अभी बाकी यही इक काम करना है ( ग़ज़ल )
डॉ लोक सेतिया "तनहा"
अभी बाकी यही इक काम करना हैहमें तकदीर को फिर से बदलना है ।
चहक कर सब परिंदे कह रहे सुन लो
उन्हें हर आस्मां छूकर उरतना है ।
यही इक बात सीखी आज तक हमने
न कह कर बात से अपनी मुकरना है ।
न भाता आईना उनको कभी लेकिन
उन्हें सज धज के घर से भी निकलना है ।
हमारी प्यास बेशक बुझ नहीं पाई
हमें बन कर घटा इक दिन बरसना है ।
उसी से ज़िंदगी का रास्ता पूछा
कि जिसके हाथ से बेमौत मरना है ।
नई दुनिया बसाओ खुद कहीं "तनहा"
हुआ मुश्किल यहां पल भर ठहरना है ।