फ़रवरी 09, 2014

सपने देख कर खुश हो जाओ ( तरकश ) डा लोक सेतिया

    सपने देख कर खुश हो जाओ ( तरकश ) डा लोक सेतिया

सर्वेक्षण करना कोई कठिन कार्य नहीं है। आप किसी भी विषय पर कर सकते हैं सर्वेक्षण। कोई बंधन नहीं है। कोई सवाल नहीं कर सकता कि कुछ सौ या कुछ हज़ार लोगों की राय देश की जनता की राय कैसे हो सकती है। ये कारोबार बहुत लोग सालों साल से सफलता पूर्वक कर रहे हैं। उन को पैसा शौहरत ही नहीं मिली बल्कि अब तो वो भी नेता कहलाने लगे हैं। कल तक जो बाकी लोगों को कहा करते थे कि नेता किसी बात पर कभी कुछ कभी कुछ बोलते हुए शर्मसार नहीं होते आज खुद वही करते हैं निसंकोच। इक नया शोध सामने आया है कि जागते हुए अच्छे अच्छे सपने देखना लाभकर होता है। अगर आपको भूख लगी है और घर में खाने को कुछ भी नहीं है तो आप रूखी सूखी रोटी खाने के नहीं हलवा पूरी के सपने देखो। जब सपनों से ही पेट भरना है तो जो मन को पसंद हो वही खाने का सपना देखें। रस मलाई खाओ रस गुल्ले खाओ। कोई बिल नहीं मांग सकता। बेरोज़गारी में किसी बड़े ओहदे के अफ्सर होने की कल्पना कीजिये , हो सके तो ये ख़्वाब देखो कि आप कंपनी के मालिक बन औरों को नौकरी दे रहे हैं। बेशक आपके पास साईकिल खरीदने को भी पैसे नहीं हों , आप मर्सिडीज़ कार खरीदने से कम के सपने क्यों देखें। देश के एक पूर्व राष्ट्रपति भी बड़े बड़े सपने देखने की बात कहते थे , उनका सपना था सन दो हज़ार बीस में भारत को महान शक्ति बनने का , छह साल बाद देखते हैं उसका क्या हुआ। अभी तो सब वो बात भूल चुके हैं। सपने बेचना ख़ास कर झूठे सपने बेचना राजनीति का काम रहा है। कुछ नये लोग नये सपने दिखला कर थोड़े ही दिन में सत्ता पर आसीन हो गये हैं।

           अगर आप भी देश की बदहाली देख देख कर परेशान रहते हैं तो आप भी कुछ ऐसे सुनहरे सपने देखा करें जैसे मैं देखता रहता हूं। मैं हर दिन कल्पना करता हूं कि सब कुछ बदल गया है , कहीं भी किसी बुराई का नाम तक बाकी नहीं रह गया है। सब देशवासी अपने बारे नहीं देश व समाज के बारे पहले सोचते हैं। सभी नेता पूरी तरह ईमानदारी से देश और जनता की सेवा करने लगे हैं , वे सादगी पूर्वक रहते हैं , जनता का एक पैसा भी व्यर्थ बर्बाद करना उनको घोर अपराध लगता है। प्रशासन खुद को शासक नहीं जनता का सेवक मानने लगा है और किसी भी काम में कोई बाधा नहीं है। अपना कर्त्तव्य निभाना ही हर अधिकारी को कर्मचारी को सच्चा धर्म लगता है। परिवारवाद और पूंजीवाद का अंत हो चुका है , अब वास्तव में लोकतंत्र स्थापित हो चुका है। देश में कोई भी गरीब नहीं है न ही किसी की तिजोरी में अरबों रुपये सड़ रहे हैं। राजनीति में अपराधियों को पवेश नहीं मिलता है , सांसद और विधायक जनता और देश पर बोझ नहीं हैं। अब उनके वेतन पर सुविधाओं पर सैर सपाटों पर धन बर्बाद नहीं किया जाता है। उन्होंने अपना सर्वस्व देश को अर्पित कर दिया है ताकि जनता की समस्याओं का अंत हो सके। अब कोई सफेद हाथी नहीं कहलाता है। किसी भी नेता के पास उसके परिवार के किसी भी सदस्य के नाम पर कोई फार्म हाउस या पैट्रोल पंप नहीं है। न ही कोई किसी सरकारी भूमि पर कब्ज़ा ही किये हुए है।
                       धर्म के नाम पर कोई कारोबार नहीं होता है अब। कोई भी आपसी भेदभाव की या नफरत फैलाने की बात नहीं करता है। किसी के पास भी धर्म के नाम पर अरबों की संपति जमा नहीं है , सब ने सारा का सारा धन दीन दुखियों की सहायता करने पर खर्च कर दिया है। साधू सन्यासी कोई कारोबार नहीं करते हैं। हर धर्म के अनुयाई सदाचार का पालन करते हैं , धार्मिक होने का झूठा आडंबर नहीं करता कोई भी। संत बन कर कोई अधर्म और पाप नहीं करता है। धर्म के नाम पर अंधविश्वास को कोई बढ़ावा नहीं  दे रहा है। उनके पास कोई कोठी कार बंगला नहीं है केवल एक गठड़ी है जिसमें दो जोड़ी वस्त्र हैं जिसको लिये कहीं भी गुज़र कर लेते हैं , कल की चिंता नहीं करते सब कुछ त्यागने वाले। पुलिस सभ्य बन चुकी है और चरित्रवान भी , रिश्वत का नाम तक नहीं लेता कोई पुलिस वाला। जनता को पुलिस से भय नहीं लगता है , लूट मार , चोरी बलात्कार ,का कोई अपराधी बच नहीं पाता है। कोई महिलाओं को बुरी नज़र से नहीं देख सकता , औरत पर अन्याय करने वाले को समाज स्वीकार नहीं करता है। लोग भी सचाई की राह पर चलते हैं और निडर हो कर रहते हैं। कोई भी किसी को धोखा नहीं देता , कोई हेराफेरी ठगी नहीं करता किसी से। भाई भाई का दुश्मन नहीं है। मीडिया वाले भी सही राह पर आ गये हैं , झूठ को सच साबित नहीं करते , न ही खुद को सब से बड़ा ही समझते हैं। सब तरफ अमन है चैन है सुख है शांति है। फूल ही फूल हैं सब तरफ बहार का मौसम है।

                       शोध करने वालों का निष्कर्ष है कि सुनहरे सपने देखना लंबी आयु प्रदान करता है , तंदरुस्त रखता है। मुंगेरी लाल बनना बुरा नहीं है। हसीन सपने देखने में कोई बुराई नहीं है। एक बार इन सर्वेक्षण वालों की बात पर अमल कर के अवश्य देखना। खराब से खराब हालात में भी आप खुश रह सकते हैं। अब शायद यही किया जा सकता है , कितनी बार दूसरों के दिखलाये सपने देख कर छले गये। अब खुद अपने सपने से अपने को छलना सीख लें।