मई 24, 2022

ग़लत सवाल का जवाब है बस ख़ामोशी - डॉ लोक सेतिया

      क्या हो पूछते हैं , मैं कौन हूं , नहीं जानते लोग ( उलझन ) 

                           डॉ लोक सेतिया 

    दुनिया करे सवाल तो हम क्या जवाब दें , तुम को न हो ख़्याल तो हम क्या जवाब दें । मीना कुमारी की फिल्म " बहू - बेगम " का ये गीत मैंने कॉलेज में रैगिंग के दिन सुनाया था शायद हमेशा से मेरे मन में ये बात रही है वर्ना कितने और गीत मुझे पसंद थे जिनको सुना सकता था । ज़माना बदलता रहा लेकिन दुनिया का तौर नहीं बदला कभी भी कितनी अजीब बात है हर कोई पूछता है क्या हैं आप कभी कोई समझना नहीं चाहता जानने की ज़रूरत नहीं समझता कि कौन क्या है । ग़ालिब को कहना पड़ा हरेक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है , तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़ ए गुफ़्तगू क्या है। दुनिया तेरे बाज़ार से अजनान हूं मैं नहीं कोई ख़रीदार न ही बिकने वाला बाज़ारी सामान हूं मैं। सवालों से परेशान नहीं हैरान हूं मैं , सब होशियार हैं इस ज़माने में , नासमझ और नादान हूं मैं। सियासत और अदावत की दुनिया में मुहब्बत की अहमियत कुछ भी नहीं है खोटे सिक्के चलते हैं खरे की पहचान नहीं है , चलन में नहीं शराफत ईमानदारी और सच्चाई आजकल। काश सवालात करने वालों को खुद अपने बारे में मालूम होता कि उनकी वास्तविकता क्या है। जो दिखाई देते हैं जो कहलाना चाहते हैं जो सोचते हैं हम हैं दरअसल हो नहीं सकते उनकी विडंबना है झूठी ज़िंदगी जीते हैं दो किरदार निभाते हैं समाज में कुछ और एवं वास्तविक जीवन में उस के विपरीत। ये महलों ये तख्तों ये ताज़ों की दुनिया ये इन्सां के दुश्मन समाजों की दुनिया ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है। लोग खुद को नहीं समझते दुनिया को समझने की बात करते हैं मैंने खुद को समझने जानने की कोशिश की है किसी और को समझने समझाने की फ़ुर्सत नहीं है।  
 
गलत सवालात के उतर कैसे सही हो सकते हैं उन सवालों को छोड़ देना उचित है अन्यथा जवाब की जगह इक सवाल पर हज़ार सवाल खड़े हो जाएंगे। ख़ामोशी का अर्थ ये नहीं कि हमको मालूम नहीं उनके पूछने का मकसद क्या है खामोश रहते हैं कि किस किस को कितनी बार समझाएं असली मुद्दा क्या है। जब लोग बचना चाहते हैं सच से तब सच पर सवाल खड़े करते हैं। बज़ुर्ग कहते थे जहां सलीके से बात नहीं हो रही हो और लोग असभ्य भाषा और कुतर्क का उपयोग करने लगें उस महफ़िल में चुप रहना ही बेहतर है। जब लोग सिर्फ यही सोचते हैं कि क्या हैं आप जानना नहीं चाहते कौन हैं आप तब उनसे वार्तालाप से कुछ हासिल नहीं हो सकता है। 
 

 
 

      

 
 

1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

काव्यात्मकता लिए अच्छा लेख