अप्रैल 11, 2014

POST : 433 एक नेता को तुमने खुदा कह दिया ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

एक नेता को तुमने खुदा कह दिया ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

एक नेता को तुमने खुदा कह दिया
इस तरह दर्द को इक दवा कह दिया ।

ग़म इसी बात का दिल से जाता नहीं
बेवफ़ा ने , हमें बेवफ़ा कह दिया ।

हम सभी के लिये मौत सौगात है
पर सभी ने इसे हादिसा कह दिया ।

दिल का शीशा हुआ चूर जब एक दिन  
जिसने तोड़ा उसे दिलरुबा कह दिया ।

खुद सफीना डुबोई थी उसने , जिसे
हर किसी ने यहां नाखुदा कह दिया ।

नाम तक का मेरे , ज़िक्र करना नहीं
सिल गई इक जुबां आज क्या कह दिया ।

तुम तड़पते रहो आ रहा है मज़ा
और "तनहा" इसे इक अदा कह दिया ।