मार्च 08, 2019

नारी महिमा महिला दिवस पर ( आलेख ) डॉ लोक सेतिया

   नारी महिमा महिला दिवस पर ( आलेख ) डॉ लोक सेतिया 

     औरत की गाथा शुरू की कहां से जाये मुझ पुरुष को समझ कहां। उसकी महिमा का बखान करना आसान नहीं है। खुद को पहचानती है जो महिला वो कभी अपने आप को पुरुष से कमतर नहीं समझती है। औरत इक ऐसी पहेली है जिसका हल खुद विधाता को भी नहीं मालूम। आज आपको थोड़े शब्दों में संक्षेप में नारी महिमा बताते हैं , और इस में रत्ती भर भी खोट नहीं है कसम खाते हैं। विषय पर आते हैं।

महिला जीना जानती है और जीने का मज़ा हर रंग में लेती भी है।
अपनी सुंदरता पर हर महिला को यकीन होता है और हर नारी खुद अपने आप से बेहद प्यार करती है।

सजना संवरना नाचना झूमना गाना हंसना रोना सिमटना और खुलना सभी उसको आता है।
खुद को छिपाती लगती है मगर वास्तव में दिखलाती होती है , घूंघट की आड़ में चांद जैसे बदली में छुपा हो।

अपनी भावनाओं को व्यक्त करना जानती है , बिना बोले इज़हार इनकार करना जानती है।
हर महिला नज़रों की भाषा समझती है और बुरी नज़र से देखने वालों को पहचान लेती है।
उत्स्व मनाती है और खुशियां अपने घर आंगन में भरती है। ख़ुशी बांटती है ख़ुशी चाहती भी है।
सदियों से पुरुष जगत कुंठित होकर उसको अबला बेबस कहकर छोटा करने का व्यर्थ जतन करता है मगर तब भी नारी दिल से कभी खुद को छोटा नहीं मानती है। विशाल दिल की स्वामिनी है और हीनभावना का शिकार नहीं होती है।

नारी कदम से कदम मिलाकर चलना चाहती है मगर पुरुष उसको पीछे छोड़ने की कोशिश में भागता भागता हार जाता है थककर। महिला कभी हार नहीं मानती न ही विराम लेती है।
पुरष नारी को कैसे समझ सकता है जब उसे खुद अपनी ही पहचान नहीं होती है। नारी से ही पुरुष को असली पहचान मिलती है।

महिला पुरुष को गुलाम नहीं बनाना चाहती कभी भी , उसको अपना साथी हमजोली हमसफ़र हमराज़ बनाना चाहती है। पुरुष खुद महिला की गुलामी करते हैं उसकी उंगलियों के इशारे पर नाचते हैं।

महिला देना जानती है और जितना प्यार आदर मिलता है उस से बढ़कर वापस देती है जाने क्यों पुरुष को पाना आता है देना नहीं। देता है तो एहसान उपकार मानकर कर्तव्य समझ नहीं , महिला सब अर्पण करती है ख़ुशी से मर्ज़ी से कर्तव्य मानकर।

ममता प्यार वात्सल्य देवी की तरह वरदान देने का कार्य महिला कर सकती है। कोमलता मन की है वाणी की है अन्यथा महिला की शक्ति की कोई सीमा नहीं है।

नारी कहते हैं पुरुष बिना अधूरी है जबकि पुरुष का नारी बिन कोई अस्तित्व ही नहीं है। नारी पुरुष को जन्म देती है उसको जीना सिखलाती है उसका जीवन संवारती है।

आओ मिलकर महिला जगत को नमन करते हैं महिला दिवस को मिलकर मनाते हैं। 

 

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