एक नेता को तुमने खुदा कह दिया ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"
एक नेता को तुमने खुदा कह दियाइस तरह दर्द को इक दवा कह दिया ।
ग़म इसी बात का दिल से जाता नहीं
बेवफ़ा ने , हमें बेवफ़ा कह दिया ।
हम सभी के लिये मौत सौगात है
पर सभी ने इसे हादिसा कह दिया ।
दिल का शीशा हुआ चूर जब एक दिन
जिसने तोड़ा उसे दिलरुबा कह दिया ।
खुद सफीना डुबोई थी उसने , जिसे
हर किसी ने यहां नाखुदा कह दिया ।
नाम तक का मेरे , ज़िक्र करना नहीं
सिल गई इक जुबां आज क्या कह दिया ।
तुम तड़पते रहो आ रहा है मज़ा
और "तनहा" इसे इक अदा कह दिया ।