कौन करता भला उसूल की बात ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"
कौन करता भला उसूल की बात
सब यहां कर रहे फ़ज़ूल की बात ।
पतझड़ों ने बहार से कही आज
एक मसले हुए से फूल की बात ।
उनकी खातिर बिछा हुआ है कालीन
उनको मालूम क्या है धूल की बात ।
कह रहे हम बहार की हैं सरकार
हर ज़ुबां बोलती है शूल की बात ।
ख़वाब टूटे हुए की देख ताबीर
याद उनको कहां है तूल की बात ।
1 टिप्पणी:
बहुत प्यारी ग़ज़ल
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