ लोक सेतिया
कोई मुझेउसका पता बता दे
जिस गांव जिस शहर
जिस राज्य में
कोई अधिकारी
खुद को राजा नहीं समझता ।
कोई सरकारी कर्मचारी
घूस नहीं चाहता हो
कोई थानेदार बेगुनाह पर
ज़ुल्म नहीं करता हो ।
किसी की फरियाद हाकिम
अनसुनी नहीं करता हो
किसी नागरिक को
अपने अधिकार भीख की तरह
मांगने नहीं पड़ते हों ।
जिस गली में
कोई गंदगी दिखाई नहीं देती हो
किसी तरह की भी गंदगी
जिस सरकारी दवाखाने में
कोई रोगी बिना इलाज
नहीं मरता हो ।
जिस अदालत में
न्याय इतने विलंब से
नहीं मिलता कि अन्याय लगे
जिस जगह
आम नागरिक होना
जुर्म नहीं समझा जाता हो ।
अभी तलक कोई नेता
कोई मंत्री कोई मुख्यमंत्री
कोई प्रधानमंत्री
मुझे भी बता दे वो जगह
जिस जगह को उसने वास्तव में
आज़ादी से जीने के काबिल
बना दिया हो ।
अब तो
मुझे पल दो पल
देखना है उस
सपनों के आज़ाद भारत
की तस्वीर को ज़िंदा रहते ।
वो ख्वाब जन्नत का
वो सपना स्वर्ग जैसे
सारे जहां से अच्छे वतन का सबका
किसी को कभी तो
सच हुआ आया ही होगा नज़र ।
मुझे देखना है
एक बार खुद जाकर
सभी सरकारी
विज्ञापनों वाला हिंदुस्तान
जिसकी खबर छपती है
हर अख़बार में अब ।
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