अप्रैल 16, 2016

अभी बाकी यही इक काम करना है ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

       अभी बाकी यही इक काम करना है ( ग़ज़ल ) 

                         डॉ लोक सेतिया "तनहा"

अभी बाकी यही इक काम करना है
हमें तकदीर को फिर से बदलना है ।

चहक कर सब परिंदे कह रहे सुन लो
उन्हें हर आस्मां छूकर उरतना है ।

यही इक बात सीखी आज तक हमने
न कह कर बात से अपनी मुकरना है ।

न भाता आईना उनको कभी लेकिन
उन्हें सज धज के घर से भी निकलना है ।

हमारी प्यास बेशक बुझ नहीं पाई
हमें बन कर घटा इक दिन बरसना है ।

उसी से ज़िंदगी का रास्ता पूछा
कि जिसके हाथ से बेमौत मरना है ।

नई दुनिया बसाओ खुद कहीं "तनहा"
हुआ मुश्किल यहां पल भर ठहरना है ।