अप्रैल 15, 2022

मुझसे बिना बात खफ़ा ख़ुदा है ( तिरछी नज़र ) डॉ लोक सेतिया

  मुझसे बिना बात खफ़ा ख़ुदा है ( तिरछी नज़र ) डॉ लोक सेतिया 

    बुलावा आया जाना ज़रूरी था भले उनसे जान-पहचान कभी ठीक से हुई नहीं जानते पहचानते हैं यूं ही चलते फिरते मुलाक़ात होती रहती है। अजीब ढंग से अपने घर आने का अनुरोध किया था ये कह कर कि आपको ऐसी शख़्सियत से मिलवाना है जिनसे आपको सवालात करने हैं और उनको भी आपसे मुलाक़ात करनी है ठीक तरह से समझने को क्योंकि उनकी परेशानी है नहीं समझ सके क्या हैं आप लोक सेतिया । ऐसा कौन हो सकता है उन्होंने राज़ रखा था इस को कहा था ताज्जुब की बात है हैरान होगे देख कर उस का लुत्फ़ कुछ ख़ास होगा। जाने पर मुझे महलनुमा घर के शानदार भाग में ले गए जहां कोई चमकदार लिबास में मनमोहक छवि धारण किए अनुपम दृश्य प्रस्तुत कर ईश्वरीय रूप बनाए ऊंचे सिंहासन पर हाथ उठाए आसीस देने का आभास देता पृष्ठभूमि में सूरज की किरणों से सुसज्जित बैठा हुआ था। अप्रत्याशित घटना थी उनके घर विधाता ईश्वर ख़ुदा भगवान विधाता साक्षात विराजमान थे। बिना बताये पहचान गया था जान गया था वही हैं मिलकर ख़ुशी हुई दुआ सलाम नमस्कार अभिवादन किया और पूछ ही बैठा आपको फुर्सत मिल गई धरती पर आकर अपनी बनाई दुनिया का हाल देखने की। भगवान बोले भूल गए आपने ही घोषणा की थी मेरे सोशल मीडिया फेसबुक व्हाट्सएप्प पर आने की। मुझे अच्छी तरह याद है हुई थी चर्चा लेकिन मुझे लाख बार कोशिश करने पर भी आपका अकॉउंट दिखाई नहीं दिया। भगवान हंसकर बोले मुझे सब पता है लेकिन मैंने डॉ लोक सेतिया आपको ब्लॉक किया हुआ है सब को दिखाई देता हूं बस कुछ लोग आपके जैसे जिनकी बातें मुझे समझ नहीं आतीं उनको ब्लॉक किया हुआ है। दुनिया में तमाम लोग हैं जो मुझे मानते हैं या जो नहीं भी मानते हैं नास्तिक हैं लेकिन आप कुछ लोग मुझे कटघरे में खड़ा कर जाने कैसी कैसी बात कहते हैं। मैंने दुनिया बनाकर सही ढंग से उसका ख़्याल नहीं रखा अपने गुणगान और आरती पूजा अर्चना चढ़ावा मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा गिरिजाघर धार्मिक स्थल की शान-ओ-शौकत के मोहजाल में खोया रहता हूं। मुझे जिनकी बातें समझ नहीं आतीं भले खरी होती हैं कड़वा सच अच्छा नहीं लगता उनको ब्लॉक कर देता हूं बचने पीछा छुड़ाने को , कितने और लोग यही करते हैं आपको ब्लॉक करने का कोई कारण नहीं है आपसे संपर्क नहीं रखना पसंद करते क्योंकि आप उनको पसंद की झूठी बातें नहीं करते हैं। झूठ सिंघासन पर विराजमान है उसकी जय-जयकार नहीं करते तो खामोश रहो यही उचित है , ऊपरवाला बेबस है जब अधिकांश लोग झूठ के देवता के उपासक हैं तब सच को ज़िंदा रखना मुमकिन ही नहीं है। सच जाने कब से लापता है कोई नहीं जानता ज़िंदा भी है या उसकी लाश को दफ़न कर दिया है क़त्ल कर। 
 
  ऊपरवाले ने सच सामने कह दिया है जब मुझे ब्लॉक किया हुआ है तो मेरी उपासना मेरी दुआ मेरी विनती उस तक पहुंचती ही नहीं। लौट आती है मेरी ईबादत मेरी प्रार्थना मेरी विनती ख़ाली उस तक जा ही नहीं पाती मेरी आह मेरी सिसकियां मेरे आंसू। सुबह-शाम जिस जगह मैंने ईबादत पूजा अर्चना की उम्र बीत गई तब पता चला उस जगह कोई ख़ुदा कोई भगवान कोई अल्लाह कभी नहीं था। मेरे मन का संशय और बढ़ गया था समझ नहीं आ रहा था मुझे ब्लॉक किया हुआ है तो फिर मुझसे मुलाक़ात ये सब बातें करने की ज़रूरत क्या है। साहस कर उनसे सवाल कर दिया चलो माना आपकी सभी बातों को लेकिन इस तरह अचंभित कर चुपचाप बुलावा भेज मुलाक़ात करने और वार्तालाप करने का प्रयोजन क्या है। उन्होंने मेरी बात का जवाब इस तरह दिया है। ध्यान से पढ़ना और समझ कर विचार करना समझ आये तो मुझे समझाना अगर संभव हो। अब आपकी इस दुनिया का ख़ुदा भगवान सब मैं ही हूं सोशल मीडिया पर ही नहीं हर घर गांव गांव नगर नगर गली गली बाज़ार सड़क मॉल तक मेरा ही जलवा है। यही इस आधुनिक युग का सत्य है सोशल मीडिया पर हर कोई भगवान समझता है खुद को सब अपनी कहते हैं और अपनी पसंद की बात पढ़ना सुनना चाहते हैं। 
 
  मेरा हाथ पकड़ मेरे सहारे लोग क्या से क्या बन गए हैं। ज़र्रा आफ़ताब बन गया है चौकीदार आली - जनाब बन गया है मुखौटा पहचान हो गया है असली चेहरा नकाब बन गया है। झूठ लाल कालीन जैसा सच जैसे कि इक फंदा है इंसान आदमी नहीं रहा शैतान फ़रिश्ता हर बंदा है। झूठ बिकता है सच बनकर ये सबसे अच्छा धंधा है कहते हैं धंधा धंधा है भले कितना ही गंदा है। राजनीति धर्म खेल टीवी शो से सिनेमा टीवी सीरियल तक सिर्फ धोखा है बेईमानी है नई नहीं वही कहानी है। बिल्ली मौसी शेर की नानी है देश सेवा समाज सेवा है खूब खाने को मिलता मेवा है। नाम है नाम बिकते हैं करोड़ों का ले कर दाम बिकते हैं तुम खरीदो ईनाम बिकते हैं मयकदे बिकते हैं जाम बिकते हैं साकी खुद प्यासे रहते हैं क्या बताएं क्यों अरमान बिकते हैं। मुझ से बोला आधुनिक युग का स्वयं घोषित भगवान मेरी शरण में आ जाओगे जो भी चाहत है सब पाओगे नहीं समझोगे तो हाथ मलते रहोगे वक़्त के बाद पछताओगे। सोशल मीडिया की गंगा बहती है पाप धुलते हैं पुण्य मिलते हैं किनारे से देखते रह जाओगे सोच लो फिर सिर्फ पछताओगे। ऐसा नहीं कि कोई भगवान नहीं है असली नकली की होती पहचान नहीं है। सोशल मीडिया के भगवान से मिलना जाने कैसा लगा समझ नहीं पाया फिर भी उसको काल्पनिक नहीं वास्तविक कहना होगा। वास्तविक भगवान कोई भी हो उसको परेशानी हो सकती है खुद को असली साबित करने में बगैर सोशल मीडिया का उपयोग किये।
 
 
 

2 टिप्‍पणियां:

Sanjaytanha ने कहा…

शानदार लेख व्यंग्य से भरपूर👌

Unknown ने कहा…

यथार्थ