मई 23, 2018

सरकार के चार वर्ष का हिसाब ( श्वेत पत्र ) डॉ लोक सेतिया

  सरकार के चार वर्ष का हिसाब ( श्वेत पत्र ) डॉ लोक सेतिया 

 जश्न की तैयारी हो रही है। कहा जा रहा है कि बताया जाएगा क्या क्या किया हमने चार वर्ष के शासन में। जनाब चार साल से यही तो करते आ रहे हैं। खुद अपनी महिमा का गुणगान तो भगवान भी कभी नहीं कर सके , अच्छा नहीं लगता। वैसे भगवान को भी तूती पसंद है मेरे इक दोस्त ऐसा कहा करते हैं। अर्थात ये माना जाता है कि ईश्वर अपनी स्तुति अपनी अर्चना अपनी महिमा का वर्णन सुन कर खुश होते हैं। मैं धर्मों की बहुत थोड़ी जानकारी रखता हूं और भगवान और धर्म को लेकर जब लिखता हूं तो सच लिखते डरता नहीं अपनी धर्मपत्नी जी की तरह। ऐसा इसलिए कि मुझे बचपन से गुरुग्रंथ साहिब से लगाव रहा है , और बाकी धर्म की किताबों को भी पढ़ा ज़रूर है मगर समझा नानक जी की बातों को अधिक अच्छी तरह से है। जिस धर्म की पहली बात ही सच ही ईश्वर है ऐसा बोलने वालों पर कृपा हो , जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल। उसे मानना है तो सच कहना ही होगा। भगतसिंह जी भी बेबाक कहते थे कि जिस भगवान के होते इतना अन्याय अत्याचार होता हो मैं उसकी पूजा नहीं करता। सब से बड़ी बात जो शायद सिख धर्म के अनुयाइयों को भी समझनी है वो ये कि गुरु जी की बानी है कि उस खुदा ईश्वर परमात्मा की आरती तो हर पल हो रही है , गगन में थाल ......  जिसे आरती बना लिया है। अर्थ क्या है कि आकाश में चांद सितारे सूरज दीप की तरह ज्योति जलाये हैं और धरती की सारी वनस्पति सुगंधित फूल आदि उसी को अर्पित हैं भला हम कैसे उसकी आरती कर सकते हैं। जो सबको सब कुछ देता है उसको किसी से क्या चाहिए और जो समझता भगवान को कुछ भी धन या सामान भेंट किया है उसे सोचना होगा , तेरा तुझको देवत क्या लागत है मोरा। फिर भी श्मशानभूमि तक नाम लिखवा लेते हैं तस्वीरें लगवा लेते हैं। इस सब का अर्थ भी समझाना होगा , तो सुनिए बंधु देश का सब कुछ किसका है , जनता का ही है तो फिर आपने सरकार बनाकर जनता को क्या दिया है। किस बात का इश्तिहार किस बात का ढिंढोरा किस बात का अहंकार है। वास्तविकता तो ये है कि जैसे भगवान आपको लाखों देता है और आप उसी में से सौ या हज़ार देकर दानी कहलाना चाहते हो , यही सरकार करती है। मगर इक बात और है ऊपर वाले का भी हिसाब किताब है और धार्मिक लोग कहते हैं कि ऊपर वाले की चक्की बहुत बारीक पीसती है। सजन रे झूठ मत बोलो खुदा के पास जाना है , ये मुकेश जी का गया गीत उस भजनों से अच्छा और सच्चा है जो धार्मिक स्थलों पर फ़िल्मी धुनों पर गाये बजाए जाते हैं। भमिका लंबी हो जाये तो पाठक उकता जाता है इसलिए असली बात पर आते हैं। 
 
            तमाम लोग उपलब्धियों की बात लिख लिख जोड़ रहे हैं मगर जो जो वास्तव में किया किसी को भी ध्यान ही नहीं। इससे पहले कि विपक्षी श्वेत पत्र की मांग करें झूठ को सच बताने पर , मैंने बिना किसी से कोई मेहनताना मांगे उनका काम करना शुरू कर दिया है। मेहनताना मिलने की उम्मीद भी नहीं है , जो लोग कहने को स्वच्छ भारत अभियान की बात करते हैं मगर राज्य में सफाई करने वालों को बराबर वेतन नहीं देने की ज़िद पर अड़ जाते हैं वो किसी को क्या देंगे। मगर उन्होंने जो जो किया उसे इतिहास में दर्ज तो करना लाज़मी है। पहले उनकी बात जो काला सफेद करते हैं। बताया नहीं अभी तक कितने काले धन वालों को घोटाले करने वालों को जेल में डाला है। जो आपकी नाक के नीचे विदेश भाग गए उनकी बात सब को मालूम ही है। ये राज़ भी बताना चाहिए कि कितने अपराधी और दाग़ी नेता आपके दल में शामिल होकर गटरगंगा के स्नान से स्वच्छ भारत का हिस्सा बन गए , कितनी सरकारें आपने नैतिकता और संविधान की मर्यादा को ताक पर रखकर बनाई हैं। ये सब आप पिछली सरकारों पर डालकर बच नहीं सकते हैं। वो अच्छे दिन तो आपके नेता बेशर्मी से घोषित कर ही चुके हैं कि इक चुनावी जुमला था। जिस बात से आपको जनता ने बनाया अगर वही कोरी भाषण देकर जनता को ठगने की बात थी तो आप वास्तव में महान हैं। फिर भी आपने बताया है अठारह घंटे काम करते हैं तो हिसाब लगाना चाहिए इतनी अटूट मेहनत की किस काम को।

                  आप पीएमओ कितने दिन गए कितने घंटे ये राज़ आप ही जानते हैं। मगर आपने 150 देशों की सैर की है और ठसक के साथ जाते रहे हैं , जैसे बादशाह मिलते थे गले और हाथ में हाथ डालकर दोस्ती करते थे उसी तरह। किसी को नहीं पता देश को क्या हासिल हुआ और इस से जनता की कैसी भलाई हुई , मगर सब जानते है आपने हर बार विदेश जाने से पहले उस देश की बहुत बातों को और कई अपने देश के लोगों की भलाई के विपरीत शर्तों को स्वीकार किया केवल अपनी जयजयकार करवाने को। ये कैसी भूख है शोहरत हासिल करने की जिसकी कीमत देश की गरीब जनता को भविष्य में चुकानी होगी। क्या सज धज क्या शान से दिन में सुंदर परिधान बदलना , लगता ही नहीं किसी अविकसित देश का तथाकथित सेवक है। ये सब क्या है , रोड शो की बात मुझे समझ नहीं आई क्यों किये जाते हैं ये तमाशे। किसी विदेशी को साथ लेकर किसे प्रभावित करना है। धर्म की बात करना ज़रूरी है , धर्म कहता है अपना कर्तव्य निभाओ अपने किये वादे पूरे करो , राम की ही बात है , कोई वचन निभाया आपने। संविधान की रक्षा की शपथ तक याद नहीं शायद। धर्म में साफ है पूजा अर्चना दान आदि अपनी कमाई से करते हैं। आपने पद संभालते ही किसी देश में पूजा की और एक करोड़ रूपये मूल्य की चंदन की लकड़ी दान कर आये , जबकि आपने घोषित किया था आपके पास सीएम रहते जो धन जमा था महिलाओं को दे आये हैं। कितने मंदिरों में कितना धन आपकी पूजा अर्चना पर इस गरीब देश का बर्बाद किया गया , भगवान जानता है मगर भगवान उससे खुश नहीं हो सकता है।

         आपने सब से बड़ा अनुचित कार्य जो किया वो है , हर धर्म समझाता है अपने से पहले के उन लोगों जो ज़िंदा नहीं हैं उनकी बुराई कभी नहीं करते हैं। आपको उनकी अच्छाई कभी नज़र ही नहीं आई और बुराईयां जो शायद ही सच थीं। इक सवाल है , उनके समय आपका शासन होता या उनका तौर तरीका ढंग आपसा होता तो क्या भारत देश में लोकतंत्र बचा रहता। ये उन्हीं की बदौलत है जो देश में कोई भी दल कोई भी व्यक्ति ऊंचे पद तक पहुंच सकता है। जिस तरह से तब के प्रधानमंत्री ने विपक्ष के अटलबिहारी वाजपेयी जी की खुले दिल से तारीफ की थी , करने का हौसला है आप में से किसी एक में। आपको सब याद आये मगर जिन जयप्रकाशनारायण के आंदोलन से आपको राह मिली उनको भुला दिया। भुलाना ही था अन्यथा आपको कैसे पसंद आती उनकी कही खरी बात , जो उन्होंने 25 जून 1975 को अपने भाषण में कही थी। मुझे याद है , क्योंकि मैं उस सभा में मौजूद रहा हूं और गवाह हूं उनकी बात का। उन्होंने कहा था शांति पूर्वक विरोध करना देश की जनता का अधिकार है और सुरक्षा बल देश के प्रति उत्तरदायी हैं न कि किसी सत्ताधारी नेता या अधिकारी के प्रति और अगर कोई उन्हें दमनकारी आदेश देता है अपने विरोध करने वालों पर लाठी गोली चलाने के तो शांति पूर्वक प्रदर्शन करने वालों पर ऐसा अनुचित आदेश नहीं मानें। आज आपत्काल घोषित नहीं है मगर जिस तरह आपने सभी जगह पर अपनी पसंद के लोगों को मनोनीत करने का कार्य निरंतर किया है वो तानाशाही का संकेत है। आपने तमाम ऐसे कार्य किये हैं जिनकी नुकसान की भरपाई कोई नहीं कर सकता। इस श्वेत पत्र की हर बात आईने की तरह साफ है। 
 

 

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