नवंबर 09, 2019

कौन हैं मेरे मम्मी-पापा ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया

     कौन हैं मेरे मम्मी-पापा ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया

   बड़ी प्यारी सी बच्ची है तुतली ज़ुबान में बोलती हुई सवाल पूछती है कोई मेरे मम्मी-पापा का नाम पता बताओ मुझे अनाथालय में छोड़ गया जो जन्म देते ही वो कौन था। स्कूल में पढ़ाई करने जाना चाहती है आधार कार्ड बनवाना ज़रूरी है समझो कितनी मज़बूरी है। सरकारी ऐलान है नोटबंदी हुई बदनाम है काली कलूटी उसका नाम है पर उसका रंग गुलाबी है छुपे खज़ाने की चाबी है काला धन कहां छिपा है तूं तूने की सब बर्बादी है। धन काला मिला नहीं इसका कोई गिला नहीं पर जो तीन साल की बच्ची है ये अक्ल की कच्ची है राजनीति से वाकिफ़ नहीं सरकार से पहचान नहीं ये जायज़ संतान नहीं। सच इसको समझाए कौन काला धन खोज लाये कौन। रोटी से जो खेलता है उसका पता बताये कौन संसद इस सवाल पर आखिर रहेगी कब तलक मौन। चलो हम मिलकर जन्म दिन मनाते हैं हैप्पी बर्थडे टू यू गाते हैं बच्ची का दिल बहलाते हैं। 

        मोदी जी आएंगे आकर तुझे खिलाएंगे जब रात आठ बज जाएंगे गले तुझको लगाएंगे। तुझे पढ़ाया जायेगा तुझको सबसे बचाया जायेगा बच्ची तू इतिहास नहीं वर्तमान है भविष्य बनाया जायेगा। हम गुब्बारे बहुत फुलाएंगे पार्टी राह पर मनाएंगे केक भी कटवाना है मोमबत्ती बुझवाना है ताली बजाकर हैप्पी बर्थडे टू यू गाना है। मोदी जो तोहफ़ा लाएंगे सबको ये सच बतलाएंगे खाते में कितना धन डलवाएंगे हम मालामाल हो जाएंगे। मोदी जो ने फ़रमाया है पांच साल व्यर्थ गंवाया है अब दूर की कौड़ी लानी है की अब तक मनमानी है। अध्यापक जी समझाएंगे नोटबंदी की बात बताएंगे पूरी कहानी सुनाएंगे हम झूमेंगे और गाएंगे तीन साल का जश्न मनाएंगे। जन्म दिन तुम्हारा मिलेंगे लड्डू हमको गीत बजवाएंगे , तुम जियो हज़ारों साल जिओ वाले मुस्कुराएंगे। थक कर खुद सो जाएगी ये बच्ची भूखी प्यासी सपनों में खो जाएगी। सरकार आपको बधाई हो प्यारी सी बिटिया आई है गूंगी नहीं है खामोश है लगता है देख आपको घबराई है। 

    मोदी जी कहते हैं नोटबंदी करने का फायदा तीन साल बाद नज़र आया है। दुश्मन मुल्क़ में महंगाई आसमान छूने लगी है। अब अपने देश का इस में क्या भला हुआ अपनी समझ से बाहर है ये कुछ उस तरह है कि मेरी पोशाक मैली है मगर देखो मैंने दुश्मन की गंदी कर दी है। अर्थात मोदी जी चले थे सफाई करने मगर मैल छुड़ाने नहीं आता था गंदगी करना आसान था औरों को अधिक मैला कर खुद की चमक बढ़ाने का दावा कर लिया। मैल कपड़े का धुल जाता है मन का मैल साफ करने को कोई साबुन नहीं बना है। संसद की चौखट पर माथा टेका था याद होगा अब मन से सोचना पांच साल में कितना मन का मैल छुड़ाया , बस कपड़े बदलते रहे दिल की सफाई नहीं की। अब मानो न मानो नोटबंदी आपकी दी सौगात है और अपने किसानों को फसल का दुगना दाम देने का वादा किया था मगर हरियाणा के सीएम साहब पानीपत की अनाज मंडी में आकर किसानों की बर्बादी की बात पर बोलते हैं तो हम क्या करें। भले भी हम बुरे भी हम समझिओ न किसी से कम , हमारा नाम बनारसी बाबू। बनारस के ठग मशहूर हुआ करते थे ये गुजरती तो बनारस वालों का भी बाप निकला। बनारस वालों को गंगा मईआ के नाम पर ठग गया और शरद जोशी के मामा जी की तरह हम घाट किनारे खड़े हैं तौलिया लपेटे पूछते हैं देखा है उसको जो हमारे कपड़े सामान ले गया उल्लू बनाकर।

     कहावत है इक बार सच और झूठ नदी में नहाने को गए। झूठ जल्दी से बाहर निकला और सच के कपड़े पहन चल दिया। सच बाहर निकला तो उसके कपड़े नहीं थे और झूठ के पहन नहीं सकता है तभी से सच नंगा है। नोटबंदी बिटिया की दर्द भरी कहानी ऐसी ही है , तीन साल से हर कोई उसको बुरा बता रहा है और धुत्कार खाती फिरती है अपने जन्मदाता को ढूंढती जो शायद उसको अपना समझना तो क्या पहचानना भी नहीं चाहता है। जन्मदिन पर भी उदास है रोते रोते सो गई है।

कोई टिप्पणी नहीं: